Header Ads Widget

We’re here to help you live your healthiest, happiest life.

नियमित योग की मदद से कमर दर्द से निजात पा सकते हैं 

योग हमें न केवल स्वस्थ और फिट रखता है, बल्कि कई बीमारियों से बचाता भी है और कई बीमारियों के इलाज में भी लाभदायक है। योग से विभिन्न मांसपेशियों और मांसपेशी समूहों में सुदृढ़ता आती है। योगासनों का मकसद सिर्फ असुविधाजनक मुद्राएं बनाना नहीं है, बल्कि इसके लिए एकाग्रता और पूरे शरीर की विशेष मांसपेशियों के प्रयोग की जरूरत होती है। योगासन की इन मुद्राओं का अभ्यास मांसपेशियों को मजबूत बनाता है तथा इसमें विभिन्न गतिविधियां भी शामिल होती हैं।
आइए जानते हैं कि योग का कमर दर्द से बचाव एवं उसके इलाज में किस तरह से फायदेमंद है। 
कमर दर्द और योग
योग की कई मुद्राएं कमर की मांसपेशियों कोे धीरे-धीरे सुदृढ़ बनाने के साथ-साथ उदरीय मांसपेशियों को भी मजबूत करती हैं। कमर और उदर की मांसपेशियां रीढ़ के मांसपेशीय जाल का बेहद अहम् अंग होते हैं। इनसे शरीर के ऊपरी हिस्से की गतिविधियां और मुद्राएं सही बनाए रखने में मदद मिलती है। जब ये मांसपेशियां सही अनुकूलन की अवस्था में होंगी तब कमर दर्द से बचाव अथवा उसे कम किया जा सकता है।
खिंचाव- योग में मांसपेशियों का खिंचाव और ढीला छोड़ने की क्रियाएं शामिल होती हैं। इससे तनावयुक्त मांसपेशियों से तनाव कम हो जाता है। योग में एक व्यक्ति को कुछ सामान्य और सरल मुद्राओं में 10 से 60 सेकंड रहना होता है। इन शारीरिक मुद्राओं मेें बने रहने के दौरान मुद्राएं लचीली होती हैं तो कुछ खिंचाव आता है। इस प्रकार मांसपेशियों और जोड़ों में लचीलापन बढ़ता है और दबाव कम होता होता है। जिन लोगों की कमर के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत है उनके लिए खिंचाव (स्टेªसिंग) बहुत जरूरी है। उदाहरण के लिए हेमस्ट्रिंग मांसपेशियांे, जो जांघों के पीछे की तरफ होती हैं, पर खिंचाव मुद्राओं से श्रोणिय गतिविधि और फैलाव में मदद मिलती है, जिससे कमर के निचले हिस्से में तनाव काफी कम हो जाता है। इसके अतिरिक्त, योग के खिंचाव वाले आसनों से रक्त प्रवाह में तेजी आती है, पोषक तत्वों का भी प्रवाह बढ़ता है, अपशिष्ट और विषैले पदार्थ बाहर आते हैं और कमर के निचले हिस्से की मांसपेशियों और कोमल कोशिकाओं/ऊतकों का सम्पूर्ण पोषण होता है।
योगासनों के दौरान श्वास प्रक्रिया का बहुत महत्व होता है। जब हम एक मुद्रा मेें स्वयं को रोकते हैं तो उस समय सांसें भी नियंत्रित करनी होती हैं। इसके अलावा, इसका उद्देश्य दोनों नासिकाओं से गहरी, खुली और लयगत सांस लेना और छोड़ना है। सांस प्रक्रिया की उत्तमता पर ही बहुत मायनों में योगासनों की सफलता निर्भर होती है। इसमें दबाव मुक्त शरीर और उचित रक्त प्रवाह बनाने पर जोर दिया जाता है।
मुद्राएं, संतुलन और शारीरिक संरक्षण - योगासनों का उद्देश्य शरीर को स्वस्थ और लचीला बनाना है। आसनों का लगातार अभ्यास करने से मुद्राओं में सुधार होगा और सिर, कंधे और श्रोणीय संरेखण के साथ पूरे शारीरिक संतुलन में बढ़ोत्तरी होगी। इसके अतिरिक्त योग में शरीर को लचीला और सुदृढ़ दोनों बनाया जाता है जो अन्य व्यायाम पद्धतियों में नहीं होता।


Post a Comment

0 Comments