आज देश में हर साल ब्रेन स्ट्रोक के लगभग 15 लाख नए मामले दर्ज किये जाते हैं। स्ट्रोक भारत में समयपूर्व मौत और विकलांगता का एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है। दुनिया भर में हर साल स्ट्रोक से 2 करोड़ लोग पीड़ित होते हैं, जिनमें से 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है और अन्य 50 लाख लोग अपाहिज हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि 55 वर्ष की आयु के बाद 5 मंे से एक महिला को और 6 में से एक पुरुष को स्ट्रोक का खतरा रहता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) के एक अध्ययन के अनुसार हमारे देश में हर तीन सेकेंड में किसी न किसी व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक होता है और हर तीन मिनट में ब्रेन स्ट्रोक के कारण किसी न किसी व्यक्ति की मौत होती है।''
न्यूरोलाॅजिस्ट डाॅ. ज्योति बाला शर्मा ने कहा, ''ब्रेन अटैक के नाम से भी जाना जाने वाला ब्रेन स्ट्रोक भारत में कैंसर के बाद मौत का दूसरा प्रमुख कारण है। मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित होने या गंभीर रूप से कम होने के कारण स्ट्रोक होता है। मस्तिश्क के ऊतकों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होने पर, कुछ ही मिनटों में, मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं जिसके कारण मृत्यु या स्थायी विकलांगता हो सकती है।
डाॅ. राहुल गुप्ता ने कहा, ''किसी व्यक्ति के चेहरे, हाथ, आवाज और समय (एफएएसटी) में परिवर्तन होने पर उस पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है क्योंकि उस व्यक्ति को जल्द ही किसी भी समय स्ट्रोक हो सकता है। चेहरे का असामान्य होना जैसे, मुंह का लटकना, एक हाथ का नीचे लटकना और अस्पष्ट आवाज स्ट्रोक के कुछ सामान्य लक्षण हैं और समय पर उपचार होने पर इसे होने से रोकने में मदद मिल सकती है। लेकिन स्ट्रोक की पहचान करने और रोगी को अस्पताल लाने में अक्सर ज्यादा समय लग जाता है। स्ट्रोक के रोगी को हमेशा न्यूरोलाॅजी एवं न्यूरो सर्जरी की सुविधा वाले, और जहां एमआरआई, सीटी स्कैन, ब्लड बैंक और अच्छा न्यूरो आईसीयू टीम हो, वैसे केंद्र में ले जाया जाना चाहिए।''
डाॅ. ज्योति बाला शर्मा ने कहा, ''इलाज में देरी होने पर लाखों न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और मस्तिष्क के अधिकतर कार्य प्रभावित होते हैं। इसलिए, रोगी को समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करना महत्वपूर्ण है क्योंकि स्ट्रोक होने पर शीघ्र बहुआयामी उपचार की आवश्यकता होती है।''
डाॅ. राहुल गुप्ता ने कहा, ''स्ट्रोक के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात समय का सदुपयोग है। एक स्ट्रोक के बाद, हर दूसरे स्ट्रोक में 32,000 मस्तिष्क कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है। इसलिए स्ट्रोक होने पर रोगियों को निकटतम स्ट्रोक उपचार केंद्र में जल्द से जल्द ले जाया जाना चाहिए। मुख्य तौर पर दो तरह के स्ट्रोक होते हैं। अगर मस्तिश्क की किसी धमनी में अवरोध होने के कारण स्ट्रोक होता है तो यह इस्कीमिक स्ट्रोक का कारण बनता है। रक्त धमनी के फटने के कारण होने वाले रक्तस्राव के कारण होने वाली गड़बड़ी हेमोरेजिक स्ट्रोक का कारण बनती है।
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