प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों को होता है। प्रोस्टेट कैंसर के लक्षणों का पता अगर शुरुआत में ही चल जाए तो इसके इलाज में आसानी होती है। प्रोस्टेट एक ग्रंथि है जो कि पेशाब की नली के ऊपरी भाग के चारों तरफ होती है। यह ग्रंथि अखरोट के आकार जैसी होती है जिसका काम वीर्य में मौजूद एक द्रव पदार्थ का निर्माण करना है। प्रोस्टेट कैंसर 50 साल से अधिक उम्र के पुरूषों में होती है।
प्रोस्टेट कैंसर का खतरा किन पुरुषों को होता है?
55 साल से ज्यादा उम्र के पुरुष
अगर पिता या भाई को प्रोस्टेट कैंसर हुआ हो
अश्वेत पुरुषों को
मटन, घी या दूध का बहुत ज्यादा सेवन करने वाले पुरुषों को
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
प्रोस्टेट कैंसर होने पर रात में पेशाब करने में दिक्कत होती है। रात में बार-बार पेशाब आता है और आदमी सामान्य अवस्था की तुलना में ज्यादा पेशाब करता है। उसे पेशाब करने में कठिनाई होती है और वह पेशाब को रोक नही सकता है। पेशाब रोकने में उसे बहुत तकलीफ होती है। पेशाब रुक-रुक कर आता है, जिसे कमजोर या टूटती मूत्रधारा कहते हैं। पेशाब करते वक्त पेशाब में रक्त निकलता है। वीर्य में भी रक्त निकलने की शिकायत होती है। शरीर में लगातार दर्द बना रहता है। कमर के निचले हिस्से या कूल्हे या जांघों के ऊपरी हिस्से में भी जकड़न भी रहती है।
प्रोस्टेट कैंसर के कारण
प्रोस्टेट होने के असली कारणों का पता अभी तक नहीं चल पाया है लेकिन कुछ कारण हैं जो इस कैंसर के के लिए जोखिम कारक हैं। धूम्रपान, मोटापा, सेक्स के दौरान वायरस का संक्रमण या फिर शारीरिक शिथिलता यानी की व्यायाम न करना प्रोस्टेट कैंसर का कारण हो सकता है। कभी-कभी असुरक्षित तरीके से पुरूषों की नसबंदी भी प्रोस्टेट कैंसर का कारण बनता है। यदि परिवार में किसी को पहले भी प्रोस्टेट कैंसर हुआ है तो भी इस कैंसर के होने का जोखिम बना रहता है। ज्यादा वसायुक्त मांस खाना भी प्रोस्टेट कैंसर का कारण बन सकता है। जिन पुरूषों की प्रजनन क्षमता कम होती है उनको भी प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा होता है। लिंग गुणसूत्रों में गडबडी के कारण भी प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है।
जांच
इसका पता लगाने के लिए व्यक्ति को रक्त की जांच व यूरीनरी सिस्टम का अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए। यदि इन जांचों में कोई कमी पायी जाती है, तो यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें। प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए डॉक्टर प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन (पीएसए) का टेस्ट करवा सकते हैं। यह शरीर का एक रसायन होता है, जिसका स्तर ज्यादा हो तो प्रोस्टेट कैंसर की संभावना ज्यादा होती है।
इलाज
वृद्धावस्था में प्रोस्टेट कैंसर होने की ज्यादा संभावना होती है। यदि प्रोस्टेट कैंसर का पता स्टेज-1 और स्टेज-2 में चल जाए तो इसका बेहतर इलाज रैडिकल प्रोस्टेक्टमी नामक ऑपरेशन से होता है। लेकिन, यदि प्रोस्टेट कैंसर का पता स्टेज-3 व स्टेज-4 में चलता है तो इसका उपचार हार्मोनल थेरेपी से किया जाता है। गौरतलब है कि प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं को टेस्टोस्टेरान नामक हार्मोन से खुराक मिलती है। इसलिए पीड़ित पुरुष के टेस्टिकल्स को निकाल देने से इस कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है।
बचाव
खान-पान और दिनचर्या में बदलाव करके प्रोस्टेट कैंसर की संभावना को कम किया जा सकता है। ज्यादा चर्बी वाले मांस को खाने से परहेज करें। धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करने से बचें। यदि आपको प्रोस्टेट कैंसर की आशंका दिखे तो चिकित्सक से संपर्क जरूर करें।
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