घर-दफ्तर के तनाव दिल के दौरे के ही नहीं, दमा के जानलेवा दौरे के भी कारण बन सकते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि तनाव, एंग्जाइटी और घबराहट दमा के दौरे उत्पन्न कर सकते हैं। इनका श्वसन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। दमा का दौरा पड़ने पर व्यक्ति और अधिक तनावग्रस्त हो जाता है जिससे उसकी हालत और अधिक खराब हो जाती है। उसे सांस लेने में दिक्कत, घुटन, बेचैनी, सुस्ती, छाती में जकड़न और दर्द होने लगता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ लोग अति संवेदनशील होते हैं। उनमें तनाव की स्थिति में नर्व श्वास नली को आवेश भेजता है जिससे श्वास नली में अवरोध पैदा हो जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति छाती में जकड़न और सांस लेने में दिक्कत महसूस करता है। इससे तनाव और अधिक बढ़ जाता है, श्वास नली का अवरोध भी बढ़ जाता है और मरीज की हालत खराब हो जाती है।
दमा के कुछ रोगियों में कई बार कुछ सप्ताह या महीनों तक दमा के लक्षण प्रकट नहीं होते हैं। उन्हें लगने लगता है कि उनकी बीमारी अब ठीक हो गयी है और वे लापरवाही बरतने लगते हैं। लेकिन उसके बाद उन्हंे अचानक दमा प्रकट हो जाता है और वे बहुत अधिक तनावग्रस्त हो जाते हैं, जिससे दमे के दौरे की आशंका बढ़ती है। मौजूदा समय में तनाव, प्रदूषण, धूम्रपान, भाग-दौड़ तथा गलत खान-पान और रहन-सहन के कारण पिछले दो दशकों में दमा के प्रकोप में भयानक वृद्धि हुयी है। आज करीब दो प्रतिशत लोग दमा एवं श्वसन संबंधी अन्य समस्याओं से ग्रस्त हैं।
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