नौकरी नहीं होने की तुलना में नौकरी खो जाने का डर स्वास्थ्य पर अधिक खतरनाक प्रभाव डालता है।
हाल में किये गये दो अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने पाया है कि नौकरी खो चुके लोगों की तुलना में नौकरी खोने को लेकर चिंतित लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन की समाजशास्त्री सारा बरगर्ड कहती हैं, ''हमने दोनों ही अध्ययनों में नौकरी खो चुके और नौकरी खोने को लेकर चिंतित लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का अध्ययन करने पर पाया कि जो लोग भविष्य में अपनी नौकरी के खोने को लेकर चिंतित रहते हैं उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सहित पूरे स्वास्थ्य पर ही इसका बहुत खराब असर पड़ता है। जबकि एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि नौकरी खोकर दोबारा नौकरी पाने वाले लोगों की तुलना में पहले से नौकरी कर रहे लेकिन नौकरी खोने का डर पाले लोगों में डिप्रेशन अधिक होता है।
बरगर्ड कहती हैं, ''वास्तव में धूम्रपान या उच्च रक्तचाप की तुलना में नौकरी की असुरक्षा लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत गहरा प्रभाव डालती है। इसका एक सामान्य कारण असुरक्षा की भावना के कारण पैदा हुआ तनाव है।''
दूसरे अध्ययन में पाया गया है कि तनाव स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। यह लोगों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है और किसी भी व्यक्ति की जिंदगी को छोटा कर सकता है।
बरगर्ड और उनके सहयोगियों ने राष्ट्रीय स्तर पर अमरीकी लोगों के दो सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों का परीक्षण किया। दोनों सर्वेक्षण अध्ययन में शामिल लोगों के दो साक्षात्कारों पर आधारित था। पहला सर्वेक्षण वर्ष 1986 से 1989 के बीच और दूसरा सर्वेक्षण वर्ष 1995 से 2005 के बीच किया गया।
प्रसिद्ध जर्नल सोशल साइंस एंड मेडिसीन में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि अमरीकी श्रम बाजार में नौकरी की असुरक्षा के संदर्भ में नियोक्ता और कर्मचारियों के बीच का बंधन कमजोर हुआ है। बरगर्ड कहती हैं कि इस अनुबंध पर भी अध्ययन करने की जरूरत है कि यह अनुबंध स्वास्थ्य पर किस तरह हानिकारक प्रभाव डालता है।
बरगर्ड कहती हैं, ''भविष्य को लेकर अनिश्चितता की स्थिति,, किसी के खिलाफ कार्रवाई करने में असमर्थता और संस्थान की ओर से किसी भी तरह की मदद के अभाव के कारण लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा हो जाती है।''
अनुसंधानकर्ताओं ने जाति, वैवाहिक स्थिति, शिक्षा और नौकरी के चरित्र जैसे अन्य कारकों को नियंत्रित करने पर पाया कि असुरक्षा और स्वास्थ्य के बीच का संबंध वास्तव में किसी और चीज पर आधारित नहीं था और उनका स्वास्थ्य सिर्फ असुरक्षा भी भावना के कारण ही खराब हुआ था।
बरगर्ड कहती हैं कि जब आप यह सोचते हैं कि आपकी आमदनी बंद होने वाली है तो आप स्वास्थ्य बीमा और रिटायरमेंट लाभ जैसी कई सुविधाओं को भी देखते हैं इसलिए नौकरी की असुरक्षा इतना तनावपूर्ण है।
बरगर्ड कहती हैं कि नौकरी की असुरक्षा नयी बात नहीं है लेकिन वैश्विक मंदी के कारण मौजूदा नौकरी की असुरक्षा काफी अधिक तनावपूर्ण मानी जा रही है इसलिए आज के संदर्भ में यह अध्ययन बिल्कुल सटीक साबित हो रहा है।
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