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मांसहारी पुरूषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा होता है अधिक 

भारत में विशेषकर बुढ़ापे में प्रोस्टेट कैंसर के बढ़ते मामलों के बारे में बताया। प्रोस्टेट पुरुषों में पायी जाने वाली एक ग्रंथि है। यह मूत्राशय के नीचे और मलाशय के सामने स्थित होता है। उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट के आकार में परिवर्तन आता है। किषोरावस्था के दौरान षरीर में पुरुश हार्मोन (एंड्रोजन) के अधिक बनने के कारण इसके आकार में तेजी से वृद्धि होती है। उसके बाद वयस्क अवस्था में प्रोस्टेट का आकार बढ़ना रुक जाता है या जब तक पुरुश हार्मोन मौजूद होते हैं, तब तक यह बहुत धीमी गति से बढ़ता है। युवा पुरुषों में, यह लगभग एक अखरोट के आकार के बराबर होता है, लेकिन यह बुजुर्ग पुरुषों में ज्यादा बड़ा हो सकता है।
प्रोस्टेट में कई प्रकार की कोशिकाएं पायी जाती हैं, लेकिन लगभग सभी प्रोस्टेट कैंसर ग्रंथि कोशिकाओं (वैसी कोषिकाएं जो प्रोस्टेट द्रव बनाती हैं जो वीर्य में मिल जाता है) से विकसित होते हैं। कुछ प्रोस्टेट कैंसर तेजी से बढ़ते और तेजी से फैलते हैं, लेकिन अधिकतर प्रोस्टेट कैंसर धीरे- धीरे बढ़ते हैं। कुछ शोध से पता चलता है कि प्रोस्टेट कैंसर की षुरूआत कैंसर- पूर्व स्थिति से होती है, हालांकि अभी तक इसे सुनिश्चित नहीं किया जा सका है।
कुछ जोखिम कारक कैंसर जैसी बीमारी के होने की संभावना को बढ़ाते हैं। धूम्रपान जैसे कुछ जोखिम कारक में बदलाव किया जा सकता है। लेकिन व्यक्ति की उम्र या पारिवारिक इतिहास जैसे अन्य जोखिम कारकों में बदलाव नहीं किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए सिर्फ जोखिम कारक ही जिम्मेदार नहीं होते हैं। एक या अधिक जोखिम कारक वाले कई लोगों को कभी कैंसर नहीं होता, जबकि कैंसर से पीड़ित कई रोगियों में कुछ ही जोखिम कारक होते हैं या कोई ज्ञात जोखिम कारक नहीं होता।
40 से कम उम्र के युवा पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के मामले लगभग नही के बराबर देखने को मिलते हैं। लेकिन 50 वर्ष की उम्र के बाद प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा बहुत तेजी से बढ़ता है। पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर के 10 में से 6 मामले 65 वर्श के बाद होते हैं। अफ्रीकी - अमेरिकी पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के मामले अधिक होते हैं जबकि एशियाई पुरुषों में इसके मामले कम होते हैं। प्रोस्टेट कैंसर कुछ परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है, जिससे पता चलता है कि कुछ मामलों में यह वंषानुगत या आनुवांशिक कारकों के कारण भी हो सकता है। किसी व्यक्ति के पिता या भाई के प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित होने पर उसमें यह बीमारी होने का खतरा दोगुना हो जाता है। वैज्ञानिकों ने वंषानुगत जीन में कुछ ऐसे परिवर्तन पाये हंै जो प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। लेकिन ये शायद प्रोस्टेट कैंसर के कुल मामलों में से कुछ प्रतिशत के लिए जिम्मेदार होते हैं।
प्रोस्टेट कैंसर में आहार की सटीक भूमिका का स्पष्ट रूप से पता नहीं है, लेकिन इसे संबंध में कई कारकों का अध्ययन किया गया है। जो पुरुष लाल मांस या अधिक वसा वाले डेयरी उत्पादों का बहुत अधिक सेवन करते हैं, उनमें प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना थोड़ी अधिक होती है। ऐसे पुरुशों में कम फलों और सब्जियों के सेवन करने की भी प्रवृति होती है। डॉक्टर इसे लेकर ज्यादा आष्वस्त नहीं हैं कि इन कारकों में से कौन से कारक इस खतरे को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रोस्टेट कैंसर का वास्तविक कारण ज्ञात नहीं है, इसलिए इस समय इस बीमारी के अधिकतर मामलों को रोकना संभव नहीं है। प्रोस्टेट कैंसर के खतरे पर शारीरिक वजन, शारीरिक गतिविधि, और आहार के प्रभाव स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन कुछ चीजों पर अमल कर प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं। 


डाॅ. अनंत कुमार, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के प्रख्यात मूत्र रोग विशेषज्ञ


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