स्तन की बायोप्सी एक सरल चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें स्तन से कुछ ऊतक निकाले जाते हैं और उन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है। इससे यह निर्धारित करने में मदद मिल सकती है कि आपके स्तन में गांठ कैंसरजन्य है या कैंसररहित है।
स्तन की बायोप्सी क्यों की जाती है?
स्तन की बायोप्सी आम तौर पर स्तन में गांठ की जांच करने के लिए की जाती है। ज्यादातर स्तन गांठ कैंसर रहित होते हैं। ज्यादातर मामलों में डॉक्टर बायोप्सी कराने के लिए तब कहते हैं जब उन्हें मैमोग्राम या स्तन के अल्ट्रासाउंड के रिपोर्ट को लेकर शंका होती है या शारीरिक परीक्षण के दौरान स्तन में गांठ पाई जाती है।
स्तन की बायोप्सी कराने को तब भी कहा जा सकता है यदि स्तन में कुछ परिवर्तन हो रहा हो, जैसे निप्पल से रक्तनुमा स्राव हो रहा हो, स्तन में पपड़ी पड़ रही हो, त्वचा पर गडढे हों, स्केलिंग हो क्योंकि ये सभी लक्षण स्तन ट्यूमर के विशिष्ट लक्षण हैं।
स्तन की बायोप्सी कैसे की जाती है?
स्तन की बायोप्सी से पहले, आपके डॉक्टर आपके स्तन की जांच करेंगे। इसमें शामिल हो सकते हैंः
— विस्तृत शारीरिक परीक्षण
— अल्ट्रासाउंड स्कैन
— मैमोग्राम
— एमआरआई स्कैन
इन परीक्षणों में से एक परीक्षण के दौरान, आपके डॉक्टर एक पतली सुई या तार को उस क्षेत्र में डाल सकते हैं ताकि सर्जन आसानी से क्षेत्र का पता लगा सके। यह प्रक्रिया आपको लोकल एनेस्थीसिया देकर की जाएगी।
स्तन बायोप्सी के प्रकार
फाइन नीडल बायोप्सी: सर्जन एक छोटी सुई और सिरिंज को गांठ में डालता है और एक नमूना लेता है।
कोर नीडल बायोप्सी: यह फाइन नीडल बायोप्सी के समान है। इस प्रक्रिया में, आपका डॉक्टर कई नमूनों को इकट्ठा करने के लिए एक बड़ी सुई का उपयोग करता है। प्रत्येक सूई का आकार चावल के दाने के आकार के बराबर होता है।
स्टीरियोटैक्टिक बायोप्सी: आपको चेहरा नीचे कर एक विद्युत से संचालित टेबल पर लिटा दिया जाता है जिसमें एक छेद हो सकता है। आपका सर्जन टेबल के नीचे से काम कर सकता है जबकि आपके स्तन को दो प्लेटों के बीच मजबूती से रखा जाता है। डाॅक्टर एक छोटा चीरा लगाएगा और सुई या वैक्यूम-संचालित प्रोब से नमूने लेगा।
एमआरआई-गाइडेड कोर नीडल बायोप्सी: एमआरआई मशीन ऐसी तस्वीरें उपलब्ध कराएगी जो सर्जन को गांठ से नमूने लेने में मदद करेगी। इसमें एक छोटा चीरा लगाया जाता है और एक मोटी नीडल से नमूने लिये जाते हैं।
सर्जिकल बायोप्सी: इसके तहत सर्जरी से स्तन से नमूने लेकर प्रयोगशाला में भेजा जाता है जहां इसके किनारों की जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूरे कैंसरग्रस्त गांठ को हटा दिया गया है या नहीं। भविष्य में इस क्षेत्र की निगरानी के लिए एक मेटल मार्कर को स्तन में छोड़ा जा सकता है।
स्तन की बायोप्सी के जोखिम क्या हैं?
● स्तन के आकार में परिवर्तन जो निकाले गए ऊतक के आकार पर निर्भर करता है।
● निशान
● सूजन
● पीड़ा
● संक्रमण
हालांकि, उपरोक्त दुष्प्रभावों में से अधिकांश अस्थायी होते हैं और इलाज से ठीक हो जाते हैं। बायोप्सी से जटिलताएं नहीं के बराबर होती हैं, जबकि इसके लाभ काफी अधिक होते हैं। इससे आपके संभावित कैंसरयुक्त गांठ होने का समय पर पता चल जाता है और इस प्रकार इस प्रक्रिया से संबंधित किसी भी जोखिम पर यह भारी हैं।
प्रक्रिया के बाद
1. आप उसी दिन घर जा सकते हैं।
2. आपकी बायोप्सी से लिये गये नमूने विश्लेषण के लिए प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे
3. आपको अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार बायोप्सी की जगह को साफ रखने और ड्रेसिंग बदलने की आवश्यकता होगी।
4. यदि निम्न लक्षण दिखाई देते हैं तो कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क करें:
— 1000 फारेनहाइट से अधिक बुखार
— बायोप्सी की जगह का लाल होना और खराश
— बायोप्सी की जगह पर गर्मी महसूस होना
— बायोप्सी की जगह से किसी प्रकार का स्राव
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