आर्थराइटिस से बढ़ता है हृदय रोगों का खतरा

  • by @ हेल्थ स्पेक्ट्रम
  • at November 25, 2019 -
  • 0 Comments

गठिया के मरीज हृदय रोग होने की आशंका से बेखबर रहते हैं लेकिन नवीनतम अध्ययनों में गठिया का हृदय रोगों से संबंध पाया गया है। इन नये अध्ययनों से पता चला है कि गठिया (रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस) के मरीजों को सामान्य लोगों की तुलना में हृदय रोग होने की आशंका बहुत अधिक होती है। 
आम तौर पर गठिया के मरीजों में हृदय रोग के कोई प्रकट लक्षण नहीं होते हैं जिसके कारण चिकित्सक एवं गठिया के मरीज हृदय रोगों की संभावना की अनदेखी करते हैं। हालांकि यह पता लगाना मुश्किल है कि गठिया के किस रोगी को हृदय रोग का अधिक खतरा अधिक हो है, लेकिन वैज्ञानिकों ने ने इन रोगियों में गठिया (रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस) की पहचान के 10 साल के अंदर हृदय रोग विकसित होने का पता लगाने का सामान्य तरीका ढूंढ निकाला है ताकि इसकी पहचान कर इसके खतरे को कम किया जा सकता है। 
सुप्रसिद्ध हृदय रोग चिकित्सक पद्मभूषण डा. पुरूषोत्तम लाल बताते हैं कि हालांकि चिकित्सकों को यह पहले से पता था कि मधुमेह और ब्लड प्रेशर की तरह गठिया उन बीमारियों में शामिल है जिनका अनेक अंगों के साथ-साथ हृदय पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है, लेकिन नये अनुसंधानों से जो निष्कर्ष सामने आये हैं उनके मद्देनजर गठिया के मरीजों को चाहिये कि वे समय-समय पर हृदय रोग संबंधी जांच भी कराते रहे ताकि अगर उनमें हृदय रोग होने के अगर कोई संकेत मिले तो समय पर उपचार शुरू हो जाये। 
मेट्रो ग्रूप आफ हास्पिट्ल्स तथा मेट्रो हास्पिट्ल्स एंड हार्ट इन्स्टीच्यूट के निदेशक डा. पुरूषोत्तम लाल के अनुसार हृदय रोग की जांच के लिए उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्राॅल, अधिक उम्र और हृदय संबंधी बीमारियों का पारिवारिक इतिहास का पता लगाया जाता है। गठिया (रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस) के मरीजों में हृदय रोग विकसित होने की आशंका अधिक होने के कारण गठिया के मरीजों को जितनी जल्दी संभव हो हृदय रोग संबंधी ये सारी जांच करवा लेनी चाहिए।
डा. लाल कहते हैं, ''हमें यह पता लगाने की आवश्यकता है कि रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस के किन रोगियों को अन्य रोगियों की तुलना में हृदय रोग होने की आशंका अधिक है ताकि इन रोगियों में हृदय रोग की रोकथाम के पर्याप्त प्रयास किया जा सके। इसलिए रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस के रोगियों में हृदय रोग की पहचान करने के लिए हम हृदय रोग के सामान्य रोगियों की तरह ही परम्परागत जांच पद्धतियों का इस्तेमाल करते हैं।''
नयी दिल्ली स्थित आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अनुसार रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस एक गंभीर, आटोइम्यून बीमारी है जो शरीर के विभिन्न जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न जैसी समस्यायें पैदा कर देती है। इस बीमारी में जोड़ ठीक से कार्य नहीं करते। कई बार यह बीमारी विकलांगता पैदा कर देती है। यह बीमारी फेफड़े, हृदय और किडनी सहित शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करती है। इसके इलाज के तौर पर स्टेराॅयड रहित एंटी-इंफ्लामेटरी, एनालजेसिक और फिजियोथेरेपी के जरिये पहले दर्द और सूजन को कम करने और फिर जोड़ों की विकलांगता को रोकने की कोशिश की जाती है। 
डा. पुरूषोत्तम लाल कहते हैं कि गठिया (रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस) के मरीजों में हृदय रोग होने का एक कारण गठिया की वजह से उत्पन्न होने वाली सूजन हो सकती है जिससे धमनियों के प्लाॅक रक्त के थक्के में तब्दील हो जाते हैं। नये अनुसंधानों से पता चला है कि रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस के मरीजों में इस बीमारी से मुक्त लोगों की तुलना में 15 साल के समय के बाद हृदय रोग होने की आशंका दोगुनी से भी अधिक होती है।
एक नये अनुसंधान में अनुसंधानकर्मियों ने दस साल तक 11 सौ लोगों पर अध्ययन करके पाया कि 60 से 69 साल उम्र समूह वाले लोगों में रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस से मुक्त लोगों के 40 प्रतिशत की तुलना में रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस के 85 प्रतिशत रोगियों में हृदय रोग का बहुत अधिक खतरा पाया गया। अनुसंधानकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि 50 से 59 साल के रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस के आधे से अधिक मरीजों तथा 60 साल अधिक उम्र के रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस के सभी मरीजों में रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस की पहचान के 10 साल के अंदर हृदय रोग विकसित होने की आशंका बहुत अधिक होती है।
हमारे देश में हर साल तकरीबन 25 लाख लोग से अधिक लोग दिल की बीमारियों के कारण असामयिक मौत के ग्रास बन रहे हैं। इनमें से तकरीबन पांच लाख लोगों की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो जाती है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि अपने देश में युवा लोग भी बड़े पैमाने पर इससे प्रभावित हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डव्ल्यू एच ओ) का अनुमान है कि सन् 2010 तक दुनिया भर में जितने हृदय रोगी होंगे उनमें से 60 प्रतिशत रोगी भारत में होंगे तथा सन 2012 तक हर दसवें भारतीय की मौत दिल के दौरे से होगी। 
नये अनुसंधानों के निष्कर्षों के आधार पर अनुसंधानकर्मियों ने रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस के सभी रोगियों में हृदय रोग की जांच कराने की सलाह दी है। यह जांच रह्यूमेटाॅयड आर्थराइटिस की पहचान के बाद जितनी जल्दी संभव हो करा लेनी चाहिए और हृदय रोग के रोकथाम के लिए पहल शुरू कर देनी चाहिए।


Join as an Author

Health Spectrum

Health Spectrum welcomes unsolicited articles, blog posts and other forms of content. If you are interested in writing for us, please write to us at healthspectrumindia@gmail.com.

0 Comments: