- डा. अनिता सिंगला, विजिटिंग कंसल्टेंट, आब्स्टेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी , फोर्टिस हाॅस्पीटल एवं जेपी हास्पीटल, नौएडा
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पिछले कई दिनों से नौएडा, ग्रेटर नौएडा सहित दिल्ली -एनसीआर में प्रदूषण काफी बढ़ गया है। सर्दी के आगमन के साथ ही आसमान पर स्मॉग की चादर तनने लगी है। दिवाली में वैसे भी आतिशबाजी के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। प्रदूषण न केवल घर के बाहर बल्कि घर के भीतर भी होता है। अक्सर घरों में बेहतर वेंटिलेशन सिस्टम की कमी होती है। लेकिन जब बाहर भी प्रदूषण होता है तो दरवाजों और खिड़कियों को भी बंद रखना पड़ता है। इसके कारण घर का प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता। दिल्ली-नौएडा सहित एनसीआर में घरों के अंदर कई हानिकारक गैसों की मात्रा सुरक्षित सीमा से बहुत अधिक पाई गई है। घरों में किचन से निकलने वाली गैसें, वाशरूम से निकलने वाली गंध, केमिकल क्लीनिंग सोल्युशन, ऐडहीसिव, ऑयल डिफ्यूजर, डियोड्रेंट, परफ्यूम, मॉस्किटो रिपेलेंट, कारपेट, पेंट, लकड़ी के फर्नीचर और घर के अन्य सामानों से निकलने वाले हानिकारक गैसें और गंध कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती हैं।
महिलाओं पर प्रदूषण का असर
घर और बाहर के प्रदूषण से कई बीमारियां होती हैं जिनमें श्वास संबंधी बीमारियां, हाइपरटेंशनए कैंसर और हृदय रोग प्रमुख है। जिन्हें सांस और साइनस है उन्हें अधिक हो सकता है। यही नहीं प्रदूषण से महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है और समयपूर्व प्रसव एवं गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। प्रदूषण से गर्भवती महिलाएं ही नहीं बल्कि अजन्मे बच्चे भी प्रभावित हो सकते हैं। दरअसल, वायु प्रदूषण से खतरनाक और काफी महीन कण नाक और मुंह के रास्ते फेफड़ों तक पहुंचते हैं। ये सांस की नली में सूजन बढ़ा देते हैं।
ये हानिकारक कण गर्भवती महिलाओं के अलावा बुजुर्गों और खास तौर पर सांस के मरीजों के लिए ज्यादा नुकसानदेह होते हैं। गर्भ में पल रहे बच्चे को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
दिवाली में गर्भवती महिलाएं खास ख्याल रखें
दिवाली के दौरान बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पटाखों के धुएं और शोर से बचकर रहना चाहिए। इस धुएं के कारण बच्चों को सांस की समस्या हो सकती हैं। इसके अलावा पटाखों में खतरनाक केमिकल होता है जिसके कारण बच्चों में भी टॉक्सिन्स का लेवल बढ़ जाता है और उनके विकास में रुकावट पैदा करता है। इसके साथ ही इस धुएं के कारण गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए पटाखों से दूरी बना कर रहें। जितना हो सके घर के अंदर ही रहे, धुएं और पटाखों के संपर्क में आने से बचें।
बच्चों और बुजुर्गों का भी रखें ख्याल
महिलाओं को अपने से अधिक परिवार के अन्य सदस्यों का ध्यान रखना पड़ता है। उन्हें छोटे बच्चों और बुजुर्गों का दिवाली मौके पर खास ख्याल रखना होगा। क्योंकि इनके फेफड़े बहुत ही ज्यादा कमजोर होते है। इतना ही नहीं कई बार बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति पटाखों के शोर के कारण दिल के दौरे का शिकार हो जाते हैं।
प्रदूषण से कैसे करें बचाव
— प्रदूषण अधिक होने पर मास्क का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन माॅस्क अच्छी क्वालिटी की हो। एन 95 मास्क ही प्रदूषण से रोकथाम में सबसे कारगर होते हैं। गर्भवती महिलाएं घर में भी मास्क पहनें।
— एलर्जी होने पर गर्म पेय पदार्थ ज्यादा पिएं। अस्थमा या एलर्जी वाले लोग दिक्कत होने पर चिकित्सक से संपर्क करें। एलर्जी से बचने के लिए अपने मुंह पर रूमाल या फिर कपड़ा बांधे।
— सुबह और शाम के समय दिक्कत लगे तो रुमाल से नाक-मुंह ढक लें।
— कोशिश करें कि पटाखे न जलाएं और घर के अन्य लोगों को भी आतिषबाजी से दूर रहने को प्रेरित करें क्योंकि इससे निकलने वाली कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसी गैसें स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
अगर आप दमा की मरीज हैं तो हमेशा अपने साथ इन्हेलर रखें ताकि सांस की समस्या होने पर तुरंत यूज कर सके।
— दिवाली की रात घर के दरवाजे और खिड़कियां बंद करके रखें। जिससे पटाखों का धुंआ अंदर प्रवेश न कर पाए।
— अगर आप खर्च वहन कर सकती हैं तो झाडू की जगह वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करें।
— अपने घर में और आसपास की जगहों पर ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं जो हवा को साफ रखने का काम करते हैं।
— सांसों से शरीर में पहुंचे जहर को बाहर निकालने के लिए पानी बहुत जरूरी है। दिन में तकरीबन 4 लीटर तक पानी पिएं। घर से बाहर निकलते वक्त भी पानी पिएं।
— खाने में जितना हो सके विटामिन-सी, ओमेगा-3 को प्रयोग में लाएं. शहद, लहसुन, अदरक का खाने में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।
— सुबह के वक्त प्रदूषण का स्तर ज्यादा होता है इसलिए मॉर्निंग वॉक पर नहीं जाएं।
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