की-होल सर्जरी से ‘‘नॉक नी’’ का इलाज 

  • by @ हेल्थ स्पेक्ट्रम
  • at November 28, 2019 -
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नाॅक नी घुटने की ऐसी विकृति है जिसमें घुटने आपस में एक दूसरे के साथ टकराते हैं। यह बढ़ते बच्चों और किशोरों, विशेष रूप से किशोर लड़कियों में आम है। इससे न केवल पैर में भयानक विकृति हो जाती है और पैर में लंगड़ापन आ जाता है, बल्कि घुटने को लंबे समय में नुकसान पहुंचने की भी आशंका होती है। इस तरह के घुटने वाले लोगों में बाद में प्रारंभिक आर्थराइटिस हो जाती है। बचपन के शुरुआती दिनों में होने वाली इस विकृति का एक सामान्य कारण आहार में विटामिन डी की कमी है, लेकिन बड़े बच्चों में इसका कारण अक्सर पता नहीं चल सकता है।
8 साल से कम उम्र के बच्चों में थोड़ा नाॅक नी होना सामान्य है, और जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, उसका नाॅक नी ठीक हो जाता है। आठ साल की उम्र के बाद बनी रह जाने वाली किसी भी प्रकार की विकृति के खुद ही सही होने की संभावना नहीं होती है। किशोरावस्था तक रह जाने वाले नाॅक नी और इसकी स्थिति अधिक खराब होने पर सर्जरी की आवश्यकता होती है। नाॅक नी विकृति की डिग्री का सही-सही पता पूरे पैर के विशेष 'वेट बियरिंग' एक्स-रे से चलता है जिसे हिप-नी-ऐंकल एक्स-रे कहा जाता है। 
सर्जरी के बगैर भी नाॅक नी ठीक हो सकती हैै?
नाॅक नी को ठीक करने के लिए पहले विभिन्न प्रकार के संशोधित जूते और ब्रेसिज़ का उपयोग इस उम्मीद से किया जाता था कि इससे समय के साथ विकृति ठीक हो जाएगी, लेकिन वे प्रभावी साबित नहीं हुए। ऐसे मामले में किसी भी तरह की मालिश और आहार से भी मदद नहीं मिलती है।
नाॅक नी को ठीक करने के लिए की-होल सर्जरी की क्या भूमिका है?
इस सर्जरी से एक सेमी के चीरे से घुटने की विकृति ठीक की जाती है। यह सर्जरी एनीस्थिसिया देकर की जाती है। इसके तहत हड्डी में एक छोटे से छेद के माध्यम से, ऑस्टियोटॉम नामक एक विशेष उपकरण की सहायता से हड्डी के विकृत हिस्से को अंदर से कमजोर कर दिया जाता है। जब हड्डी काफी कमजोर हो जाती है और लचीली हो जाती है, तो इसे धीरे-धीरे सही स्थिति में घुमाया जा सकता है। इसके बाद पैर को हड्डी को सही स्थिति में ठीक करने के लिए 4 सप्ताह के लिए पैर में प्लास्टर चढ़ाकर रखा जाता है। इसके लिए हड्डी को ढंकने वाली मांसपेशियों या पतली शीथ (पेरीओस्टेम) को नहीं काटा जाता है। दोनों पैरों की विकृति एक ही समय में ठीक की जा सकती है। प्लास्टर चढ़ाने के बाद रोगी को कुछ समय तक बेड रेस्ट करना होता है और चलना-फिरना नहीं होता है। लेकिन इस सर्जरी से किसी बड़ी सर्जरी के बगैर ही अंततः पैर सीधे हो जाते हैं और पैर में हल्का निशान रहता है। इस तकनीक का आविष्कार इसलिए किया गया है क्योंकि नाॅक नी अक्सर युवा किशोर लड़कियों को प्रभावित करता है। यह एक कॉस्मेटिक विकृति है, और रोगी इसे ठीक कराना चाहता है, लेकिन साथ ही वह यह भी चाहता है कि इस विकृति को ठीक कराने में परंपरागत सर्जरी की तरह निशान न रहे। इसलिए, इस तकनीक को “कॉस्मेटिक विकृति का कॉस्मेटिक सुधार“ कहा जा सकता है। 
परंपरागत रूप से, बढ़ती हुई हड्डी में नाॅक नी को ठीक करने के लिए की जाने वाली सर्जरी को 'ग्रोथ मॉडुलेशन सर्जरी' कहा जाता है। इस तकनीक में दो आपरेशन करने की आवश्यकता होती है - तेजी से बढ़ती हड्डी के किनारे विकास को रोकने के लिए 'क्लिप या प्लेट' लगाने और दूसरा आपरेशन विकृति के ठीक हो जाने के बाद क्लिप को हटाने के लिए। इसमें सुधार वर्षों में धीरे-धीरे होता है, और इस दौरान बच्चे में होने वाले सुधार पर नजर रखने के लिए बार-बार एक्स रे कराना पड़ता है। इसका फायदा यह है कि बच्चे के पैर में कोई प्लास्टर नहीं होता है, और बच्चा उपचार की अवधि के दौरान आम तौर पर पूरी तरह से सक्रिय रहता है।
ग्रोथ प्लेट और बाहरी इंप्लांट को लगाने के साथ कई जटिलताएं जुड़ी होती हैं। ऑपरेशन थिएटर में दो बार जाना और सालों तक अस्पताल में बार-बार जाना एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा, यह सर्जरी केवल तब की जा सकती है जब बच्चे का पर्याप्त विकास होना शेष हो (12 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के बीच)।
नाॅक नी को ठीक करने की दूसरी विधि करेक्टिव ऑस्टियोटॉमी है। यह एक औपचारिक ओपन सर्जरी तकनीक है, जिसमें हड्डी में 10 से 15 सेमी चीरा लगाया जाता है, हड्डी को काटा जाता है और हड्डी को सही स्थिति में रखने के लिए प्लेटों और स्क्रू का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इसका फायदा यह है कि इसमें प्लास्टर की कोई आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन ओपन सर्जरी से संबंधित जटिलताएं होने का खतरा और प्लेट को हटाने के लिए दोबारा सर्जरी की आवश्यकता एक समस्या है।
क्या की-होल सर्जरी किसी भी उम्र और किसी भी डिग्री की विकृति में की जा सकती है?
सर्जरी करने के लिए आदर्श उम्र 8 से 16 वर्ष है, जब हड्डियां अपेक्षाकृत नरम होती हैं और तेजी से ठीक होती हैं। बढ़ती उम्र के साथ, हड्डियां सख्त हो जाती हैं, और फिर इस तकनीक से हड्डियों का कमजोर होना मुश्किल होता है। इसके अलावा उस उम्र में, उपचार में अधिक समय लगता है, और लंबे समय तक प्लास्टर चढ़ाये रहने की आवश्यकता होती है। इसलिए 20 साल से अधिक उम्र के मरीजों और अधिक मोटापे वाले लोगों में यह सर्जरी कराने की सलाह नहीं दी जाती है।


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