घुटनों की समस्याओं से पीड़ित कई मरीज अक्सर कई कारणों से घुटना प्रत्यारोपण की सर्जरी कराने में देरी कर देते हैं। इसका एक मुख्य कारण जानकारी की कमी है। रोगियों द्वारा घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी में देरी करने के अन्य कारणों में शरीर के एक हिस्से को खोने का डरए सर्जरी के बाद होने वाले दर्द का डर और टांके का डर आदि शामिल है। रोगी यह जानना चाहते हैं कि उनकी सर्जरी के बाद उनका जीवन कैसा रहेगाए सर्जरी के बाद उन्हें कितनी असुविधा होगी।
क्यूआरजी हेल्थ सिटी के ऑर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के निदेशक डॉ. युवराज कुमार ने कहा, ''हर कीमत पर सर्जरी से बचने की इच्छा रखने वाले रोगी इसके लिए अन्य उपचार विधियों को आजमाने का प्रयास करते हैं जिनमें सर्जरी शामिल नहीं होती है। इनमें से कुछ वैज्ञानिक रूप से सही साबित नहीं हो सकती हैं। वे उन उपचारों पर पैसे खर्च करते हैं जिनके कोई वास्तविक लाभ नहीं हैं।''
पारंपरिक रूप से, नी रिप्लेसमेंट सर्जरी को बहुत ही दर्दनाक प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है। लेकिन नई तकनीक के ईजाद से सर्जरी के बाद होने वाले दर्द में काफी कमी आई है। क्यूआरजी हेल्थ सिटी के ज्वाइंट रिप्लेसमेंट विभाग ने एक नयी विधि का उपयोग करना शुरू किया है जो जोड़ों में दर्द और सूजन को कम कर देता है और रोगी की तेजी से रिकवरी होती है ताकि जितनी जल्दी संभव हो वह अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट सके।
डॉ. युवराज ने कहा, ''दर्द एक बहुत ही व्यक्तिगत समस्या है और अलग—अलग रोगी में दर्द का स्तर भी अलग—अलग होता है। हमारे कुछ मरीजों ने हमें सर्जरी के बाद तत्काल आराम मिलने की बात बताकर और उसी दिन बिना किसी सहारे के चलकर हैरान कर दिया।''
क्यूआरजी हेल्थ सिटी के सर्जन ऐसी विधियों का इस्तेमाल कर घुटने के दर्द को कम करने में विशेषज्ञ हैं जिसके तहत बहुत कम इंवैसिव तरीके से नी रिप्लेसमेंट को इंसर्ट किया जाता है। इसमें घुटने के चारों ओर नरम ऊतकों में व्यवधान को कम करने और बाद में दर्द को कम करने के लिए शल्य चिकित्सा तकनीकों के संयोजन का इस्तेमाल किया जाता हैए साथ ही विशेष उपकरणों का उपयोग किया जाता है जो घुटना के जोड़ में दर्द को कम करते हैं।
दर्द को कम करने के लिएए सर्जन फिमोरल ब्लॉक्स एड्यूक्टर कैनाल ब्लॉक, इंडिविजुअल एपिडुरल एनाल्जेसिया और लोकल कॉकटेल इनफिल्टरेशन जैसी तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। सर्जरी के बाद रिकवरी के लिए समर्पित सुइट कक्ष के अलावा, विभाग में प्रशिक्षित नर्स, फिजियोथेरेपिस्ट और क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट हैं जो दर्द होने पर रोगी को दर्द का प्रबंधन करने में मदद करते हैं।
डॉ. युवराज कहते हैं, ''हमने देखा है कि हमारे नए दृष्टिकोण से इलाज के बाद तीन महीने तक, अधिकांश लोगों ने सामान्य गतिविधियां फिर से शुरू कर दी और छह महीने तकए अधिकांश लोगों ने जोड़ों में या उसके आसपास अधिक दर्द नहीं बताया बल्कि सिर्फ मामूली दर्द बताया। घुटना प्रत्यारोपण के बाद पूरी तरह से रिकवर करने में एक साल तक लग सकता है।''
नए प्रोटोकॉल से घुटना प्रत्यारोपण के बाद मरीज जल्दी ठीक होगा
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