मुरादाबाद : खानपान की गलत आदतें, निश्क्रिय जीवन शैली और दुर्घटना के कारण धमनी से संबंधित बीमारियां तेजी से बढ़ रही है। लेकिन, वैस्कुलर सर्जरी के क्षेत्र में हो रही प्रगति से धमनी संबंधी जटिलताओं, नसों से संबंधित रोगों और हेमोडायलिसिस कराने वाले रोगियों को अब लाभ हो सकता है। आम लोगों को वैस्कुलर क्षेत्र में हो रही प्रगति का महत्व बताने और उन्हें जागरूक करने के लिए, मैक्स हाॅस्पिटल वैशाली ने मुरादाबाद में बड़े पैमाने पर जन जागरूकता अभियान चलाया।
मैक्स हाॅस्पिटल वैशाली के वैस्कुलर सर्जरी के वरिश्ठ कंसल्टेंट और प्रभारी डाॅ. कपिल गुप्ता ने कहा, “हेमोडायलिसिस कराने वाले क्रोनिक रीनल फेल्योर वाले कई रोगियों में आर्टेरियोवेनस फिस्टुला (एवी फिस्टुला) बनाने की आवश्यकता होती है, जो उनके रक्त को छानने में अहम भूमिका निभाता है। रीनल फेल्योर से पीड़ित 48 वर्षीय श्री फैयाज अहमद के साथ भी ऐसा ही हुआ था, जिन्हें मैक्स हाॅस्पिटल वैशाली में तत्काल हेमोडायलिसिस की आवश्यकता थी। उनकी हालत इतनी गंभीर थी कि उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया था। पूरी जांच करने पर पता चला कि एवी फिस्टुला बनाने के लिए मरीज की नसें बहुत खराब थीं। मामला जटिल होने के बावजूद, टीम ने एक एवी फिस्टुला बनाने का फैसला किया, जो उनके स्वास्थ्य और कार्यक्षमता के लिए आवश्यक था।''
मैक्स हाॅस्पिटल वैशाली में सर्जनों की ऐसी टीम है जिसे निदान, उपचार, धमनी का पुनर्निमाण, सर्जरी और एंडोवैस्कुलर तकनीकों सहित सभी प्रकार के वैस्कुलर रोगों से पीड़ित रोगियों का हर प्रकार से इलाज करने का अत्यधिक अनुभव है। उनके उन्नत तकनीकों का ज्ञान और कौशल के साथ, रोगियों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार व्यापक देखभाल प्रदान की जाती है।
समय पर रोग की पहचान और इलाज करने से धमनी से संबंधित रोगों के बेहतर प्रबंधन में मदद मिलती है और वैस्कुलर प्रक्रियाओं में हो रही प्रगति समय के साथ और बेहतर हो रही है।
हाल ही में मुरादाबाद के 23 साल के एक युवा को गंभीर सड़क दुर्घटना का सामना करना पड़ा जिसके कारण उसका बायां घुटना पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया और काफी अधिक रक्तस्राव हुआ। मुरादाबाद में इस तरह की जटिल प्रक्रिया के लिए उन्नत चिकित्सा सुविधा नहीं होने के कारण उसे आगे के इलाज के लिए मैक्स हाॅस्पिटल लाया गया। जांच के दौरान पाया गया कि उसकी धमनी फट गई थी, जिसके कारण काफी अधिक रक्तस्राव हुआ था और पैर काटने की नौबत आ गई थी। शल्य चिकित्सा टीम ने एक्सटर्नल नी फिक्सेषन के साथ आर्टेरियल बाईपास किया और बाद में आर्थोस्कोपी से घुटने के लिगामेंट का पुनर्निमाण किया। तेजी से उपचार और इस तरह की जटिल सर्जरी से न केवल उसका पैर बच गया, बल्कि रोगी अब अपने दम पर चलने में सक्षम है।
शहरी क्षेत्रों में खानपान की गलत आदतें और निश्क्रिय जीवन शैली का चलन काफी बढ़ रहा है जिसके कारण धमनी से संबंधित रोगों वाले रोगियों की संख्या बढ़ रही है। पेरिफेरल आर्टेरियल रोगों (पीएडी), डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) और आर्टेरियोस्क्लेरोसिस पैदा करने वाले अन्य रोगों का समय पर निदान और इलाज से रोगी बेहतर गुणवत्ता पूर्ण जीवन जी सकता है।