खांसी को तुसिस के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके जरिए हमारा शरीर उन पदार्थों को बाहर निकालता है जो श्वसन या वायु मार्ग में परेशानी पैदा करते हैं। जब नाक या मुंह से हवा को फेफड़े के अंदर प्रविश्ट करने के लिए सांस लेते हैं तो हवा इसी वायु मार्ग से होकर फेफड़े में जाती है।
श्वसन मार्ग या वायु मार्ग में सबसे अधिक परेशानी पैदा करने वाली चीजें हैं - धुंआ, म्युकस, पराग कण, मोल्ड या धूल जैसे एलर्गन। इसके अलावा कुछ चिकित्सा संबंधी चीजें एवं दवाइयां भी वायु मार्ग में मौजूद नर्व के लिए परेषानी पैदा करती हैं और इसके कारण खांसी होती है।
खांसी स्वैच्छिक या अनैच्छिक प्रक्रिया हो सकती है। खांसी, तीव्र, मध्यम एवं पुरानी हो सकती है, जो इस बात पर निर्भर होती है कि खांसी कितना समय रहती है।
तीव्र खांसी तीन हफ्तों से भी कम समय रहती है और आम तौर पर सर्दी या अन्य संक्रमण जैसे साइनुसाइटिस या निमोनिया के कारण होती है।
मामूली या कम तीव्र खांसी भी तीन से आठ सप्ताह रहती है और यह आरंभिक ठंड या ष्वसन संबंधी संक्रमण के खत्म हो जाने के बाद भी बनी रहती है।
पुरानी खांसी आठ सप्ताह से अधिक समय तक रह सकती है और यह गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजिज (जीईआरडी), साइनस संक्रमण या एलर्जी के कारण नाक से तरल निकलने या दमा, क्रोनिक आब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिजिज (सीओपीडी), पल्मनरी फाइब्रोसिस, और इंटरस्टिशियल लंग डिजिज जैसी स्थितियों के कारण हो सकती है।
खांसी के तीन चरण हैंः
1. साँस लेना
2. वोकल कार्ड्स के बंद होने के साथ गले एवं फेफडे पर अधिक दवाब पड़ना
3. जब वोकल कार्ड्स खुलता है तो हवा की बहुत अधिक निकासी, जिसके कारण खांसने की ध्वनि निकलती है।
कफ सिरप
भारत में सबसे अधिक बिकने वाली पांच दवाइयों में कफ सिरप भी षामिल है। कफ सिरफ का इस्तेमाल खांसी के इलाज के लिए होती है। खांसी कोई रोग नहीं है बल्कि यह षरीर से धूल एवं बाहरी रोगाणुओं को बाहर निकालने की प्रक्रिया है।
खांसी शरीर की रक्षा के लिए स्वतः तैयार किया गया तंत्र है। और अगर हम कफ सिरप ले रहे हैं, तो इसका मतलब है कि हम प्राकृतिक प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हैं और खुद को संक्रमण के खतरे में डाल रहे हैं।
हमारे देश में हर दिन इस भ्रांति के कारण लाखों चम्मच कफ एवं कोल्ड सिरप पी जाते हैं इससे उन्हें बीमारी से निजात मिलेगा लेकिन ठंड एवं खांसी से बचाने के नाम पर बेची जाने वाली ये दवाइयां कोई फायदा पहुंचाने के बजाय नुकसान करती है क्योकि इससे अंतर्निहित बीमारी का इलाज नहीं होता है।
बुखार और दस्त की तरह, खांसी एक अंतर्निहित बीमारी की ध्यान आकर्षित करने का एक प्रारंभिक संकेत है। किसी भी व्यक्ति के लिए कफ सिरप हानिकारक होती है क्योंकि इसमें एक से अधिक घटक ऐसे होते हैं जो हर किसी के लिए अच्छा नहीं होता है।
विकसित देशों में, अदालतों ने कफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया है। कोई भी सिरप के हमारे फेफड़े में जाना चाहिए लेकिन कफ सिरप आंत में जाती है।
सभी कफ के सिरप में सिडेटिव होते हैं और इसलिए इससे नषे की लत लगती है। वे बच्चों की हृदय गति में भी वृद्धि करते हैं और श्वास की दर भी कम कर देते हैं।
खांसी रोकने के घरेलू उपचार:
— एक कटोरा बहुत गर्म पानी में ब्लैकसीड आयल या मेंथोल क्रिस्टल डालकर उसके भाप की सांस लें। यह किसी भी तरह की खांसी को सुखाने का एक समय-सिद्ध तरीका है।
— गर्म शावर या गर्म पानी से स्नान करने से भी मदद मिलती है।
— ब्रीदिंग एक्सरसाइज (धीमी और गहरी सांस लेने) से भी पीड़ितों को बहुत लाभ पहुंचाता है।
— खाद्य और पेय: गीली खांसी के लिए, मरीज को चिकन और अंडे, लहसुन और प्याज, अदरख, काली मिर्च और हल्दी जैसे गर्म मसालों से युक्त गर्म और सूखे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। चावल और दूध के व्यंजनों से बचा जाना चाहिए। सूखी खांसी के लिए, गर्म और नमक वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जैसे मांस और पालक। इन्हें गर्म मसालों का इस्तेमाल कर स्वादिष्ट बनाया जा सकता है।
— आधे चम्मच शहद में नींबू की कुछ बूंदों और एक चुटकी दालचीनी मिलाकर सिरप बना लें। इसके सेवन से खांसी में तुरंत फायदा होगा।
— थोड़ी-थोड़ी देर पर हल्का गर्म पानी पीते रहें।
— सोने से पहले एके गिलास हल्दी वाला गर्म दूध पीएं।
— गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करें।
— तुलसी, अदरक और काली मिर्च वाली मसालेदार चाय पीएं।
— आंवला का सेवन करें।
— नींबू का रस, फ्लेक्स बीज और शहद का मिश्रण तैयार कर इसका सेवन करें।
— अदरक और नमक का सेवन करें।
— गुड़, काली मिर्च और जीरा से बने पेय का सेवन करें।
— गाजर का रस पीएं।
खांसी एक स्वास्थ्य समस्या की तुलना में परेशानी अधिक साबित होती है। यह ठंड, एलर्जी या धूम्रपान के कारण पैदा होने वाली एक अनचाही समस्या है। खांसी, खासतौर से बच्चे में खांसी, उनके जीवन की दैनिक गतिविधियों और नींद में व्यवधान पैदा करती है, और सर्दी और फ्लू से जुड़े सूक्ष्म जीवों को फैलाने का खतरा पैदा करती है।
अधिकतर खांसी कुछ दिनों के बाद ठीक हो जाती है, जब तक कि वे हार्टबर्न या हार्ट फेल्योर जैसी मौजूदा बीमारी का संकेत न दें। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीकर हाइड्रेटेड रहने की कोषिष करें। खास तौर पर यदि सूखी खांसी है, तो स्टीम इनहेलेशन और ब्रीदिंग एक्सरसाइज जैसे सरल उपायों पर अमल करें। इसके अलावा भरपूर नींद लेने की भी सलाह दी जाती है। यदि खांसी बनी रहती है, तो शहद के साथ हर्बल पदार्थों का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
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