दिल का दौरा आज के समय का सबसे बड़ा हत्यारा है लेकिन हाल के एक अध्ययन से निष्कर्ष निकला है कि स्वस्थ एवं संतुलित यौन क्रिया दिल के दौरे से बचाती है।
हमारे देश में हर साल तकरीबन 25 लाख लोग दिल के दौरे के कारण असामयिक मौत के ग्रास बन रहे हैं। दिल के दौरे के प्रकोप में तेजी से हो रही वृद्धि का एक प्रमुख कारण स्थूल जीवन शैली एवं नियमित व्यायाम नही करने की हमारी आदत है। ऐसे लोगों के लिये एक खुशखबरी है कि सप्ताह में तीन से चार बार सुरक्षित एवं स्वस्थ सेक्स करने से व्यायाम की कमी एक हद तक दूर हो जाती है तथा दिल के दौरे की आशंका आधी रह जाती है। यह अध्ययन हाल में आस्ट्रेलिया के ब्रिस्टल रिसर्च में किया गया।
नयी दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग चिकित्सक डा. के.के.सक्सेना बताते हैं कि अगर विश्वसनीय जीवन साथी के साथ सेक्स किया जाये तो न केवल पूरे शरीर का समुचित व्यायाम हो जाता है बल्कि मस्तिष्क तनावरहित हो जाता है। ऐसे में हृदय रोगों तथा दिल के दौरे की आशंका कम होती है।
आम तौर पर हृदय रोगियों को सेक्स से बचने की सलाह दी जाती है लेकिन नवीनतम अध्ययन इस आम धारणा को खारिज करते हैं।
ब्रिस्टल युनिवर्सिटी में दिल के दौरे को रोकने में सेक्स की भूमिका के बारे में किये गये इस नवीनतम अध्ययन से निष्कर्ष निकला है कि सेक्स दरअसल स्क्वैश अथवा लंबी दौड़ जैसे व्यायाम की तरह ही लाभदायक है और इसलिये यह हृदय रोगों एवं दिल के दौरे से बचाने में सहायक साबित हो सकता है। डा. सक्सेना बताते हैं कि विश्वसनीय साथी के साथ स्वस्थ एवं सुरक्षित सेक्स के अलावा वसायुक्त आहार का सेवन कम करने, वजन पर नियंत्रण रखने और धूम्रपान से दूर रहने से भी दिल के दौरा का खतरा कम रहता है।
डा. सक्सेना के अनुसार दिल का दौरा सामान्यतः हृदय की रक्त धमनियों में काॅलेस्ट्राॅल आदि के जमाव के कारण रुकावट होने के कारण होता है। हमारे देश में दिल का दौरा अत्यंत सामान्य समस्या है और दुर्भाग्य से मौजूदा समय में यह समस्या युवकों में भी तेजी से बढ़ रही है।
वेल्लौर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल काॅलेज में काम कर चुके डा. सक्सेना बताते हैं कि दिल का दौरा पड़ने के सबसे सामान्य लक्षण छाती के बीच में तेज दर्द होना, पसीना आना तथा सांस लेने में तकलीफ होना है। मरीज को ये शिकायतें होने पर तत्काल एस्प्रिन की एक गोली खानी चाहिये और शीघ्रताशीघ्र हृदय रोग चिकित्सक के पास पहुंचना चाहिये। अगर छह घंटे के भीतर हृदय की अवरुद्ध धमनी को खोल दिया जाये तथा उनमें रक्त प्रवाह चालू कर दिया जाये तो न केवल मरीज की जान बचायी जा सकती है बल्कि हृदय को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।
आस्ट्रेलिया के राॅयल एडिलेड अस्पताल से एंजियोप्लास्टी का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले डा. सक्सेना बताते हैं कि हृदय की बंद रक्त धमनियों को खोलने के लिये कई तरीके हैं। इनमें सबसे अधिक प्रचलित तरीका है बंद रक्त धमनी को दवाइयों से खोलना। इसके लिये स्ट्रेप्टोकोनाइनेज या यूरोकाइनेज नामक इंजेक्शन आधे से एक घंटे के अंतराल पर ड्रिप के रूप में दिये जाते हैं। इससे खून का जमाव धीरे-धीरे कम होता है। इसकी सफलता दर करीब 60-70 प्रतिशत होती है। लेकिन यह तरीका हर मरीजों के लिये उपयोगी नहीं है। खास तौर पर उन मरीजों को जिन्हें पेप्टिक अल्सर या बे्रन हैमरेज हुआ हो। दूसरा तरीका यह है कि अगर मरीज दिल का दौरा पड़ने के छह घंटे के भीतर अस्पताल पहुंच जाये और अस्पताल में नवीनतम सुविधायें मौजूद हो तो एंजियोप्लास्टी अथवा बैलूनिंग के जरिये बंद धमनी को खोल दिया जाता है। इसके लिये प्रशिक्षित चिकित्सकों तथा कैथ लैब की जरूरत होती है। एंजियोप्लास्टी की सफलता की दर 99 प्रतिशत तक होती है। कुछ मरीजों में धमनी को खोलने के बाद वहां विशेष स्टंट लगाने की जरूरत पड़ती है ताकि वहां दोबारा जमाव नहीं हो।
एंजियोप्लास्टी जैसी इनवैसिव तकनीकों के विशेषज्ञ डा. सक्सेना बताते हैं कि दिल के दौरे से गुजर चुके मरीजों में से करीब 40-50 प्रतिशत मरीजों को केवल दवाइयों से भी ठीक किया जा सकता है। लेकिन ऐसे मरीजों का कुछ दिन के बाद ट्रेड मिल टेस्ट एवं एंजियोग्राम करके यह पता लगाया जाता है कि उन्हें एंजियोप्लास्टी या बाई पास सर्जरी की जरूरत है या नहीं।
दिल के दौरे के उपचार के बाद मरीज को ऐसे हर कदम उठाने चाहिये ताकि दोबारा काॅलेस्ट्राॅल जमने का खतरा न हो। डा. सक्सेना का सुझाव है कि मरीज को मक्खन, घी, मिठाई, आईसक्रीम एवं चाकलेट जैसी काॅलेस्ट्राॅल बढ़ाने वाली चीजों का सेवन बिल्कुल बंद कर देना चाहिये। इसके अलावा धूम्रपान से पूरी तरह परहेज करना चाहिये क्योंकि इससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बहुत अधिक होता है। इसके अलावा अगर मरीज को मधुमेह अथवा रक्त चाप है तो उसे इन बीमारियों पर नियंत्रण रखना चाहिये। डा. सक्सेना के अनुसार मरीज को दिल के दौरे के उपचार के बाद विशेष व्यायाम करने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। दिल के दौरे से उबरने के बाद मरीज को नियमित व्यायाम की जरूरत पड़ती है क्योंकि इससे रक्त धमनियों में रक्त प्रवाह बढ़ता है और हृदय की मांसपेशियों की क्षमता भी बढ़ती है।
डा. सक्सेना बताते हैं कि दिल का दौरा पड़ने के एक सप्ताह तक मरीज को विश्राम करने की सलाह दी जाती है। इसके बाद मरीज का ट्रेड मिल परीक्षण किया जाता है। अगर परीक्षण में मरीज सामान्य आये तो वह दोबारा धीरे-धीरे सेक्स कर सकता है। एक माह के बाद वह सामान्य तौर पर सेक्स कर सकता है। लेकिन मरीज को नियमित रूप से अपने चिकित्सक से परामर्श लेते रहना चाहिये।
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