लेजी आई जिसे एम्बलीओपिया भी कहा जाता है, आंख की वैसी बीमारी है या दृश्टि के विकास से संबंधित वैसा विकार है जिसमें आंख सामान्य दृश्य तीक्ष्णता प्राप्त करने में विफल रहती है। इसे यहां तक कि चश्मा या कांटैक्ट लेंस से भी ठीक नहीं किया जा सकता है।
लेजी आई की शुरुआत बचपन के दौरान ही हो जाती है और बाल्यावस्था के दौरान यह विकसित होती है। यह बचपन की ऐसी प्रारंभिक स्थिति है जिसमें बच्चे की दृष्टि विकसित नहीं होती है। अधिकतर मामलों में यह पहले एक आंख में विकसित होती है, लेकिन कुछ मामलों में, यह दोनों आंखों को प्रभावित कर सकती है।
इसकी समय पर पहचान और इलाज से दृष्टि को कम होने से रोकने में मदद मिल सकती है। लेकिन अगर इसका इलाज नहीं कराया जाये, तो इससे प्रभावित आंखों में गंभीर दृश्य विकलांगता हो सकती है।
लेजी आई सिंड्रोम के संकेत क्या हैं?
लेजी आई शिशु दृष्टि के विकास से जुड़ी समस्या है और इसके लक्षणों को समझना मुश्किल हो सकता है। अगर बच्चे या शिशु को भैंगापन है या आंखों की कुछ अन्य स्पष्ट गड़बड़ी है, तो तुरंत उनके आंखों की जांच की जानी चाहिए। दूसरा संकेत यह है कि बच्चे की एक आंख को ढक देने पर वह रोता है या गुस्सा करता है। इसके मुख्य लक्षण हैं - आंख में झुकाव (अंदरूनी, बाहरी, नीचे या ऊपर की ओर), आंखों के बीच समन्वय का अभाव, गहराई को नहीं भांप पाना, भैंगापन या एक आंख बंद करना, सिर में झुकाव, विजन स्क्रीनिंग टेस्ट के असामान्य परिणाम या बच्चे की दोहरी या धुंधली दृष्टि।
आंखों की जांच से पहले, लक्षण हमेशा नहीं नजर आते हैं या लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं और इसलिए बचपन के शुरुआती चरणों से ही दृष्टि की जांच महत्वपूर्ण है। भैंगापन, बचपन के मोतियाबिंद या आंख से संबंधित किसी अन्य बीमारी का पारिवारिक इतिहास होने पर माता-पिता को अधिक सतर्क होना चाहिए।
संभावित कारण क्या हैं?
लेजी आई बचपन में या जीवन के शुरुआती चरणों में असामान्य दृश्य अनुभव के कारण विकसित होती हैं जो आंखों के पीछे और मस्तिष्क की उतकों की पतली परत के बीच तंत्रिका मार्गों को बदल देती है। पीड़ित आंख को कम दृश्य संकेत प्राप्त होते हैं। इसके कारण अंत में आंखों की एक साथ काम करने की क्षमता घट जाती है और मस्तिष्क कमजोर आंखों से इनपुट को अनदेखा करता है। दृष्टि को धुंधला करने वाली या आंखों में भैंगापन पैदा करने वाली किसी भी चीज की परिणति लेजी आई के रूप में हो सकती है। इसके आम कारण हैंः
क) मांसपेशी असंतुलन या भैंगापन (स्ट्रैबिज्मस) - लेजी आई का सबसे आम कारण आंखों की मांसपेशियों में असंतुलन है। इस असंतुलन के कारण दोनों आंखें समन्वित तरीके से एक समान सीध में नहीं देख पाती और दोनों आंखों की दिशा अलग-अलग होती है।
ख) आंखों के बीच दृष्टि की तीक्ष्णता में अंतर - यह एनीसोमेट्रोपिक एम्ब्लोपिया के नाम से भी जाना जाता है। इसमें दोनों आंख के इलाज में काफी अंतर होता है। और ऐसा अक्सर दूरदृष्टि (फारसाइटिडनेस), निकट दृश्टि (नियरसाइटिडनेस) या आंख की सतह पर अपूर्णता (इम्पर्फेक्षन) के कारण होता है जिसे एस्टिगमेटिज्म कहा जाता है। इन रिफ्रैक्टिव समस्याओं को ठीक करने के लिए अक्सर चश्मा या कांटैक्ट लेंस का इस्तेमाल किया जाता है।
ग) डिप्राइवेशन - यह एम्ब्लोपिया का अत्यंत कम होने वाला रूप है। इसमें एक आंख के लेंस में धुंधलापन आ जाता है जिससे देखने में दिक्कत आती हैै और इससे आंख कमजोर हो जाती है। कभी-कभी इससे दोनों आंखें प्रभावित हो जाती है। ऐसा निम्न कारणों से हो सकता है -
1. कॉर्नियल अल्सर, स्कार या दृष्टि से संबंधित अन्य रोग,
2. जन्मजात मोतियाबिंद, जिसमें बच्चा धुंधले लेंस के साथ पैदा होता है
3. पलकों का लटका होना
4. ग्लूकोमा
5. आंख में चोट
समयपूर्व प्रसव, जन्म के समय बच्चे का कम वज़न, इस बीमारी का पारिवारिक इतिहास और विकास से संबंधित अन्य कमियां जैसी स्थितियां आम कारक हैं जो लेजी आई होने के खतरे को बढ़ाती हैं। इस स्थिति का वास्तविक मूल कारण दृष्टि की समस्या से संबंधित नहीं है बल्कि तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क से संबंधित है।
कैसे किया जाता है इसका इलाज?
ऐसी कई स्थितियां और बीमारियां हैं जो बच्चे की दृश्टि को प्रभावित कर सकती हैं। इनमें सबसे सामान्य लेजी आई सिंड्रोम है। बच्चे की आंख के स्वास्थ्य को कायम रखने के लिए प्रारंभिक निदान और उपचार महत्वपूर्ण हैं और किसी भी तरह का संदेह होने पर, नेत्र रोग विशेषज्ञ के द्वारा तत्काल जांच कराने की सलाह दी जाती है। दृष्टि की प्रभावशीलता के लिए समय पर जांच और प्रारंभिक उपचार आवश्यक है। ऐसे बच्चों में दृष्टि में सुधार और विकास की संभावना 7 साल की उम्र के बाद काफी कम हो जाती है, इसलिए प्रारंभिक जांच और इलाज की आवश्यकता होती है।
लेजी आई के उपचार:
1. आंख की अंतर्निहित समस्या का इलाज - मजबूत आंख और मस्तिष्क एक दूसरी की कमी की क्षतिपूर्ति करते है, लेकिन कई बच्चे असमान दृष्टि से अनजान रहते हैं। और कमजोर आंख के और खराब हो जाने के कारण, लेजी आई होने का खतरा बढ़ जाता है। कई बार लेंस की सुधारात्मक सर्जरी करने की जरूरत पड़ती है।
2. लेजी आई से देखना - इसके लिए जिम्मेदार कारण का एक बार इलाज हो जाने पर, आई पैच, आई ड्राॅप्स या माइनर लेजर सर्जरी जैसी कई अन्य द्वितीयक उपायों की मदद से भी दृष्टि को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
3. व्यायाम - नेत्र रोग विशेषज्ञ दृष्टि को सही करने में मदद के लिए विभिन्न नेत्र व्यायामों को करने की सलाह देते हैं। इसके तहत मजबूत आंख को ढक दिया जाता है और कमजोर आंख से बच्चे सेे उसकी उम्र के अनुसार कलर करने, डॉट-टू-डॉट ड्राइंग, वर्ड गेम या लेगो बिल्डिंग जैसी दृष्टि से संबंधित गतिविधियां कराई जाती है। कमजोर आंख में ताकत लौटने के बाद घर में ही पेंसिल पुश-अप कराया जाता है। इस व्यायाम में नाक की नोक के चारों ओर धीरे-धीरे पेंसिल चलायी जाती है और इस गतिविधि के दौरान पेंसिल के आखिरी सिरे पर ध्यान केंद्रित करना होता है जब तक कि यह धुंधला नहीं हो जाता है।
4. विजन थेरेपी सॉफ्टवेयर: विजन थेरेपी को विजुअल मोटर और / या अवधारणात्मक-संज्ञानात्मक कमियों को सही करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो एक व्यक्तिगत, पर्यवेक्षित, उपचार कार्यक्रम है। विजन थेरेपी सत्रों में वैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं जो मस्तिष्क की नियंत्रण की क्षमता को बढ़ाती हैं। इन प्रक्रियाओं में शामिल हैं:
— आई अलाइनमेंट,
— आई ट्रैकिंग और आई टीमिंग,
— आंखों की ध्यान केंद्रित करने की क्षमताएं,
— आई मूवमेंट, और / या
— विजुअल प्रोसेसिंग।
विज़ुअल-मोटर कौशल और सहनशक्ति को चिकित्सीय लेंस, प्रिज्म और फ़िल्टर सहित विशेष कंप्यूटर और ऑप्टिकल उपकरणों के उपयोग के माध्यम से विकसित किया जाता है। थेरेपी के अंतिम चरण के दौरान, रोगी के द्वारा प्राप्त किये गये दृश्टि कौशल को मजबूत किया जाता है और पुनरावृत्ति के माध्यम से और मोटर और संज्ञानात्मक कौशल के साथ एकीकृत कर स्वचालित किया जाता है।
लेजी आई सिंड्रोम के इलाज में तकनीकी कामयाबियां
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