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ऑफिस में मन लगाकर काम करना सुखी पारिवारिक जीवन का आधार

उत्साह पूर्वक काम करने वाले और काम के प्रति समर्पित कर्मचारी अपने सकारात्मक कार्य के अनुभव के कारण खुशहाल पारिवारिक जिंदगी जीते हैं। 
कनास स्टेट यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान के अनुसंधानकर्ताओं ने हाल में किये गए एक अध्ययन के तहत् यह पता लगाने की कोशिश की कि सकारात्मक कार्य के अनुभव किस तरह पारिवारिक जिंदगी को खुशहाल रखते हैं और पारिवारिक मेलजोल को बढ़ाने में किस तरह योगदान करते हैं। इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि जो कर्मचारी अपने काम के प्रति व्यस्त रहते हैं अर्थात् जिनमें रोजमर्रा की गतिविधियों के प्रति अधिक उत्साह, अधिक समर्पण और तल्लीनता रहती है वे अच्छे मूड में रहते हैं और घर में भी अधिक संतुष्ट रहते हैं।
के-स्टेट के अनुसंधानकर्ताओं साइकोलॉजी के प्रोफेसर क्लिव फुलगर, साइकोलॉजी की सहायक प्रोफेसर सैटोरिस कुलबर्टसन तथा मैनहाटन में साइकोलॉजी के ग्रैजुएट विद्यार्थी मौरा मिल्स के द्वारा किये गए इस अध्ययन में पाया गया कि जो लोग काम के दौरान संतुष्टि का अनुभव करते हैं और जो लोग अपने अनुभवों को दूसरे लोगों के साथ आदान-प्रदान करते हैं वे अपने घरेलू मामलों को सुलझाने में भी अधिक समर्थ होते हैं, बेहतर सहयोगी होते हैं और घरेलू वातावरण में अधिक प्रभावी होते हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने दैनिक कार्यों में व्यस्तता और पारिवारिक कार्यों में मदद के बीच संबंध को सुनिश्चित करने के लिए दो सप्ताह तक इसे प्रभावित करने वाले 67 कारकों का अध्ययन किया। उन्होंने इस अध्ययन में शामिल लोगों का रोजाना दो बार सर्वेक्षण किया-पहला दैनिक कार्य खत्म होने के बाद और दूसरा रात में बिस्तर पर जाने से पहले। उन्होंने इससे अलग एक और सर्वेक्षण किया-दो सप्ताह के सर्वेक्षण शुरू करने से पहले और दूसरा सर्वेक्षण के आखिर में। 
कुलबर्टसन कहती हैं कि कार्य के दौरान तनाव और घरेलू तनाव के बीच गहरा संबंध है और ये एक दूसरे के प्रभाव को कई तरह से प्रभावित करते हैं। अध्ययन में पाया गया कि व्यस्तता का रोजमर्रा के मूड से गहरा संबंध है और मूड का पारिवारिक संतुष्टि के कार्यों से सकारात्मक संबंध है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कार्यों में व्यस्तता और पारिवारिक संतुष्टि के लिए किये गए कार्य रोज-ब-रोज परिवर्तित होते हैं।
कुलबर्टसन कहती हैं, ''यदि कोई कर्मचारी अपने काम के प्रति सोमवार को समर्पित नहीं रहता है तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वह मंगलवार को भी काम में व्यस्त नहीं रहेगा अथवा यदि कोई कर्मचारी सोमवार को काम में व्यस्त रहता है तो जरूरी नहीं है कि वह मंगलवार को भी काम में व्यस्त रहेगा। इसके अलावा किसी भी व्यक्ति का घरेलूं कार्य उसके उस दिन के कार्य पर निर्भर करता है।''
अनुसंधानकर्ताओं ने यह भी पाया कि दैनिक कार्यों में व्यस्तता कार्य के भार को नियंत्रित करने के बाद पारिवारिक जिंदगी पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसका इस बात से कोई संबंध नहीं है कि उस दौरान उस पर कार्य का अधिक भार था या कम भार था।
कुलबर्टसन कहते हैं कि नौकरी में काम के प्रति दीवानगी या काम का नशा जैसे काम के अधिक नकारात्मक रूप में शामिल होना और सकारात्मक रूप से कार्यों में शामिल होना घरेलू जिंदगी पर अलग-अलग प्रभाव डालता है। काम के प्रति दीवानगी या काम का नशा पारिवारिक कार्य से संबंधित झगड़े को बढ़ाता है। इसके विपरीत व्यस्तता पूर्वक संतुलित रूप से कार्य करने और पारिवारिक कार्य के प्रति योगदान झगड़े को कम करता है। 
कुलबर्टसन कहती हैं कि इस अध्ययन के निष्कर्ष पर अमल करते हुए संगठनों को कार्यस्थल की जांच-पड़ताल करनी चाहिए। संगठनों को कर्मचारियों के काम और उनकी व्यक्तिगत जिंदगी में संतुलन स्थापित करने में मदद करनी चाहिए। संगठन को कार्यस्थल पर कर्मचारियों की जरूरत से अधिक व्यस्तता को परिस्थितिजन्य कारकों से नियंत्रित करना चाहिए। आखिरकार कर्मचारियों की सहायता करने से संगठन की ही सहायता होगी 


 


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