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अब गुड़ से बनेंगे स्वादिष्ट और पौष्टिक चॉकलेट

गुड़ से बने स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरे चॉकलेट, जल्द ही बाजार में मिलने लगेंगे और आपके घरों के रेफ्रिजरेटर में भी मौजूद होंगे। भारत के शोधकर्ताओं का एक समूह इस दिशा में काम कर रहा है। ये चाॅकलेट मधुमेह से ग्रस्त लोग भी खा सकतेहैं।
आम तौर पर चाॅकलेट में काफी मात्रा में कोका, दुग्ध पाउडर, मक्खन, परिष्कृत शक्कर और अधिक कैलोरी वाले स्वादिष्ट बनाने वाले पदार्थ होते हैं। हालांकि ये बहुत अधिक कैलोरी के होते हैं लेकिन इनमें कार्बोहाइड्रेड एवं प्रोटीन नगण्य होते हैं। चाॅकलेट में बहुत कम पौश्टिकता होती है क्योंकि इनमें घटक के रूप में परिष्कृत शक्कर मिलाया जाता है। चाॅकलेट के कारण दांत खराब होने, दांत में कैविटी होने तथा मधुमेह होने जैसी समस्यायें एवं बीमारियां होने के खतरे होते हैं।
राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के लक्ष्मीनारायण प्रौद्योगिकी संस्थान के खाद्य प्रोद्योगिकी विभाग की सुश्री श्वेता एम. देवताले ने कहा, ''परिष्कृत शक्कर के स्थान पर हम विभिन्न तरह के गुड का उपयोग करते हैं। पिघले हुये गुड़ में हम स्वादिष्ट बनाने वाले पदार्थ के तौर पर काॅफी/कोको पाउडर का इस्तेमाल करते हैं ताकि इसे स्वादिष्ट बनाया जा सके। इसके अलावा स्वास्थ्य लाभ के लिये इसमें पोषक तत्व भी मिलाये जाते हैं।
उन्होंने कहा कि चॉकलेट महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त विभिन्न प्रकार के गुड़ का उपयोग करके तैयार किए गए हैं। कोल्हापुरी गुड़ अपनी गुणवत्ता के लिए राज्य में सबसे लोकप्रिय है। भारत में दुनिया के कुल गुड़ उत्पादन का 70 प्रतिशत उत्पादन होता है।
उन्होंने कहा, ''हमने तरल गुड़, जैविक ठोस गुड़, नारियल पौधों के रस से बनाये गए गुड़, खजूर और ताड़ के पौधों के रस से बनाए गए गुड़ और पाउडर गुड़ जैसे विभिन्न प्रकार के गुड़ का इस्तेमाल करके चॉकलेट बनाया है। गुड़ से बनाये जाने वाले स्वादिष्ट चाॅकलेट में कच्चे माल के रूप में मक्खन / कोको बटर सबस्टीच्यूट, इमल्सीफायर के रूप में सोया लेसितिण, कोको पाउडर, वसायुक्त दुग्ध पाउडर और कॉफी पाउडर मिलाये जाते हैं।''
विश्लेषण और प्रयोगात्मक कार्य खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग, लक्ष्मीनारायण प्रौद्योगिकी संस्थान, नागपुर; केंद्रीय एगमार्क प्रयोगशाला, नागपुर; और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, नागपुर के द्वारा एक साथ मिलकर किया गया था।  
उन्होंने कहा, ''गुड़ के इस्तेमाल से बनाये गये चॉकलेट को पोषण की दृश्टि से अत्यधिक स्वीकार्य पाया गया था। इसे कम पोषण और कुपोषण से निपटने के लिए हेल्थ सेप्लिमेंट के रूप में लिया जा सकता है। आयुर्वेद में, गुड़, तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने, एनीमिया को रोकने और हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। यह पर्यावरण के विषाक्त पदार्थों से शरीर की रक्षा भी कर सकता है और कैल्शियम, फॉस्फोरस और लोहे जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होने के कारण यह फेफड़ों के कैंसर की संभावना को भी कम कर सकता है।''
सुश्री देवताले ने कहा कि इस चाॅकलेट के बाजार में उपलब्ध सामान्य चॉकलेट की तुलना में लगभग 20-30 प्रतिषत सस्ता होने की उम्मीद है। टीम ने इस उत्पाद के पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया है।
उन्होंने कहा, ''चॉकलेट को पोषण की दृष्टि से अधिक स्वस्थ बनाने की अनिवार्य आवश्यकता है। हम इसके स्वाद से कोई समझौता किए बिना ही एक सर्वश्रेष्ठ चॉकलेट विकसित करने की कोशिश की है।''
शोध टीम में डॉ. एम. जी. भोटमांगे, खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख, एलआईटी नागपुर; श्री प्रबोध एस. हाल्दे, प्रमुख, तकनीकी रेगुलेटरी अफेयर्स, मैरिको लिमिटेड; और एम. एम. चितले, निदेशक, एफबीओ तकनीकी सेवा, ठाणे शामिल हैं।


 


 


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