अत्यधिक घातक बीमारी माने जाने वाला मस्तिष्क का ट्यूमर अब भी चिंता का सबब बना हुआ है। चिंता का मुख्य कारण काफी हद तक इसके रोगियों के जीवित रहने की संभावना का कम होना है, क्योंकि इसके बहुत कम मरीज लंबी जिंदगी जी पाते हैं। हालांकि समय—समय पर चिकित्सा विज्ञान में इस संबंध में कई अभूतपूर्व विकास हुए हैं, जिससे इसका समय पर जल्द निदान करना और इसका सफलतापूर्वक इलाज करना आसान हो गया है।
ब्रेन ट्यूमर क्या है?
ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क में असामान्य कोशिकाओं का एक संग्रह या पिंड है। खोपड़ी के अंदर कोई भी वृद्धि समस्या पैदा कर सकती है। ब्रेन ट्यूमर कैंसरजन्य (मैलिग्नेंट) या कैंसर रहित (बिनाइन) हो सकता है। जब मैलिग्नेंट ट्यूमर बढ़ते हैंए तो वे आपकी खोपड़ी के अंदर दबाव बढ़ा सकते हैं। यह मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है, और यह जीवन को खतरे में डाल सकता है। ब्रेन ट्यूमर वयस्कों और बच्चों दोनों में हो सकता है।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
ब्रेन ट्यूमर के सबसे आम लक्षणों में से एक सिरदर्द का बढ़ना है, जो सुबह के समय अधिक तेज होता है। इसके अन्य लक्षणों में मतली और उल्टी, हाथों और पैरों में कमजोरी, चलने के दौरान संतुलन में कमीए दौरे, देखने या सुनने में कठिनाई, व्यवहार और संज्ञानात्मक समस्याएं शामिल हैं।
ब्रेन ट्यूमर का निदान
ब्रेन ट्यूमर के निदान के लिए सबसे पहले शारीरिक परीक्षण किया जाता है जिसके तहत तंत्रिका विज्ञान का विस्तृत परीक्षण किया जाता है। आपके डाॅक्टर यह देखने के लिए एक परीक्षण करेंगे कि आपके क्रैनियल नर्व सही हैं या नहीं। ये वे नर्व हैं जो आपके मस्तिष्क में उत्पन्न होती हैं। शारीरिक परीक्षण के बाद रोग की पुष्टि के लिए सीटी स्कैन, एमआरआई, एंजियोग्राफी या सिर की बायोप्सी की जा सकती है।
इलाज
हाल तकए ब्रेन ट्यूमर का इलाज सर्जरीए रेडियेशन और कीमोथेरेपी के पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके किया जाता था। लेकिन ओपन ब्रेन सर्जरी के मस्तिष्क में अंदरूनी रक्तस्राव, याददाश्त में कमी या संक्रमण जैसे कई खतरे भी थे। इसमें यहां तक कि थोड़ी सी त्रुटि के भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं और गंभीर और स्थायी समस्याएं हो सकती हैं।
नवीनतम उपचार : न्यूरोनैविगेशन से सर्जरी
आज, ब्रेन ट्यूमर के निदान और उपचार के कुछ नए, अधिक क्रांतिकारी तरीकों की बदौलत ब्रेन ट्यूमर को हटाना और रोगी के जीवन काल को बढ़ाना संभव हो गया है। न्यूरो—नैविगेशन तकनीक सर्जन को मस्तिष्क में ट्यूमर कोे ठीक से नेविगेट करने में सक्षम बनाती है।
यह तकनीक जीपीएस के समान है। यह एक कंप्यूटर आधारित प्रोग्राम है जो कम्प्यूटर सिस्टम पर एमआरआई और सीटी स्कैन की छवियों को दर्ज करता है। एक बार जब सूचना को एक विशेष वर्क—स्टेशन में फीड कर दिया जाता है, तो सिस्टम एमआरआई छवियों के साथ—साथ ऑपरेटिंग रूम में वास्तविक रोगी के नाक और भौंह जैसे बाहरी क्षेत्रों को पहचानने पर काम करता है और डेटा के दो सेट में मिलान करता है।
उसके बाद रेफरेंस प्वाइंटर्स और ऑप्टिकल डिटेक्टर जीपीएस ट्राईएंगुलेशन सिद्धांत पर काम करते हैं ताकि सर्जन यह देख पाता है कि वह पॉइंटर का उपयोग कर समय पर किसी विशेष बिंदु पर कहां काम कर रहा है। यह सर्जनों को सटीक चीरा लगाने में मदद करता हैए जिससे सिर से पूरी तरह से बाल हटाने की जरूरत नहीं पड़ती है और सर्जरी के दौरान बाल को सिर्फ सर्जरी वाली जगह से हटाया जाता है।
न्यूरोनैविगेशन का मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की सर्जरी के दौरान धीरे—धीरे बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। इसका इस्तेमाल सुरक्षित रूप से बढ़ रहा है और यह त्रुटि होने की संभावना को काफी कम करता है।
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