उसने कई सपने देखे थे। लेकिन उसे पता नहीं था कि स्नातकोत्तर की पढ़ाई के दौरान जो जीन उसे बहुत अधिक रोमांचित करते थे वही जीन जीवन के बाद के दौर में उसके लिए आफत लेकर आएंगे। शादी के बाद जब वह शादी की खुशियों में डूबी थी उसी समय स्तन कैंसर का पता चला। शादी के बाद खुशी—खुशी रहने की परी कथाओं वाली कल्पना चूर-चूर हो गई और वह कीमोथेरेपी, सर्जरी, रेडियो थेरेपी और हार्मोनल उपचार के चक्रव्यूह में फंस गई। आज के समय में यह कहानी किसी एक लड़की की नहीं बल्कि स्तन कैंसर उपचार की विशेषज्ञता रखने वाले हर ऑन्कोलॉजिस्ट के पास पहुंचने वाली कई महिलाओं की कहानी है। अब ऐसी कहानी आम होती जा रही है।
पिछले महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रकाशित ताजा ग्लोबैकन 2018 में कहा गया है कि स्तन कैंसर भारत में सबसे आम कैंसर है - महिलाओं और पुरूषों दोनों में। इसने सभी अन्य कैंसर को पीछे छोड़ दिया है। यहां हर साल लगभग 1.6 लाख नए स्तन कैंसर की पहचान की जाती है। सभी कैंसर में 14 प्रतिशत स्तन कैंसर होते हैं। लेकिन अधिक परेशान करने वाली बात यह है कि सभी कैंसर के कारण होने वाले मृत्यु में भी स्तन कैंसर पहले स्थान पर है। भारत में 25 महिलाओं में से एक महिला को स्तन कैंसर होने का खतरा है। स्तन कैंसर के दो रोगियों में से केवल रोगी ही इलाज के बाद 5 साल तक जीवित रह पाती हैं। असामान्य उच्च मृत्यु दर के सामान्य कारण इस प्रकार हैं:
1. भारत में ज्यादातर महिलाएं बाद के चरणों में इलाज के लिए आती हैं। हालांकि उन शहरों में प्रवृत्ति बदल रही है जहां महिलाएं अधिक जागरूक हैं और जांच के लिए जल्दी आती हैं, लेकिन पूरे देश में अधिकतर महिलाएं देर से ही इलाज के लिए आती हैं।
2. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में काफी अधिक असमानता है।
3. भारत में अधिकतर महिलाएं न तो आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं और न ही उनके पास स्वास्थ्य बीमा सुविधा है।
4. कैंसर को लेकर समाज में कायम भ्रांतियों, कैंसर के सामाजिक कलंक, वैकल्पिक उपचार के जरिए कैंसर का उपचार किए जाने के लिए झूठे दावों, कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव के डर आदि कारणों से काफी महिलाएं रोग की पहचान के बाद भी इलाज में देर कर देती हैं।
5. भारत में स्तन कैंसर के लिए अधिक कारगर मैमोग्राफिक या किसी अन्य स्क्रीनिंग कार्यक्रम की कमी है।
6. भारत में स्तन कैंसर से पीड़ित युवा महिलाओं का प्रतिशत लगभग 15 प्रतिशत है जो कि पश्चिमी देशों की तुलना में दोगुना है। कम उम्र वाली महिलाओं में कैंसर अधिक आक्रामक होते हैं, जो बाद के चरण में प्रकट होते हैं और उनके आनुवांशिक कारण हो सकते हैं।
क्या ऐसी कोई चीज है जो हम इस खतरनाक महामारी से बचने के लिए कर सकते हैं? हाँ। निश्चित रूप से ऐसा कुछ है जो हम में से हर महिला इस संकट को कम करने के लिए कर सकती है।
1. स्तन में बदलावों से अवगत रहें।
2. जोखिम से बचें या कम करें।
3. स्क्रीनिंग कराएं।
4. अपने जीन का प्रबंधन करें।
स्तन में बदलावों से अवगत रहें:
स्तन में बदलावों के बारे में जागरूक होने की दिशा में पहला कदम स्तन स्वयं परीक्षण है। हर महिला को अपने स्तन और उसके परिवर्तनों से अवगत होना चाहिए। किसी भी प्रकार का असामान्य परिवर्तन होने पर विशेषज्ञ परामर्श की आवश्यकता होती है।
सचेत रहने के लिए संकेत:
1. स्तन में कोई दर्द रहित गांठ
2. स्तन की त्वचा में हाल में हुआ कोई परिवर्तन (त्वचा पर गड्ढा या निशान पड़ना)
3. निप्पल से किसी प्रकार के स्राव का निकलना
4. कांख में कोई भी गांठ
5. स्तन के आकार और बनावट में परिवर्तन।
6. स्तन की त्वचा पर लाली के साथ आरेंज पील का दिखना।
7. निप्पल का ढीला पड़ना या पीछे की ओर धंसना।
स्क्रीनिंग कराएं:
स्क्रीनिंग का मतलब स्तन के एक्स- रे के साथ-साथ डाॅक्टर या हेल्थकेयर प्रोफेशनल के द्वारा नियमित जांच कराना है। 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को हर छह महीने पर स्वास्थ्य की जांच के साथ- साथ सालाना मैमोग्राम कराने की आवश्यकता होती है। चूंकि भारत में महिलाओं में स्तन कैंसर 10 साल पहले होता है, इसलिए प्रारंभिक स्क्रीनिंग जल्द शुरू करने (यानी 40 साल से पहले) में ही अधिक समझदारी है। स्क्रीनिंग मैमोग्राम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कैंसर को उस चरण में पकड़ा जा सकता है जहां यह महसूस नहीं किया जाता है और जल्द पता चलने पर इलाज के परिणाम भी बेहतर आते हैं।
जोखिम से बचें या कम करें:
स्तन कैंसर के लिए जोखिम कारकों में अपरिवर्तनीय जोखिम कारक या संशोधित जोखिम कारक शामिल हैं। अपरिवर्तनीय जोखिम कारक आयु, लिंग और जीन हैं। संशोधित जोखिम कारक जिन्हें कम किया जा सकता है या टाला जा सकता है, वे हैं:
1. अधिक वसा युक्त आहार
2. मोटापा
3. शराब
4. देर से बच्चे पैदा करना
5. हार्मोन की गोलियाँ।
अपने जीन को प्रबंधित करें:
लगभग 10 प्रतिशत स्तन कैंसर वंशानुगत होते हैं। वे एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक जाने में सक्षम होते हैं। हालांकि इसके लिए कई जीन जिम्मेदार होते हैं लेकिन बीआरसीए 1 और 2 सबसे सामान्य हैं। इन जीनों में उत्परिवर्तन 75 साल की उम्र तक स्तन कैंसर के आजीवन खतरे को 50 से 80 प्रतिशत तक बढ़ा देते हैं। यह जानना महत्वपूर्ण है कि क्या आपमें ये जीन मौजूद हैं और यदि ऐसा है तो जोखिम को कम करने के लिए उपाय करें,
1. अधिक निगरानी रखें: मैमोग्राम के अलावा सालाना स्तनों की एमआरआई कराएं।
2. कीमोप्रीवेन्शन: टैमॉक्सिफेन या रालोक्सिफेन रोजाना लेने पर स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
3. खतरे को कम करने वाली सर्जरी: या तो दोनों अंडाशय या दोनों स्तन या दोनों अंडाशय और दोनों स्तन को हटाने से उच्च जोखिम वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
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