44 वर्षीय श्री विकास गुप्ता को रात में जल्दी बिस्तर पर जाने और सही समय पर जागने के बावजूदए अलार्म की आवाज सुनने पर रोने का मन करता था। जब वह जागते थे तो बिल्कुल तरोताजा महसूस नहीं करते थे और दिन का काम करने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं रहते थे। उन्हें दिन के दौरान झपकी आती रहती थी जो उनके लिए ठीक नहीं था। इसका पहला संकेत उनकी पत्नी से मिला जो वर्षों से उनके खर्राटों की शिकायत कर रही थी। उनकी पत्नी ने उन्हें डॉक्टर से परामर्श करने का सुझाव दिया कि वह हर समय थकावट महसूस क्यों करते हैं और पूरी तरह से जांच करने पर पता चला कि स्लीप डिसआर्डर से पीड़ित थे जिसे ऑबस्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) कहा जाता है।
क्यूआरजी हेल्थ सिटी, फरीदाबाद के रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के वरिष्ठ कंसल्टेंट और विभागाध्यक्ष डॉ. गुरमीत सिंह छाबड़ा ने बताया, ''स्लीप एप्निया एक क्रोनिक स्थिति है। नींद के दौरान मांसपेशियां के रिलैक्स होने पर मुलायम ऊतक कालैप्स होकर वायुमार्ग को अवरुद्ध कर देते हैं, उसी के कारण यह होता है। इसके कारण, बार—बार सांस रुकती है जिसके कारण अक्सर ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। रुक—रुक कर सांस लेने के बाद नींद खुलती रहती है जिससे नींद बाधित होती है।''
स्लीप एप्निया से पीड़ित अधिकांश लोगों में इसका पता नहीं चलता। स्लीप एप्निया से 20.30 प्रतिशत लोगों के पीड़ित होने का अनुमान हैए लेकिन इनमें से 90 प्रतिशत लोगों को इसका पता नहीं होता है और वे इस कारण वे इसका इलाज नहीं कराते हैं। लेकिन इसका इलाज नहीं कराने पर अक्सर नीद के दौरान अत्यधिक नींद या थकान महसूस होती हैए साथ ही सुबह के समय सिरदर्द होता है और याददाश्त में कमी आने लगती है। स्लीप एप्निया का इलाज नहीं होने पर यह उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, हृदय रोग, मधुमेह और क्रोनिक एसिड रिफ्ल्स जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ाती है।
स्लीप एप्निया का पता लगाने के लिए सबसे बेहतर तरीका स्लीप स्डटी है। इसके तहत मुंह का परीक्षण किया जाता है जिससे संभावित स्लीप एप्निया का पता चलता है।
इसके उपचार के विकल्पों में कंटीनुअस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (सीपीएपी) या बिलीवेल पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (बीपीएपी) थेरेपी, ओरल अप्लायन्स थेरेपी और सर्जरी शामिल हैं। स्लीप एप्निया का सबसे आम उपचार सीपीएपी थेरेपी है। इसके तहत वायुमार्ग को खोलने के लिए वायुमार्ग में लचीली ट्यूब के माध्यम से अधिक दबाव के साथ हवा डाली जाती है।
0 Comments: