हाल के आंकड़े बताते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए दिल के दौरे अधिक घातक हैं। इस बात का सार यह है कि महिलाओं में दिल के पहले दौरे पड़ने के बाद एक साल के भीतर मौत होने की आषंका पुरुषों की तुलना में अधिक होती है।
जब हम दिल का दौरा पड़ने के बारे में सोचते हैं तो अक्सर लोग सोचते हैं कि यह वैसी समस्या है जो मुख्य रूप से पुरुषों को प्रभावित करती है। सच्चाई यह है कि महिलाएं पुरुषों की तरह ही दिल के दौरे से प्रभावित होती हैं। अनेक बार इसके लक्षण इस कदर मामूली प्रतीत होते हैं कि उन्हें इस बात का आभास ही नहीं होता कि उन्हें कोई हृदय रोग है। महिलाओं के लिए दिल के दौरे के चेतावनी के संकेत बहुत अलग होते हैं।
हालांकि दिल का दौरा पड़ने पर पुरुषों और महिलाओं दोनों को सीने में दर्द का अनुभव होता है लेकिन महिलाओं को सांस की तकलीफ, एक या दोनों बांह, गर्दन, पीठ, जबड़े या पेट में दर्द या तकलीफ, जी मिचलाना, चक्कर आना और ठंडे पसीना आना आदि जैसे अन्य सामान्य लक्षण होते हैं। लक्षणों के मामूली होने के कारण महिलाएं अक्सर समझती है कि उन्हें फ्लू या एसिड रिफलक्स है और वे इन लक्षणों की उपेक्षा कर देती हैं।
महिलाओं एवं हृदय रोग पर केन्द्रित द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा जारी किए गए अपने तरह के पहले बयान से चैंकाने वाला तथ्य उजागर हुआ है। इस रिपोर्ट में दिल के दौरे का कारण बनने वाले महिलाओं और पुरूषों के लक्षणों में अंतर एवं दिल के दौरे के उन कारणों को शामिल किया गया है जिनके कारण दिल के दौरे से महिलाओं में अधिक मृत्यु दर होता है। इस रिपोर्ट के अनुसार दिल के पहले दौरे के बाद एक साल के भीतर मौत होने का प्रतिशत महिलाओं में 26 प्रतिशत तथा पुरुषों में 19 प्रतिशत होता है।
इस अध्ययन का एक और नतीजा यह है कि दिल का दौरा पड़ने के बाद पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग इलाज है। पुरुशों की तुलना में महिलाओं को कार्डिएक रिहैविलिटेशन की सुविधा मिलने की संभावना भी कम होती है।
हालांकि आकड़े भले ही डरावना लगे, लेकिन कुछ अच्छी खबरें भी हैं। दिल के दौरे एवं हृदय रोग का कारण बनने वाले अनेक जोखिम कारकों पर काबू पाया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाना एक अच्छी शुरुआत है। धूम्रपान छोड़ना, सक्रिय रहना और वजन कम करना आदि दिल के दौरे के खतरे को कम करने के तरीके हैं।
हालांकि लोग अपने परिवार के इतिहास को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, अगर वे जानते हैं कि उनके साथ ऐसा जोखिम है तो उन्हें अपने हृदय के स्वास्थ्य के प्रति अधिक सतर्क रहना चाहिए, खासकर तब जब वे अच्छा महसूस नहीं कर रहे हों।
हालांकि षोधकर्ताओं ने इस बात की पुश्टि की है कि ऐसे संकेत हैं कि महिलाओं और पुरुशों के बीच की यह खाई कम हो रही है। उनका कहना है कि हाल के वर्षों में, महिलाओं के लिए दिल के रोगों से होने वाली मौतों में काफी गिरावट आई है। विशेषज्ञों का अंतिम निष्कर्ष यह है कि चिकित्सा समुदाओं और आम जनता को अधिक से अधिक षिक्षित होने तथा महिलाओं को हृदय रोग के जोखिम के बारे में अधिक जागरूक होने की जरूरत है।
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