वर्तमान समय में स्तन कैंसर के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं और इसका मुख्य कारण है जीवन शैली में बदलाव। आज के समय में देर से षादी करना, बच्चों को दूध नहीं पिलाना, व्यायाम नहीं करना, षराब सेवन एवं धूम्रपान करना तथा फास्ट फुड खाने जैसे चलन तेजी से बढ़ रहे हैं और ये सभी स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं।
हालांकि स्तन कैंसर के ऐसे कई कारण हैं जिन पर हमारा काबू नहीं है लेकिन ऐसे कई कारण हैं और खान-पान तथा रहन सहन की ऐसी कई आदते हैं जिनमें बदलाव लाकर स्तन कैंसर से बचा जा सकता है।
नई दिल्ली स्थित ओंकोप्लस कैंसर केयर सेंटर में वरिश्ठ स्त्री रोग विषेशज्ञ डा. बी. डी. हसिजा कहती हैं कि स्तन कैसर के खतरे को बढ़ाने वाले वैसे अनेक कारण हैं जिनको बदलना हमारे हाथ में हैं। उन्हें अनुसार स्तन कैंसर के वे जोखिम कारण, जिन्हें आप बदल सकते हैं इस प्रकार हैं:
शराब का सेवन: एक दिन में 1-2 गिलास शराब पीने से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
बच्चे नहीं पैदा करना या देर से बच्चे पैदा करना: कभी बच्चा पैदा नहीं करने वाली या 30 साल की उम्र के बाद बच्चे पैदा करने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है जबकि एक से अधिक बार गर्भधारण करने और कम उम्र में बच्चे पैदा करने पर स्तन कैंसर का खतरा कम होता है।
स्तनपान नहीं कराना: जो महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान नहीं कराती हैं उन्हें स्तन कैंसर का खतरा अधिक होता है।
एचआरटी और डीईएस: कुछ सालों तक एचआरटी लेने या गर्भस्राव की रोकथाम के लिए डीईएस (डाई एथाइल स्टाइलबेस्ट्रोल) लेने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
मोटापा: मोटापा का भी स्तन कैंसर से संबंध है। मोटी महिलाओं में अधिक एस्ट्रोजन उत्पन्न होते हैं जो स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
विकिरण: 30 वर्ष की आयु से पहले छाती के विकिरण के संपर्क में आने पर स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। विषेशकर स्तन के विकास के दौरान रेडियेषन देने पर इसका खतरा बढ़ जाता है।
षारीरिक श्रम नहीं करना: शारीरिक श्रम में कमी से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ता है और साथ ही मोटापा और अधिक वजन के कारण इसका खतरा और बढ़ जाता है।
खराब आहार का सेवन: चीनी के अधिक सेवन से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है और फेफड़ों तक फैल जाता है।
ओंकोप्लस कैंसर केयर सेंटर के मेडिकल आॅंकोलाॅजिस्ट डा. सुमंत गुप्ता का सुझाव है कि कुछ उपाय बरत कर स्तन कैंसर से बचा जा सकता है। उनके अनुसार स्तन कैंसर से बचने के लिए महिलाओं को एचआरटी और गर्भ निरोधक गोलियों से परहेज करना चाहिए और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा सप्ताह में कम से कम 5 दिन व्यायाम करना चाहिए। आहार में फाइबर और ओमेगा 3 फैटी एसिड लेना चाहिए तथा शर्करा युक्त आहार के सेवन से बचना चाहिए। उन्हें पर्याप्त नींद लेनी चाहिए, आषावादी सोच एवं सकारात्मक दृष्टिकोण और भावनाएं रखनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से स्तन कैंसर का खतरा कम होता है।
नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में वरिश्ठ स्त्री रोग एवं प्रसूति विषेशज्ञ रह चुकी डाॅ. बी. डी. हसिजा कहती हैं कि महिलाओं को अपने स्तन का नियमित रूप से स्वयं परीक्षण करना चाहिए और स्तन या छाती में दर्द और असुविधा, स्तन में खुजली, पीठ के ऊपरी हिस्से, कंधे और गर्दन में दर्द, स्तन के आकार में परिवर्तन, स्तन में गांठ, निप्पल के आकार में परिवर्तन या संवेदनशीलता, स्तन में लाली या सूजन, कांख में सूजन या गांठ आदि स्तन कैंसर के संकेत हो सकते हैं और इसलिए अगर ऐसे लक्षण प्रकट हों तो तत्काल कैंसर विषेशज्ञ से जांच करानी चाहिए।
स्तन कैंसर से कैसे बचें
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