– विनोद कुमार
बारिश का मौसम निश्चित रूप से तेज गर्मी से राहत दिलाता है, लेकिन साथ ही साथ इस मौसम में रोगों से सुरक्षा करने की हमारी क्षमता – इम्युन क्षमता घट जाती है और हमें विभिन्न तरह की संक्रामक बीमारियां होने का खतरा अधिक होता है। साल के इन महीनों के दौरान वायरल संक्रमण, गले में खराश, खांसी और सर्दी जैसी समस्याएं बहुत आम हैं क्योंकि मानसून का मौसम सूक्ष्मजीवों के विकास और प्रजनन के लिए सही जलवायु प्रदान करता है। ऐसी परिस्थितियों में, आपको अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए।
मानसून के दौरान वायरल रोग सबसे आम हैं और लोगों को इन बीमारियों से बचने के लिए एहतियात बरतनी चाहिए। वायरल संक्रमण संक्रामक हैं और इसके कारण नियमित फ्लू, बुखार, पेट की समस्याओं से लेकर स्वाइन फ्लू जैसे गंभीर संक्रमण तक हो सकते हैं। बहुत आसान एहतियाती उपायों को अपना कर आप अपने आप को कीटाणुओं और संक्रमणों से सुरक्षित रख सकते हैं।
मानसून के दौरान होने वाली बारिश चिलचिलाती गर्मी से राहत जरूर दिलाती है, लेकिन इससे सर्दी और खांसी जैसी कई बीमारियां और सांस की गंभीर बीमारियां भी होती हैं। तापमान में अचानक गिरावट के कारण वायरल एवं बैक्टीरियल संक्रमण खास तौर पर श्वसनतंत्र की समस्याएं और अन्य बीमारियां मामूली टॉन्सिलिटिस, सर्दी और सूखी खांसी के रूप में शुरू हो सकती हैं लेकिन वे धीरे-धीरे शरीर के बाकी हिस्सों में भी फैल सकते हैं।
मानसून रोग
मानसून में फ्लू या सामान्य सर्दी और निमोनिया बहुत ही आम हैं। बैक्टीरिया या वायरस के कारण, इन बीमारियों के लक्षण कुछ दिनों में धीरे-धीरे विकसित हो सकते हैं या तेजी से बढ़ सकते हैं। श्वसन संबंधी बीमारी का मुख्य लक्षण खांसी है। इससे ग्रस्त किसी भी व्यक्ति को इनमें से कम से कम एक लक्षण अवश्य होंगे – बलगम वाली खांसी, शरीर का अधिक तापमान, पसीना आना और कंपकंपी, सांस लेने में कठिनाई या सामान्य से अधिक तेजी से सांस चलना, सीने में दर्द या बेचैनी और भूख न लगना आदि। ये लक्षण अक्सर छाती में होने वाले संक्रमणों के समान होते हैं, जैसे कि ब्रोंकाइटिस, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और अस्थमा आदि।
रोग के प्रमुख कारण क्या हैं?
बारिश के दौरान भीगने से एलर्जी ट्रिगर होती है जिससे सर्दी–खांखी और गले में खराश जैसी समस्या होती है और अगर इनकी अनदेखी की जाए तो यह समस्या फेफड़ों तक जा सकती है और इससे बलगम वाली खांसी हो सकती है। इसके अलावा, छाती में संक्रमण से कुछ अतिसंवेदनशील व्यक्तियों की छाती में घरघराहट की समस्या पैदा हो सकती है जो अस्थमा में बदल सकता है। संक्रमण अस्थमा के प्राथमिक कारणों में से एक है, खासकर बच्चों में। पीले रंग के बलगम का आना गंभीर संक्रमण का संकेत है और इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
संक्रमण होने और उसके खतरे को कम करने के लिए कुछ सुझाव
खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक टिश्यू पेपर से ढक लें। अपने आसपास के अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें। कीटाणुओं के फैलाव को कम करने के लिए अपने मुंह को अपनी कोहनी या अपनी बांह से ढक कर खांसें। उपयोग में लाए गए टिश्यू को जितना जल्द हो सकें फेंक दें। हाथ को बार–बार धोयें अथवा सैनिटाइजर जेल से हाथ साफ करें। ऐसी स्थितियों से बचें जिसमें आपको ठंड या फ्लू होने का खतरा हो सकता है। उन लोगों के संपर्क में आने से बचें जिनमें ठंड के लक्षण हैं।
अगर आपके लिए बाहर का मौसम बहुत अधिक ठंडा है या आप अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं या आपको सांस लेने में परेशानी हो रही है, तो घर के अंदर रहें और अपने को गर्म रखे। यदि आपके पास रिलीवर इनहेलर है, तो बाहर जाने से आधे घंटे पहले इसका उपयोग करें। अपने साथ रिलीवर दवाई को साथ रखें और जैसे ही आपको सांस लेने में दिक्कत हो या श्वसन नली में संकरापन महसूस हो तो इसका प्रयोग करें। आप मुंह से सांस लेने के बजाय नाक से सांस लेने की कोशिश करें क्योंकि इससे आप जिस हवा को ले रहे हैं उसे गर्म रखने में मदद मिलेगी। आप स्कार्फ या कपड़े से नाक एवं चेहरे को ढक कर रखें ताकि आपके फेफडे एवं श्वसन मार्ग का बचाव हो। नाक एवं मुंह को ढकने के लिए मुलायम कपड़े का उपयोग करें।
बारिश के मौसम में वायरल संक्रमण को रोकें
स्वच्छता
उचित स्वच्छता बनाए रखने से मानसून के दौरान वायरल संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है। छींकने, खांसने, पेटिंग, बागवानी, वॉशरूम का उपयोग तथा भोजन से पहले और बाद में अपने हाथों को निश्चित तौर पर धोएं। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करें कि चोट और जख्म आदि से बचे रहें ताकि आप बैक्टीरिया संक्रमण से बचे रहें।
घर का बना खाना खाएं
आप जो खाते हैं उससे यह निर्धारित होता है कि आपको वायरस और संक्रमण की चपेट में आने का खतरा कितना अधिक है। मानसून के दौरान, आप वैसे खाद्य पदार्थ लें जो आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देते हैं। बारिश के मौसम में बाहर के खाने से बचें। वैसे अनहेल्दी वातावरण में रहने से बचें क्योंकि ऐसे वातावरण में बहुत सारे कीटाणु पैदा होते हैं। बारिश के मौसम में, कटे हुए फल और सब्जियां खाने से भी परहेज करें।
हाइड्रेटेड रहें
अपने आप को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखें। यह हर समय के लिए उपयोगी सलाह है और आपके हित में काम करेगा। इससे आप अपने आपको स्वस्थ महसूस करेंगे। इससे बीमारियों की चपेट में आने से बचे रहेंगे। वजन घटाने में सहायता प्रदान करने के अलावा हाइड्रेटेड रहने से कीटाणुओं और संक्रमणों से लड़ने में मदद मिल सकती है।
अच्छी नींद लें
स्वस्थ प्रतिरक्षा के लिए एक रात में अच्छी नींद आना महत्वपूर्ण है। अगर आप रोजाना सही तरीके से नींद नहीं लेते या आप रोजाना छह घंटे से कम की नींद लेते हैं तो आपकी नींद पूरी नहीं होगी जिससे आप थका हुआ महसूस करें। इससे शरीर कमजोर होता है और संक्रमण और वायरल बुखार होने का खतरा अधिक होता है।
दूषित जल स्रोतों पर ध्यान दें
जितना हाइड्रेटेड रहना महत्वपूर्ण है, उतना ही यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि पानी शुद्ध और स्वच्छ हो।
खाना पकाने से पहले फलों और सब्जियों को धोएं
यह हर मौसम के लिए महत्वपूर्ण सलाह है। खाना पकाने से पहले, सब्जियों और फलों को अच्छी तरह से धो लें। आपको मिलने वाले फल एवं सब्जियां आप तक पहुंचने के पहले धूल–गंदगी और खतरनाक वैक्टीरिया से होकर आपके पास आते हैं और अगर इन्हें धोए एवं साफ किए बगैर खा लिया जाए तो इससे वायरल बुखार एवं संक्रमण हो सकता है।
सर्दी या बुखार होने पर चीजों को साझा करने से परहेज करें
जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, वायरल बुखार संक्रामक है। यदि आप पहले से किसी संक्रमण से पीड़ित हैं या आपको सर्दी या खांसी है, तो किसी के साथ अपने भोजन और पेय को साझा करने से बचें। केवल कुछ जीवाणु भी किसी संक्रमित व्यक्ति से किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करके संक्रमित कर सकते हैं।
रोकथाम इलाज से बेहतर है
बारिश के मौसम में अपनी सुरक्षा करें। अपने आप को गर्म रखें और प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों जैसे गर्म सूप और पत्तेदार हरी सब्जियों का सेवन करें।
मानसून में कोविड — 19
नोवेल कोरोनावायरस के उद्भव के बाद से, इस बात पर अक्सर विवाद होता रहा है कि यह वायरस बदलते मौसम में किस तरह से व्यवहार करेगा। श्वसन वायरस के संक्रमण आम तौर पर गर्म तापमान में घटते हैं क्योंकि ऐसे वातावरण में वायरस के जीवित रहने की अवधि घट जाती है और साथ ही साथ इसका संक्रमण घट जाता है। हालांकि अब इस बात के प्रमाण मिल रहे हैं कि कोविड – 19 का प्रकोप घट नहीं रहा है यहां तक कि गर्मियों के महीनों में भी।
किसी भी वायरल संक्रमण का प्रसार मुख्य रूप से तीन कारकों पर निर्भर करता है - मौसमी परिवर्तन, मानव व्यवहार पैटर्न और वायरस की विशेषताएं। कोविड - 19 इन्फ्लूएंजा फ्लू जैसे समान लक्षणों वाली एक श्वसन बीमारी है, और मानसून के महीनों के दौरान मौसमी फ्लू के मामलों में वृद्धि होती है।
इस बात पर अभी तक कोई निर्णायक प्रमाण नहीं है कि मौसम के पैरामीटर नोवेल कोरोनावायरस के प्रसार को किस हद तक प्रभावित करते हैं। यह स्थापित ज्ञान है कि तापमान और आर्द्रता वायरस को प्रभावित करते हैं। एक बात स्पष्ट हो गई है कि अनेक कारक इस घातक वायरस के प्रसार को प्रभावित करते हैं और केवल मौसम के पैरामीटर इसके फैलाव को रोक नहीं सकते हैं।
हालांकि वैज्ञानिक इस बात पर ध्यान रख रहे हैं कि मानसून के महीनों के दौरान कोविड - 19 किस तरह से बढ़ता है लेकिन हमारे लिए सोशल डिस्टेंसिंग एवं स्वच्छता को जारी रखना जरूरी है।
0 Comments: