डायबिटीज आधुनिक जीवनशैली की देन कहा जा सकता है। इस बीमारी से पीछा छुड़ाना लगभग नामुममिन है। लेकिन, समय रहते अगर सतर्क हो जाएं, तो इस बीमारी के दुष्प्रभावों को जरूर कम कर सकते हैं। इससे हमारे लिए सामान्य जीवन जीना आसान हो जाता है। अच्छा तो यही है कि नियमित रूप से संतुलित आहार के सेवन और व्यायाम के जरिए इस बीमारी को होने से रोका जाए। लेकिन, फिर भी यह बीमारी हो जाए तो आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
खानपान की आदत में सुधार करें
अपनी खानपान की आदतों में सुधार करके डायबिटीज के असर को कम किया जा सकता है। मधुमेह के रोगी को खानपान सम्बन्धी अपनी आदतों को लेकर सतर्कता बरतनी पड़ती है। उसे न सिर्फ अपने भोजन अपितु उसकी मात्रा को लेकर भी सजग रहना पड़ता है। मधुमेह रोगी को चाहिए कि वह अपने भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ा दे। प्रोटीन का काम शरीर की मरम्मत करना होता है और मधुमेह रोगी के लिए यह बेहद जरूरी पोषक तत्व होता है। इसके साथ ही अपने भोजन में कॉर्बोहाइड्रेट की मात्रा भी कम कर देनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि कॉर्बोहाइड्रेट शुगर में परिवर्तित हो जाती है और यही शुगर आपको नुकसान पहुंचाती है।
वजन पर रखें काबू रखें
अगर आपका वजन बढ़ा हुआ है तो सबसे पहले उसे नियंत्रित करें। अधिक वजन और मोटापा डायबिटीज का सबसे बड़ा दुश्मन है। रोजाना सुबह की आधे घंटे की वॉक, साइक्लिंग, सीढ़ियों का प्रयोग, योग और एरोबिक्स आदि डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायक है। इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें। बिस्क-वाक नियमित करें ताकि आपकी मांसपेशियां इंसुलिन पैदा कर सकें और ग्लूकोस को पूरा अवषोशित कर सकें।
तनाव से दूर रहें
रक्त में शर्करा की मात्रा का संतुलन गड़बड़ाने में तनाव की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। तनाव से न सिर्फ वजन बढ़ता है, बल्कि साथ ही इससे शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध की भी बड़ी वजह बनता है। तो इसलिए जरूरी है कि तनाव से दूर रहा जाए। इसके लिए योग, हॉट बाथ, कसरत और मसाज आदि जैसे राहत उपायों का सहारा लिया जा सकता है।
विटामिन-के का सेवन करें
विटामिन-के लेने से शरीर में इंसुलिन की प्रक्रिया में मदद मिलती है जो रक्त में ग्लूकोज के स्तर को ठीक रखता है। डायबिटीज रोग में शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ने से इंसुलिन अणु व उनके कार्य प्रभावी होते हैं। इसलिए आपके आहार में विटामिन-के की मात्रा संतुलित होना भी जरूरी है। हरी पत्तेदार सब्जियां लंे। पालक व ब्रोकली जैसे खाद्य पदार्थों में यह विटामिन प्रचुर मात्रा में मिलता है। पुरुषों को 12 माइक्रोग्राम व महिलाओं को 90 माइक्रोग्राम विटामिन-के रोजाना लेना चाहिए।
धूम्रपान छोड़ें
धूम्रपान करने वाले मधुमेह रोगियों में हृदयाघात की आशंका 50 फीसदी अधिक होती है। धूम्रपान हमारी रक्त वाहिनियों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
अधिक पानी पीएं
पानी सिर्फ प्यास बुझाने के ही काम नहीं आता, बल्कि कई रोगों के इलाज में भी मददगार होता है। मधुमेह रोगियों के लिए भी पानी काफी अच्छा होता है। इसलिए अगर आप मधुमेह में भी स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं तो अधिक मात्रा में पानी पिएं।
डायबिटीज में क्या खाएं, क्या न खाएं
डायबिटीज रोगी को अपनी सेहत के लिए स्वस्थ आहार लेना जरूरी होता है। यदि डायबिटीज रोगी अनुचित आहार लेंगे तो उन्हें स्वास्थ्य बिगड़ने के साथ-साथ कई अन्य बीमारियां होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। लेकिन इसके साथ ही यह जरूरी है कि डायबिटीज रोगी को पता हो कि उन्हें आहार में क्या कुछ लेना चाहिए यानी उनके लिए अनुचित आहार क्या है और उचित क्या।
क्या खाना चाहिए
हरी पत्तेदार सब्जियां
हरी पत्तेदार सब्जियों में कैल्शियम, मैग्नीशियम एवं अन्य खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। ये आपकी धमनियों को मजबूत एवं साफ करते हैं। ये खनिज पदार्थ अग्न्याशय यानी पैनक्रियाज को भी स्वस्थ रखते हैं। इससे शरीर में इंसुलिन कि गड़बड़ी पैदा नहीं होने पाती और आप डायबिटीज से बचे रहते हैं।
फल
आम धारणा है कि डायबिटीज मतलब मीठा नहीं खाओ। यही सोचकर लोगों ने यह भी फैसला कर लिया कि डायबिटीज के मरीजों को मीठा फल भी नहीं खाना चाहिए, जबकि फलों की मिठास से डायबिटीज के मरीजों को कोई नुकसान नहीं हो सकता बल्कि ये डायबिटीज मरीजों के लिए भी काफी फायदेमंद हैं। फलों में पाया जाने वाला फाइबर और विटामिन डायबिटीज मरीज के इम्यून सिस्टम को काफी मजबूत बनाता है।
जैतून का तेल
जैतून का तेल सर्वाधिक स्वास्थ्यवर्धक खाद्य तेल है। इस तेल के उपयोग से हृदय रोग और मधुमेह जैसी बीमारियों से रक्षा हो सकती है। मधुमेह रोगियों के लिए यह काफी लाभदायक है। शरीर में शुगर की मात्रा को संतुलित बनाए रखने में इसकी खास भूमिका है। विशेषज्ञों के मुताबिक भूमध्य सागरीय देशों में हृदय रोगियों और मधुमेह रोगियों की कम तादाद होने की प्रमुख वजह यह है कि जैतून का तेल वहां नियमित खाद्य तेल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। अन्य देशों की तुलना में इन देशों के लोगों की औसत उम्र भी अधिक होती है।
दालचीनी
दालचीनी एक मसाला ही नहीं, बल्कि एक औषधि भी है। दालचीनी कैल्शियम और फाइबर का एक बहुत अच्छा स्रोत है। दालचीनी मधुमेह को सन्तुलित करने के लिए एक प्रभावी औषधि है, इसलिए इसे गरीब आदमी का इंसुलिन भी कहते हैं। दालचीनी ना सिर्फ खाने का जायका बढ़ाती है, बल्कि यह शरीर में रक्त शर्करा को भी नियंत्रण में रखती है। जिन लोगों को मधुमेह नहीं है वे इसका सेवन करके मधुमेह से बच सकते हैं। और जो मधुमेह के मरीज हैं वे इसके सेवन से ब्लड शुगर को कम कर सकते हैं।
अलसी
डायबिटीज के रोगियों के लिए अलसी अमृत के समान है। चिकित्सक डायबिटीज रोगियों को शुगर की मात्रा कम और ज्यादा फाइबर लेने की सलाह देते हैं। अलसी में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा न के बराबर और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। अलसी ब्लड शुगर को नियंत्रित रखती है, और डायबिटीज से शरीर पर होने वाले दुष्प्रभावों को कम करती हैं।
नारियल का तेल
नारियल तेल का नियमित सेवन करना डायबिटीज रोगियों के लिए बहुत अच्छा होता है। वास्तव में डायबिटीज के रोगी इंसुलिन को ग्रहण न करने के कारण ग्लूकोज या शर्करा को ऊर्जा में परिवर्तित नहीं कर पाते। नारियल का तेल आपकी कोशिकाओं को बिना इंसुलिन की मदद के आहार प्रदान करता है एवं आपकी कोशिकाओं को आहार मिलता रहता है। इसके अलावा नारियल का तेल पैनक्रियाज को भी स्वस्थ रखता है और इंसुलिन निर्माण के लिए प्रेरित करता है।
मछली
मछली का सेवन करना डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। डायबिटीज में मैकरेल, सामन, सार्डिन्स और पिलकार्ड्स मछली सबसे ज्यादा लाभकारी होती है। इनमें पाया जाने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड रक्त में मौजूद वसा को कम करता है।
क्या न खाएं
चॉकलेट, कैंडी और कुकीज
मधुमेह रोगियों को चीनी और चीनी से बने खाद्य-पदार्थों से परहेज करना चाहिए। ज्यादा चीनी वाले आहार जैसे - चॉकलेट, कैंडी और कुकीज में पोषक तत्व नही होते हैं और इनमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है जिससे यह रक्त में शुगर के स्तर को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा चीनी खाने से मोटापा बढ़ता है जो कि डायबिटीज के लिए खतरनाक है।
सफेद ब्रेड
सफेद आटा खाने के बाद डाइजेस्ट होते वक्त चीनी की तरह काम करता है। इसलिए मधुमेह रोगियों को सफेद ब्रेड खाने से परहेज करना चाहिए। सफेद ब्रेड रक्त में शुगर के स्तर को बढ़ा सकता है जो कि मधुमेह में घातक है।
केक और पेस्ट्री
मधुमेह रोगियों को केक और पेस्ट्री भी नही खाना चाहिए। क्योंकि केक को बनाते वक्त सोडियम, चीनी आदि का प्रयोग किया जाता है जो कि रक्त में शुगर के स्तर को बढ़ाता है। यह इंसुलिन के क्रियाकलापों को भी प्रभावित करता है। इसके अलावा केक और पेस्ट्री दिल की बीमारियों को भी बढ़ाता है।
डेयरी उत्पाद
मधुमेह रोगियों को डेयरी उत्पाद नही खाना चाहिए। डेयरी उत्पादों में संतृप्त वसा होती है, जो कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है और इंसुलिन के स्तर को कम करता है। इसलिए डायबिटीज रोगियों को दूध, दही, पनीर आदि डेयरी उत्पादों से बचना चाहिए।
जंक फूड
जंक फूड का सेवन करने से मोटापा बढ़ता है। मधुमेह रोगियों को मोटापा नियंत्रित रखना चाहिए। जंक फूड, फ्राइड आलू, फ्रेच फ्राइज आदि नही खाना चाहिए। इनको खाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढता है और यह मोटापा का कारण बनता है।
सोडा
इसमें भारी मात्रा में चीनी होती है, जो आपके लिए अच्छी नहीं होती। इससे हड्डियों में कमजोरी, पोटेशियम की कमी, वजन बढ़ना, दांतों को नुकसान, गुर्दे की पथरी, उच्च रक्तचाप, और अन्य कई बीमारियां हो सकती हैं। साथ ही डाइट सोडा में पाई जाने वाली कृत्रिम मिठास को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन लेना पड़ सकता है।
चावल
अगर आप रोज एक बड़ी कटोरी सफेद चावल खाते हैं, तो आपको टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा सामान्य से 11 प्रतिशत ज्यादा होता है। चावल के पकाने के तरीके पर ही उसका नफा या नुकसान निर्भर करता है। अगर चावल की बिरयानी बनाई जाए या चावल को मांस या सोयाबीन के साथ खाया जाए, तो डाइबिटीज होने का खतरा ज्यादा रहता है, क्योंकि इससे रक्त में शर्करा की अधिक मात्रा पहुंच जाती है।
फ्रेंच फ्राइज
तेल में फ्राई होने के कारण फ्रेंच फ्राइज मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा नही होता। फ्रेंच फ्राइज का मतलब है हाई ब्लड शुगर जो मधुमेह रोगी के लिए बहुत अधिक नुकसानदेह हो सकता है। ऐसे खाद्य पदार्थों से दूर रहना ही आपके लिए अच्छा रहेगा।
इन सब्जियों और फलों से बचें
डायबिटीज रोगियों को आलू, अरबी, कटहल, जिमिकंद, शकरकंद, चुकंदर जैसी सब्जियों और चीकू, केला, आम, अंगूर जैसे फलों को खाने से बचना चाहिए। क्योंकि इनमें स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट बहुत अधिक मात्रा में होता है, जो शुगर के स्तर को बढ़ा सकता हैं।
रेड मीट से बचें
रेड मीट में पाया जाने वाला फोलिफेनोल्स नामक तत्व रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा देता है। जिससे इंसुलिन की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इसके अलावा रेड मीट में पाया जाने वाला जटिल प्रोटीन बहुत धीमी गति से पचता है और आपकी चयापचय को धीमा करता है।
स्टार्च युक्त सब्जियों और फल
डायबिटीज रोगियों को आलू, अरबी, कटहल, जिमिकंद, शकरकंद, चुकंदर जैसी सब्जियों और चीकू, केला, आम, अंगूर जैसे फलों को खाने से बचना चाहिए। क्योंकि इनमें स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट बहुत अधिक मात्रा में होता है, जो शुगर के स्तर को बढ़ा सकता हैं।
रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट
डायबिटीज के कारण शरीर कार्बोहाइड्रेट को पचा नहीं पाता, जिससे शुगर आपके शरीर में तेजी से जमा होने लगता है। इसलिए अगर आप डायबिटीज को नियंत्रित करना चाहते हैं तो, सफेद चावल, पास्ता, पॉपकॉर्न और वाइट फ्लौर से बचें।
ट्रांस फैट
डायबिटीज के रोगियों को ट्रांस फैट से दूर रहना चाहिए। ट्रांस फैट शरीर में प्रोटीन को ग्रहण करने की क्षमता को कम कर देता है। इससे शरीर में इंसुलिन की कमी होने लगती है और शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है।
सॉफ्ट ड्रिंक
सॉफ्ट ड्रिंक में शुगर की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है, इसलिए इसके सेवन से ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। डायबिटीज रोगियों को सॉफ्टड्रिंक से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। इसके अलावा इसमें कैलोरी की मात्रा भी बहुत होती है जो डायबिटीज रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
कृत्रिम स्वीटनर
बहुत से लोगों को लगता है कि डायबिटीज में कृत्रिम स्वीटनर हानिरहित और बहुत अच्छा विकल्प है। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, कृत्रिम मिठास चयापचय को धीमा और वसा के जमाव को बढ़ा देता है, जिससे डायबिटीज का खतरा लगभग 67 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
डायबिटीज से कैसे बचें
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