– विनोद कुमार‚ हेल्थ रिपोर्टर
सेहतमंद और कुशल रहने का मेरा मंत्र हमेशा से यह रहा है कि आप जो भी खाएं वह न तो ज्यादा हो और न ही कम हो। वर्षों से अपनी पुस्तकों में और अपने व्याख्यानों में मैं लगातार इसी बात को दोहराती रही हूं और मैं लगातार इसी बात पर दृढ रही हूं। आपको भोजन की थाली में से किसी खास व्यंजन या खाद्य पदार्थ को प्रतिबंधित करने की जरूरत नहीं है बल्कि जो अच्छा खाद्य पदार्थ है उसे अधिक मात्रा में लें और जो खराब खाद्य पदार्थ है उसे कम मात्रा में लें।
ऐसा करना हमेशा फायदेमंद होता है। और ऐसा होता है क्योंकि यह हमारी थाली की
हमारी सदियों पुरानी परम्परा पर आधारित है। इसके दो मजबूत स्तंभ हैं – खाद्य पदार्थों
में विविधता और सभी खाद्य पदार्थों की मात्रा का समुचित नियंत्रण।
आज हमारे देश में जीवनशैली की बीमारियों का प्रकोप है। हमारा देश मधुमेह की वैश्विक राजधानी
बन गया है। यहां मोटापा और कुपोषण दोनों का बराबर का प्रकोप है। हृदय रोग भी बहुत व्यापक है और उच्च रक्तचाप गंभीर और मूक हत्यारा बना हुआ है। इन बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढती जा रही है और यह संख्या बहुत
डरावनी है। इन बीमारियों से लाखों लोग पीड़ित हैं और इन बीमारियों के उपचार पर भारी खर्च कर रहे हैं।
जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां आज महामारी बन चुकी हैं। इन बीमारियों के फैलने का कारण
यह है कि पिछले कुछ दशकों के दौरान हमने सुविधाजनक और आरामतलब जीवन को अपना लिया है
और हमने धीरे–धीरे करके अपने सभी पारंपरिक आहार तथा आहार मूल्यों को त्याग दिया है
और हमने स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली नकारात्मक आहार आदतों को अपना लिया है। हमने खाने पीने के सदियों पुरानी उन परम्पराओं
को छोड दिया है जो समय की कसौटी पर खरी साबित हुई थी। हमने आधी–अधूरी जानकारियों के
आधार पर उन खाद्य पदाथों को अपना लिया है जिनके कारण हमारी सेहत को भारी कीमत चुकानी
पड रही है।
हमने कई सारी गलतियां की है लेकिन मुझे जिस बात को लेकर सबसे अधिक दुख होता
है वह है थाली में विभिन्न व्यंजनों को समुचित अनुपात में रखकर खाने की हमारी पुरानी
परम्परा का त्याग कर दिया जाना। थाली प्रणाली में हर खाद्य पदार्थ की अलग–अलग मात्रा
होती थी और स्वतः ही गुणवत्ता संबंधी नियंत्रण हो जाता थ।
हमारे साथ समस्या यह है कि अक्सर हम हर चीज (सही या गलत) का बहुत अधिक सेवन करते हैं। दोष पूरी तरह से हमारा नहीं है – हम अपने चारों तरफ – टेलीविजन
पर, मॉल में, रेस्तरां में सब जगह खाने पीने की आकर्षक चीजों को देखते हैं और हम उन्हें खाने को लालायित
हो जाते हैं – और हम बिना सोचे समझे इन सब चीजों को अधिक मात्रा में खा लेते हैं।
जबकि यह बात स्पष्ट रूप से गलत (उच्च वसा और कैलोरी) भोजन पर लागू होता है साथ ही यह बात
कम कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों के लिए भी सही है। क्योंकि सही खाद्य पदार्थों की बहुत अधिक मात्रा लेने से भी कैलोरी अनियंत्रित हो जा सकती है। पानी को छोड़कर कोई भी भोजन शून्य कैलोरी वाली नहीं है। इसलिए यदि आप कोई भी खास
खाद्य पदार्थ अधिक मात्रा में खाते हैं तो आप अधिक कैलोरी लेते हैं। इस तरह से
कैलोरी जुडती चली जाती है भले ही वह कैलोरी सही भोजन के माध्यम से हमारे शरीर में जाती
है। इसलिए वजन पर नियंत्रण रखने के लिए जरूरी है कि जो भी खाद्य पदार्थ ले रहे हैं
वह सही मात्रा में लें और इसका पालन सुविचारित एवं सुव्यवस्थित तरीके से करें। इसके
अलावा आपको सभी पोषक तत्वों की सही मात्रा को सुनिश्चित करना जरूरी है। यह मैक्रो पोषक तत्वों - प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा, साथ ही आवश्यक विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों के सही और संतुलित सेवन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
हम जिस खाद्य पदार्थ को जिस मात्रा में खाते हैं उससे केवल यह तय नहीं होता
है कि हम रोजाना कितनी मात्रा में अतिरिक्त कैलोरी ले रहे हैं या अतिरिक्त कैलोरी कम कर रहे हैं बल्कि यह भी तय होता है कि हम
दैनिक आधार पर कितने आवश्यक पोषक तत्व को प्राप्त कर रहे हैं क्योंकि खाद्य
पदार्थों की मात्रा और उनसे मिलने वाला पोषण एक दूसरे के साथ जुडा है। इसलिए यह जरूरी
है कि हम विभिन्न खाद्य पदार्थों की मात्रा को भी सुविचारित तरीके से ग्रहण करें। क्योंकि हम वास्तव में हर दिन स्कोर करने में सक्षम हैं, क्योंकि मात्रा और पोषण एक साथ जुड़े हुए हैं। इसलिए जब तक यह एक स्वचालित आदत नहीं बन जाता, तब तक होशपूर्वक और दैनिक रूप से भाग नियंत्रण का अभ्यास करना महत्वपूर्ण है।
बदलाव का समय
बिगड़ती स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने का अब समय आ गया है कि हम न केवल अपने खाने पीने की चीजों, बल्कि हमारे खाने के तरीके को भी बदलें। इससे कम कुछ भी हमारे स्वास्थ्य को पटरी पर लाने में मदद नहीं करेगा।
यह स्वस्थ खाने के लिए सबसे आम चुनौती को समाप्त करने का समय है: हमें क्या खाना है और कितनी मात्रा में खाना है इसके बारे में भ्रम
यह समय पोषण (अच्छा पोषण) और अंश (मात्रा) दोनों के महत्व को जानने और थाली प्रणाली पर वापस जाने और सही मात्रा और विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों के साथ ʺमेरी थालीʺ बनाने का है।
प्रतिदिन इस तरह भोजन करना – मेरी थाली की अवधारणा का पालन करना - जो हमें जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से न सिर्फ बचाने में मदद करती है, उन्हें रोकने में भी मदद करती है, बल्कि यह उन्हें काफी हद तक उल्टा भी कर देती है।
यह समय है कि थालियों को फिर से बाहर निकाला जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि पूरा परिवार उनमें भोजन करे।
0 Comments