डायबिटीज और थायरायड में संबंध

डायबिटीज और थाइराइड में बहुत ही गहरा संबंध है। थाइराइड में मधुमेह बीमारी और भी खतरनाक हो जाती है। जबकि केवल थाइराइड की समस्या उतना खतरनाक नहीं होती है। जैसे कि मधुमेह शरीर की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है ठीक उसी तरह से थाइराइड भी शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
थाइराइड की समस्या थाइराइड ग्रंथि के ठीक तरह से काम न कर पाने के कारण होती है। थाइराइड एक साइलेंट किलर है जो जानलेवा हो सकता है। मेटाबॉलिज्म को सुचारु तरह से चलने के लिए थाइराइड ग्रंथि बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि किसी व्यक्ति की थाइराइड ग्रंथि अच्छे से काम नहीं कर रही है तब व्यक्ति का शुगर स्तर प्रभावित होता है जिसके कारण डायबिटीज के मरीज की बीमारी और भी घातक होने लगती है।
डायबिटीज और थाइराइड में संबंध 
डायबिटीज और थाइराइड दोनों बहुत ही सामान्य अंतःस्रावी बीमारी है, जिसका शिकार व्यक्ति आसानी से हो जाता है। दोनों बीमारियां धीरे-धीरे घातक हो जाती हैं। थाइराइड के हार्मोन अग्नाशय की गंथियों और कार्बोहाइड्रेट मेटाबॉलिज्म को नियमित करते हैं जबकि डायबिटीज थाइराइड क्रियाओं को प्रभावित करता है। 
डायबिटीज के मरीजों में थाइराइड ग्रंथि की कार्यक्षमता पर ज्यादा प्रभाव पडता है। डायबिटीज के मरीजों में सामान्य लोगों की तुलना में थाइराइड की ग्रंथि उम्र के हिसाब से ज्यादा प्रभावी होती है। 
थाइराइड हार्मोन ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को भी प्रभावित करता है। थाइराइड हार्मोन लीवर में ग्लूकोज को स्थानांतरित करने वाली प्लाज्मा को प्रभावित करता है। थाइराइड के हार्मोन बढकर इस प्लाज्मा में एकत्रित हो जाते हैं जिससे ग्लूकोज का स्थानांतरण लीवर में होना बंद हो जाता है। 
डायबिटीज के मरीज में हाइपरथाइराइडिज्म की समस्या से रेटीनोपैथी (आंख की बीमारी) और नेफ्रोपैथी (किड्नी की बीमारी) होने का खतरा बढ जाता है। थाइराइड के हार्मोन डायबिटीज टाइप-1 के मरीजों में इंसुलिन के प्रभाव को भी कम करते हैं। 
थाइराइड के हार्मोन आंतों को भी प्रभावित करते हैं। थाइराइड हार्मोन और एडीपोनेक्टिन प्रोटीन (मोटापा को बढाने वाला प्रोटीन) मिलकर शरीर से कुछ जैविक गुणों को कम करते हैं जिसके कारण शरीर से वसा की मात्रा कम होती है और मरीज का मोटापा कम होता है। 
डायबिटीज के मरीज में थाइराइड की समस्या बढने के कारण टाइप-2 मधुमेह होने की आशंका बढ जाती है, ऐसे में मरीज की स्थिति गंभीर भी हो सकती है।
थाइराइड की समस्या होने पर थाइराइड के हार्मोन बदलते हैं। डायबिटीज के मरीज में थाइराइड की समस्या होने पर ग्लूकोज को नियंत्रण करने वाला ग्लाइसीमिक इंडेक्स कमजोर हो जाता देता है। जिसके कारण मरीज के अंदर ग्लूकोज का स्तर बढ जाता है जो कि बहुत ही खतरनाक हो जाता है। 
थाइराइड हार्मोन और डायबिटीज की समस्या आदमी में जब एक साथ होती है तब उसकी बीमारी की जटिलता बढ जाती है।