पिछले कुछ वर्षों में पल्मोनरी रोगों से गंभीर रूप से पीड़ित रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसके लिए धूम्रपान के साथ-साथ खराब हवा जिम्मेदार है जो साफ तौर पर फेफड़ों को बाधित करता है और यह बाद में गंभीर पल्मोनरी रोग पैदा करता है।
मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, साकेत के एडल्ट सीटीवीएस, हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट के एसोसिएट डायरेक्टर और स्पेशलिस्ट डॉ. राहुल चंदोला ने कहा, “जो लोग नियमित रूप से जहरीले धुएं और पार्टिकुलेट मैटर के संपर्क में रहते हैं उनमें पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईएलडी) के मामले अधिक होते हैं। जैसे कि संगमरमर की खदानों और पेंट उद्योग में काम करने वाले लोगों के पास सुरक्षात्मक उपकरण नहीं होते हैं तथा उनके लिए नियमित स्क्रीनिंग की व्यवस्था नहीं होती है। लगातार इनके प्रत्यक्ष संपर्क में रहने के कारण ऐसे लोगों में पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईएलडी) के मामले अधिक होते हैं। ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इस तरह के बढ़ते मामलों और इन जानलेवा बीमारियों की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करना महत्वपूर्ण है। अंतिम चरण में पहुंच चुके फेफड़ों के रोगों से ग्रस्त लोगों में जीवन प्रत्याशा निराशाजनक होती है और इन रोगियों को लंबे समय तक जीवित रखने के लिए फेफड़े का प्रत्यारोपण 'स्वर्ण मानक' है। अंतिम चरण के फेफड़ों के रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए फेफड़ों के प्रत्यारोपण की सुविधा अब कई अस्पतालों में उपलब्ध है।''
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