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डायबिटीज या मधुमेह में अपने अंगों की सुरक्षा पर खास ध्यान दें

डा. अभिषेक वैश्य नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में आर्थोपेडिक सर्जन हैं।

विश्व भर में 14 नवंबर को विश्व मधुमेह (डायबिटीज) दिवस मनाया जाता है। आज पूरी दुनिया में लगभग 42 करोड़ 50 लाख लोग डायबिटीज से पीड़ित है। इंडियन डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) के अनुसार भारत में लगभग 7 करोड़ लोग डायबिटीज के शिकार है। डायबिटीज आधुनिक जीवनशैली की देन कहा जा सकता है। मधुमेह ऐसी बीमारी है जो एक बार हो जाए तो इससे पीछा छुड़ाना लगभग नामुममिन है लेकिन इसे नियंत्रण में रखकर इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
क्या है डायबिटिज
जब शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है तो इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है. यह इंसुलिन की कमी के कारण होता है जो कि एक हार्मोन है। हम जो खाते हैं उसे यह ऊर्जा में बदलता है। साथ ही यह  हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है।
डायबिटिज के दुष्प्रभाव
अनियंत्रित डायबिटीज रहने पर रक्त शुगर अधिक बढ़ जाता है और इसका गंभीर असर हृदय, रक्त धमनियो, नर्वं, आंखों और किडनी के अलावा शरीर के जोड़ों और हड्डियों पर भी पड़ता है। मधुमेह को अनियंत्रित छोड़ देने पर पैरों में अल्सर और संक्रमण के अलावा डायबेटिक फुट की समस्या भी हो सकती है, जिसमें पैरों को काटने की नौबत आ सकती है। इसके अलावा फ्रोजेन शेल्जर, ओस्टियोपोरोसिस और आर्थराइटिस की समस्या भी बढ़ सकती है। यह देखा गया है कि जिन लोगों को मधुमेह नहीं है उनकी तुलना में मधुमेह रोगियों में ये समस्याएं बहुत अधिक होती हैं। मधुमेह के मरीजों में फ्रैक्चर देर से ठीक होते हैं।
शरीर के अंगों की सुरक्षा कैसे करें
मधुमेह के कारण खराब होने वाले अंगों को काटने के मामले काफी होते हैं। मधुमेह तंत्रिकाओं को नष्ट कर सकता है। रक्त संचार में कमी ला सकता है जिससे मधुमेह रोगियों में पैर और फुट अल्सर और अन्य समस्याओं के विकसित होने की संभावना अधिक रहती है। इन्हें अनियंत्रित छोड़ने पर कुछ जटिलताएं पैदा हो सकती है जिससे अंगों को काटने की नौबत आ सकती है। मधुमेह के रोगियों को अपने विभिन्न अंगों पर खास ध्यान देना चाहिए ताकि वे अपने अंगों को बचा सकें। ऐसे में उन्हें अपने पैरों को अपने पैरों को स्वच्छ और सुरक्षित रखना चाहिए। मधुमेह के मरीजों के लिए रोजाना पैरों का परीक्षण किया जाना जरूरी होता है। अल्सर, दरारें, कट, लालिमा, सूजन और घाव होने के किसी भी लक्षण पर पूरी नजर रखी जानी चाहिए। नंगे पांव चलने से पैर घायल हो सकते हैं। पैरों के नाखून काटते वक्त सबसे ज्यादा कट लगने की संभावना होती है इसलिए नाखून काटते वक्त पैरों का खास ध्यान रखें। अपने पैरों को चोट से बचायें। ऐसी चीजों से बचने की कोशिश करें जो आपके पैरों में चोट का कारण बन सकती है।
महिलाओं में मधुमेह
हालांकि मधुमेह महिला और पुरूष में भेदभाव नहीं करता है लेकिन यह देखा गया है कि महिलाएं मधुमेह होने पर मधुमेह को नियंत्रित रखने के प्रति गंभीर नहीं होती है और इस कारण वे अपनी लापरवाही के कारण खुद को अधिक नुकसान पहुंचाती हैं। मधुमेह होने पर महिलाओं को पुरूषों की तरह के ही लक्षण होते हैं लेकिन उन्हें कुछ खास लक्षण भी होते हैं जिनमें योनि खमीर संक्रमण, मूत्र संक्रमण, पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम और यौन अक्षमता प्रमुख है। डायबिटीज से ग्रस्त महिलाओं को गर्भधारण में अधिक कठिनाई होती है।
यही नहीं गर्भावस्था के दौरान अगर मधुमेह तो और उसे सही तरीके से नियंत्रित किया जाता है तो गर्भपात होने तथा होने वाले बच्चे को विकृतियां या बीमारियां होने का खतरा हो सकता है। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान होने वाले मधुमेह को नियंत्रित रखना जरूरी है। यह देखा जाता है कि आम तोर पर गर्भावस्था के दौरान होने वाला मधुमेह बच्चे जनने के बाद ठीक हो जाता है।
डायबिटीज के प्रमुख लक्षण
इसके कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं :
टाइप 2 मधुमेह के लक्षण : अत्यधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, अचानक
वजन कम होना, थकान महसूस होना
टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण : बार-बार संक्रमण होना, धुंधला दिखाई देना।
क्या करें
अगर यह बीमारी हो जाए तब जीवन शैली में सुधार करके तथा नियमित दवाइयों का
सेवन करके इसे नियंत्रण में रखा जाना चाहिए। यहां कुछ ऐसे उपाय बताये जा
रहे हैं जिनकी मदद से इस बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है।
नियमित रूप से संतुलित आहार के सेवन करें और व्यायाम करें।
खानपान की आदत में सुधार करें
वजन पर रखें काबू रखें
तनाव से दूर रहें
विटामिन-के का सेवन करें
धूम्रपान छोड़ें
अधिक पानी पीएं
फाइबर युक्त आहार
हरी पत्तेदार सब्जियां का सेवन अधिक करें।
शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाएं
शुगर की नियमित जांच करवाएं
थोड़े-थोड़े अन्तराल में भोजन करें
ट्रांस फैट से दूर रहें
नियमित रूप से चिकित्सक से परामर्श लेते रहें।


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