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वजन घटाना है तो सही समय पर खाइये 

वजन कम करने के लिए लोग आम तौर पर एक ही उपाय करते हैं कम खाना और अधिक व्यायाम करना। लेकिन वजन कम करने का एक और मंत्र मिल गया है-दिन में सही समय पर खाना।
नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में किये गए एक अध्ययन में पाया गया है कि खाने पीने के समय में अनियमितता उतना ही नुकसानदेह है जितना मध्य रात्रि में खाना क्योंकि उस समय शरीर सोना चाहता है और उस समय खाना खाने पर शरीर वजन प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित होता है। शरीर की जैविक प्रक्रिया के द्वारा उर्जा का नियंत्रण इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भोजन का समय और वजन में वृद्धि के आपसी संबंध पर किया गया यह संभवतः पहला अध्ययन है।
वीनबर्ग कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज में न्यूरोबायोलॉजी और फिजियोलॉजी के प्रोफेसर और सेंटर फॉर स्लीप एंड सरकेडियन बायोलॉजी के प्रोफेसर फ्रेड टुरेक कहते हैं, ''कोई व्यक्ति कैसे और क्यों वजन प्राप्त कर लेता है यह समझ पाना बहुत ही मुश्किल है लेकिन यह सिर्फ कैलोरी ग्रहण करने और कैलोरी के खर्च करने पर निर्भर नहीं होता है। मोटापे की प्रवृत्ति को नियंत्रित करने के लिए कुछ अन्य कारक भी जिम्मेदार होते हैं। मोटापा की प्रवृत्ति को धीमा करने में भोजन का सही समय एक मुख्य कारक है।''
हेल्थ एंड मेडिसीन में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि मनुष्य में मोटापा को नियंत्रित करने के लिए इस अध्ययन का सहारा लिया जा सकता है। इस समय दुनिया भर में 30 करोड़ से अधिक लोग मोटापे के षिकार हैं। 
इस अध्ययन के प्रमुख और टुरेक के प्रयोगशाल में डॉक्टोरल के छात्र डियाना एम. अरबल कहते हैं, ''हमारा एक अनुसंधान शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों पर केंद्रित है जिनमें मोटापे की प्रवृत्ति अधिक होती है। उनकी दिनचर्या ऐसी होती है जिसमें उनके भोजन का एक समय नहीं होता है जिससे उनके शरीर की प्राकृतिक लय प्रभावित होती है। इस अध्ययन के नतीजे ने हमें यह सोचने के लिए बाध्य किया कि दिन में गलत समय पर खाने से वजन में वृद्धि हो सकती है और इसी सोच को आधार मानते हुए हमने अपना अध्ययन शुरू किया।''
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि सिर्फ खाने के समय में परिवर्तन करने से ही शारीरिक वजन प्रभावित हो जाता है। अनुसंधानकर्ताओं ने चूहों पर किये गए इस अध्ययन में पाया कि जिन चूहों ने सोने के सामान्य समय के दौरान अधिक वसा युक्त आहार का सेवन किया उन्होंने उन चूहों की तुलना में अधिक वजन प्राप्त कर लिया जिन्होंने सामान्य रूप से जागृत समय के दौरान उसी प्रकार के और उसी मात्रा में भोजन किया था। सोने के सामान्य समय के दौरान भोजन करने वाले चूहों ने सामान्य वजन से 48 प्रतिशत अधिक वजन प्राप्त कर लिया जबकि सामान्य रूप से जागृत समय के दौरान भोजन करने वाले चूहों ने 20 प्रतिशत अधिक वजन प्राप्त किया। दोनों प्रकार के चूहों ने एक समान कैलोरी ही ली थी और उनकी सक्रियता भी एक समान ही रखी गयी।
इस अध्ययन के तहत छह महीने तक दोनों समूहों के चूहों को उनके भोजन के 12 घंटे के समय के दौरान उनकी इच्छानुसार अधिक वसायुक्त आहार दिया गया था। चूंकि चूहे निशाचर होते हैं इसलिए सोने के सामान्य समय के दौरान दिन में भोजन करने वाले चूहों को दिन में 12 घंटे के दौरान भोजन दिया गया और रात्रि में जागने के सामान्य समय के दौरान भोजन करने वाले चूहों को रात में 12 घंटे के दौरान भोजन दिया गया। दूसरे 12 घंटे के दौरान उन्हें भोजन नहीं दिया गया था। 
हमारी जैविक घड़ी दिन और रात के चक्र को ध्यान में रखते हुए हमारे रोजमर्रा के खाने, शारीरिक सक्रियता और नींद पर नजर रखती है। इस अध्ययन में पाया गया कि शरीर की अंदरूनी घड़ी भी हमारे द्वारा उर्जा के इस्तेमाल को नियंत्रित करती है। इस तरह वह कैलोरी ग्रहण और खर्च के बीच संतुलन में भोजन के समय को भी ध्यान में रखने का सुझाव देती है।     


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