• हरियाणा सरकार की ओर से स्तनपान कराने के बारे में जागरूकता अभियान
फरीदाबाद के सर्वोदय अस्पताल के वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एल. के. झा ने अपने एक नवीनतम अनुसंधान से निष्कर्ष निकाला है कि अगर माताएं अपने नवजात शिशु को स्तनपान कराएं तो स्ट्रोक एवं हार्ट अटैक जैसे कार्डियोवैस्कुलर रोग होने का खतरा 18 प्रतिशत तक घट जाता है।
यह निष्कर्ष इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि हरियाणा सरकार ने एक से 7 अगस्त 2017 तक स्तनपान के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया हैहरियाणा के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के निदेशक राकेश गुप्ता ने यह जानकारी देते हुए कहा, “स्वास्थ्य विभाग विशिष्ट स्तनपान कराने के बारे में लोगों को जागरूक बना रहा है।"
डॉ. झा की ओर से तैयार रिपोर्ट में कार्डियोवैस्कुलर प्रणाली पर स्तनपान के प्रभाव के बारे में अध्ययन किया गयाइस अनुसंधान में मध्यम आयु वर्ग की 29000 महिलाओं को शामिल किया गया और उनसे प्राप्त निष्कर्षों का विश्लेषण किया गया। इससे निष्कर्ष निकलता है कि जो महिलाएं जल्द से जल्द अपने बच्चे को स्तनपान शुरू कर देती हैं उन्हें स्तनपान नहीं कराने वाली महिलाओं की तुलना में दिल का दौरा पड़ने तथा स्ट्रोक होने का खतरा 18 प्रतिशत कम होता है।
यह देखा गया है कि दो बच्चों को स्तनपान करने वाली महिलाओं को एक बच्चे को स्तनपान कराने वाली महिलाओं की तुलना में दोगुनी सुरक्षा मिलती है
डॉ एल. के. झा कहते हैं कि हृदय रोगों के मामले में स्तनपान का माताओं को अल्पावधि के साथ-साथ दीर्घावधि लाभ मिलते हैं। अल्पावधि तौर पर स्तनपान से वजन घटाने, कोलेस्ट्रॉल कम करने, रक्तचाप को नियंत्रित करने और गर्भावस्था के बाद ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है
वह कहते हैं, “गर्भावस्था के कारण महिला के चयापचय में परिवर्तन होता है क्योंकि गर्भावस्था के बाद उनके शरीर में होने वाले बच्चे के विकास के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करने और बच्चे के जन्म के बाद स्तनपान कराने के लिए वसा संरक्षित होने लगती हैस्तनपान कराने के कारण जमा वसा तेजी से और अधिक मात्रा में खत्म होती है और इससे बाद के जीवन में कार्डियोवैस्कुलर रोगों का खतरा घटता है। वह कहते हैं कि स्तनपान महिलाओं में हृदय रोग के बोझ को कम करने में काफी योगदान दे सकता है।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को दिल का दौरा पड़ने से मौत होने का खतरा अधिक होता है, और इसका मुख्य कारण महिलाओं में हृदय रोग के प्रति जागरूकता की कमी है। सीने में दर्द तथा सांस लेने में दिक्कत जैसे शुरुआती लक्षणों की उपेक्षा करने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है और देर करने से इन रोगों का उपचार अधिक जटिल होता जाता हैडॉ. झा की हाल की रिपोर्ट के अनुसार यह देखा गया है कि जटिल हृदय रोगों के मामले 30 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।
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