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सर्जरी का बदलता परिदृृश्य

एक युवती सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो जाती है। मस्तिष्क में लगी गहरी चोट के कारण वह बेहोश हो जाती है। मौके पर पहुंचे एक आपातकालिक चिकित्सक तत्काल अपनी जेब से अत्यन्त छोटी पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन से युवती के मस्तिष्क की स्कैनिंग करते हैं तथा प्राप्त जानकारियों एवं तस्वीरों को मोबाइल फोन के जरिए जर्मनी के एक अत्याधुनिक अस्पताल को डिजिटल रूप में भेज देते हैं। उस अस्पताल में डिजिटल तस्वीरों के विश्लेषण से मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त हिस्से की नसों तथा मस्तिष्क में रक्त स्राव का पता लगा लिया जाता है। जर्मन अस्पताल के वरिष्ठ शल्य चिकित्सक आनन-फानन में आपात आपरेशन की पूरी रूपरेखा तैयार करते हैं। तब तक घायल युवती को बोस्निया के स्थानीय अस्पताल में भर्ती करके उसे आपरेशन के लिए तैयार किया जाता हैै। बोस्निया से सैकड़ों किलोमीटर दूर जर्मनी में बैठे शल्य चिकित्सक इंटरनेट के जरिए बोस्निया के अस्पताल के रोबोट को आपरेशन के बारे में निर्देश देते हैं और रोबोट दूर बैठे चिकित्सक के निर्देश के अनुसार आपरेशन करता जाता है। आपरेशन सफल होता है और युवती जल्द ही स्वस्थ हो जाती है। स्वस्थ होने पर युवती उस शल्य चिकित्सक से मिलने जर्मनी जाती है, जिसने हाथ लगाए बगैर उसका सफल आपरेशन किया था। 
यह कोई कपोल कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है। आज इस तरह की सर्जरी हालांकि बहुत कम होती है लेकिन भविष्य में इंटरनेट और रोबोट की मदद से दूर से होने वाली सर्जरी (दूर सर्जरी) आम हो जायेगी। भविष्य में शल्य चिकित्सक आपरेशन कक्ष में यहां तक कि उसी शहर या देश में मौजूद रहे बगैर मीलों दूर से मरीजों के आपरेशन कर सकेंगे। 
मीलों दूर से सर्जरी 
इस तरह के आपरेशन कुछ समय पूर्व अमरीका के पेनसिल्वया स्टेट युनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने भी किये थे। इन अनुसंधानकर्ताओं ने इंटरनेट से जुड़े रोबोट की मदद से 17 मरीजों की सफल शल्य चिकित्सा करके भविष्य में सैकडों-हजारों मील दूर से की जाने वाली सर्जरी का मार्ग प्रशस्त कर दिया। इन अनुसंधानकर्ताओं ने दिल के मरीजों की दूर से सर्जरी करने के लिये रोबोटिक आर्म की मदद से मरीजों के शरीर में बहुत छोटा छिद्र करके कम्प्यूटर संचालित अत्यंत छोटा कैमरा फिट कर दिया। शल्य चिकित्सक के निर्देश पर काम करने वाले और सर्जन की गतिविधियों की नकल करने वाले कम्प्यूटर तक डाक्टर के हाथों की गतिविधियां प्रेषित की गयी। इस कम्प्यूटर के ने डिजिटल टेक्नोलाॅजी की मदद से आपरेशन कक्ष के शल्य टेबल से जुड़े दो रोबोटिक हाथों को निर्देशित करते हुये आपरेशन को अंजाम दिया। इस तकनीक की मदद से पिछले दस महीनों में 17 मरीजों का आपरेशन किया गया है और अब सभी मरीज सकुशल हैं। किसी भी मरीज को रोबोट आधारित आपरेशन के कारण, आपरेशन के दौरान या बाद में किसी तरह की परेशानी या जटिलतायें नही हुयी । 
ऐसी ही एक और घटना में न्यूयार्क के चिकित्सकों की एक टीम ने फ्रांस के अस्पताल में भर्ती एक 68 वर्षीय महिला के गाॅल ब्लाडर का आपरेशन रोबोट के जरिए किया। हालांकि ऐसी घटनाएं भले ही चमत्कार की तरह लगती हैं, लेकिन आज भी दुनिया के कम से कम 100 अस्पतालों में रोबोटिक सर्जरी के ये चमत्कार रोजमर्रे की आम घटनाएं की तरह है। इंटरनेट, रिमोट कंट्रोल, मोबाइल और रोबोट के इस्तेमाल की बदौलत हासिल हुई इन तकनीकी कामयाबियों के आज क्रांतिकारी परिणाम सामने आ रहे हैं। 
रोबोटिक सर्जरी
नवीनतम शल्य तकनीकों के माध्यम से आज कोई भी चिकित्सक दुनिया के किसी भी हिस्से में जटिल से जटिल  आॅपरेशन कर सकता है या आपरेशन में भागीदारी कर सकता है। आज सिर्फ मनोरंजन, संचार एवं सूचना तथा परिवहन के क्षेत्र में ही नहीं, चिकित्सा के क्षेत्र में दूरियों का खात्मा हो गया है। मरीज चाहे युद्ध मैदान में घायल पड़ा सिपाही हो या अंतरिक्ष में बीमार कोई अंतरिक्ष यात्री, उसका इलाज और जरूरत पड़ने पर आपरेशन तत्काल संभव है, वह भी दुनिया के माने हुए सर्जनों के हाथों।
जिस प्रकार 20वीं शताब्दी में कंप्यूटर ने मानव जीवन की गति असीमित कर दी, उसी प्रकार रोबोटिक तकनीक 21वीं शताब्दी में मनुष्य की जीवन शैली और चिकित्सा के तौर-तरीके में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाली है। हम मनुष्य की तरह रोबोट का काम करना भले ही भविष्य की हकीकत है, लेकिन रोबोटिक सर्जरी अब भविष्य नहीं वर्तमान की हकीकत बन चुकी है। 
भारत में रोबोटिक सर्जरी
भारत में अभी तक दूरसंचालित रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल आरंभ नहीं हुआ है, लेकिन कुछ बड़े अस्पतालों में आपरेशनों के दौरान रोबोट एवं रोबोटिक आर्म का इस्तेमाल होने लगा है। न्यूरो एवं स्पाइन सर्जरी की आधुनिकतम तकनीकों  के विशेषज्ञ डा. राजेन्द्र प्रसाद बताते हैं कि आने वाले समय में मरीज की एम.आर्र.आई.(मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग), सीटी (कम्प्यूटर टोमोग्राफी) अथवा पेट (पोजिट्राॅन इमिशन टोमोग्राफी) जैसे परीक्षणों के स्कैन इंटरनेट के जरिये दूर बैठे सर्जन को भेज दिये जायेंगे और सर्जन स्कैन का विश्लेषन करके सर्जरी की प्लानिंग करेगा तथा अपने कम्प्यूटर से ही आपरेशन कक्ष में इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटर संचालित रोबोट को आपरेशन से संबंधित निर्देश देगा और रोबोट सर्जन के निर्देश के अनुसार मरीज का आपरेशन करेगा। 
विशेषज्ञों का मानना है कि इंटरनेट और रोबोट की मदद से होने वाली सर्जरी परम्परागत सर्जरी की तुलना में सही एवं सुरक्षित होती है। जाहिर है कि आने वाले समय में दूर सर्जरी की बदौलत शल्य चिकित्सा का परिदृश्य पूरी तरह से बदलने वाला है। भविष्य में नयी दिल्ली या मुंबई में बैठा सर्जन किसी दूर दराज के कस्बे में इंटरनेट के जरिये आपरेशन कर सकेगा जिससे गंभीर मरीजों को बड़े शहर लाने-ले जाने में लगने वाले समय और पैसे की बचत तो होगी ही, मरीज का सही समय पर आपरेशन करके मरीज की जान बचायी जा सकेगी 
डा. राजेन्द्र प्रसाद बताते हैं कि हमारे देश में इस तरह के आपरेशनों की शुरूआत होने में कम से कम एक दशक लगेंगे लेकिन फिलहाल अपने देश के कुछ आधुनिक अस्पतालों में मस्तिष्क तथा कुछ अन्य अंगों के आपरेशनों में रोबोट एवं रोबोटिक आर्म की सहायता ली जा रही है । आपरेशन के दौरान माइक्रोस्कोप, मस्तिष्क की त्रिआयामी इमेजिंग, इंटरवैंशनल एमआरआई, इंटरनेट, रोबोटिक सर्जरी, स्टीरियोटैक्सी, इंडोस्कोपी और रेडियोसर्जरी जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होने से न केवल आपरेशन आसान एवं कारगर बन गए हैं, बल्कि शल्य चिकित्सकों की की क्षमता भी बढ़ गई है। 
इन आधुनिकतम तकनीकों, कम्प्यूटरों एवं रोबोट के अर्विभाव के कारण एक समय खतरनाक और अत्यंत असुरक्षित माने जाने वाली मस्तिष्क, हृदय और स्पाइन की सर्जरी आज अत्यंत सुरक्षित एवं कारगर बन गयी है। भविष्य में सर्जरी की कुछ वर्ष पूर्व तक लोग मस्तिष्क या स्पाइन सर्जरी कराने से डरते थे, क्योंकि इसमें आपरेशन के लिये मस्तिष्क को खोलना पड़ता था या काफी चीर-फाड़ करनी पड़ती थी। इससे मस्तिष्क या स्पाइन के दूसरे भागों को भी क्षति पहुंचने की आशंका होती थी। 
आधुनिक आपरेशन थियेटर
सर्जरी की नयी-नयी तकनीकों के आगमन के साथ आॅपेशन थियेटरों का स्वरूप भी आज काफी हद तक बदल गया है और भविष्य में यह बदलाव तेजी से जारी रहेगा। भविष्य में आपरेशन थियेटरों से परम्परागत कैंची-छुरियों एवं चीर-फाड़ के काम में आने वाले अन्य औजारों की विदाई होने वाली है। कम से कम चीर-फाड़ (मिस अर्थात् मिनिमली इंवैसिव सर्जरी) या बिना चीर-फाड़ (निस अर्थात् नाॅन इंवैसिव सर्जरी) के किये जाने वाले आपरेशनों की गुंजाइश बढ़ने के साथ अब चाकू-छुरियों का स्थान कम्प्यूटर, माॅनिटर, कैमरे, स्कोप्स, इंसफलेटर्स, पम्प, शेवर्स, प्रिंटर और वी सी आर जैसे उपकरण लेने वाले हैं। भविष्य में बनने वाले ऐसे चलायमान एवं डिजिटल आपरेशन थियेटरों से शल्य चिकित्सकों की क्षमता एवं गति बढ़ेगी, आपरेशन में कम समय लगेगा, आपरेशन की कारगरता बढ़ेगी, आपरेशन के दौरान किसी तरह की गलती होने तथा मरीज को कोई जोखिम होने की आशंका घटेगी। आपरेशन की नयी तकनीकों के आगमन के साथ आज आपरेशन के परम्परागत तौर-तरीके तथा परम्परागत आपरेशन थियेटर न केवल अपर्याप्त एवं अनुपयोगी साबित होते जा रहे हैं, बल्कि इनका संचालन कठिन एवं खर्चीला भी होता जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही साथ आधुनिक समय में बनने वाले डिजिटल आपरेशन थियेटरों और उनमें मौजूद नवीनतम तकनीकों एवं आधुनिक उपकरणों के संचालन एवं प्रबंधन के लिये विशेष प्रशिक्षण तथा कौशल की आवश्यकता पड़ने लगी है। कई बार यह काम प्रशिक्षित कर्मियों के भी बूते का नहीं हो पाता। इन समस्याओं के निदान के लिये बहुराष्ट्रीय स्ट्राइकर कंपनी ने विशेष आपरेशन कक्ष (इंडोस्यूट) का विकास किया है जिससे आपरेशन थियेटर के संचालन से जुड़ी तमाम समस्याओं का समाधान मिल गया है। स्ट्राइकर इंडोस्यूट आपरेटिंग रूम (इंडोस्यूट ओ आर) में तमाम उपकरणों और तकनीकों का शल्य चिकित्सक के साथ पूर्ण समायोजन होता है और शल्य चिकित्सक के निर्देश के अनुसार सभी तकनीकों एवं उपकरणों का संचालन होता है जिससे चिकित्सक को आपरेशन में किसी तरह की असुविधा नहीं होती है, समय की बचत होती है और आपरेशन भी कारगर होता है। 
इंडोस्यूट में सभी उपकरण एवं तकनीकें कम्प्यूटर से संचालित होते हैं और एक-दूसरे से पूरी तरह जुड़े होते हैं। ये सभी उपकरण शल्य चिकित्सक की आवाज के आधार पर काम करते हैं। इससे आपरेशन करने की सर्जन की क्षमता एवं गति बढ़ जाती है। सर्जन की अपने सहायकों पर निर्भरता कम हो जाती है। इसके अलावा इस आपरेशन को छात्र अपने क्लास रूम में देख सकते हैं अथवा इनका किसी सेमीनार आदि में प्रसारण हो सकता है। ऐसे आधुनिक आॅपरेशन थियेटर सेटेलाइट एवं इंटरनेट के जरिये अन्य आपरेशन थियेटरों से भी जुड़े रहते हैं। 
अस्थि शल्य चिकित्सक डा. राजू वैश्य बताते हैं कि इंडोस्यूट, कम्प्यूटर नैविगेशन सिस्टम और रोबोटिक सर्जरी जैसी नयी प्रौद्योगिकियों की बदौलत न केवल परम्परागत आपरेशन की खामियों को दूर किया जा सकता है, बल्कि इनकी मदद से शल्य चिकित्सक आपरेशन से पहले आपरेशन के बारे में समुचित योजनायें बना सकता है। यही नहीं, इन तकनीकों की बदौलत शल्य चिकित्सक को आपरेशन के दौरान भी कम्प्यूटर से यह सलाह मिलती रहेगी कि उसे किस दिशा में जाना है और किस गलती में सुधार करने की आवश्यकता है। डा. वैश्य बताते हैं कि अभी तक किसी भी आपरेशन की सफलता सिर्फ शल्य चिकित्सकों की कुशलता पर ही निर्भर करती थी और इसलिये अलग-अलग शल्य चिकित्सक द्वारा किये जाने वाले एक ही आपरेशन की सफलता दर अलग-अलग होती थी। लेकिन इंडोस्यूट एवं अन्य नयी तकनीकों के आने से चाहे कोई भी शल्य चिकित्सक आपरेशन करे, आपरेशन में सफलता की दर परम्परागत आपरेशनों की तुलना में काफी अधिक होगी। 


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