रक्तचाप अगर असामान्य हो, तो कई बीमारियां आपको घेर सकती हैं। इसलिए इसे नियंत्रण में रखना बेहद जरूरी है। लेकिन, सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर स्वस्थ रक्तचाप क्या होता है और कैसे इसे कायम रखा जा सकता है।
रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) रक्तवाहिनियों में बह रहे रक्त द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर द्वारा डाले जा रहे दबाव को कहा जाता है। धमनियां वह नलिकाएं होती हैं जो रक्त को हृदय से शरीर के विभिन्न हिस्सों (ऊतकों और इंद्रियों) तक पहुंचाता है। हृदय रक्त को धमनियों में पंप कर धमनियों में रक्त प्रवाह को व्यवस्थित करता है। इस पर लगने वाले इस दबाव को ही रक्तचाप कहते हैं।
डायस्टोलिक रक्तचाप अर्थात नीचे वाली संख्या धमनियों में उस दाब को दर्शाती है जब संकुचन के बाद हृदय की मांसपेशियाँ शिथिल हो जाती हैं। रक्तचाप उस समय अधिक होता है जब हृदय रक्त को धमनियों में पंप करता है। एक स्वस्थ व्यक्ति का सिस्टोलिक रक्तचाप 90 और 120 मिलीमीटर के बीच होता है। सामान्य डायस्टोलिक रक्तचाप 60 से 80 मिमी के बीच होता है। वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुसार सामान्य रक्तचाप 120/80 होना चाहिए। रक्तचाप को मापने के लिए रक्तचापमापी या स्फाइगनोमैनोमीटर नामक उपकरण का प्रयोग करते हैं।
रक्तचाप में दो तरह की समस्याएं होती हैं -
(1) निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) (2) उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)।
निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) - निम्न रक्तचाप वह दाब है जिससे धमनियों और नसों में रक्त का प्रवाह कम होने के लक्षण या संकेत दिखाई देते हैं। जब रक्त का प्रवाह काफी कम होता है तो मस्तिष्क, हृदय तथा गुर्दे जैसी महत्वपूर्ण इंद्रियों में ऑक्सीजन और पौष्टिक पदार्थ नहीं पहुंच पाते। यदि किसी को निम्न रक्तचाप के कारण चक्कर या मितली आती हो या फिर खड़े होने पर वह बेहोश होकर गिर पड़ता हो तो उसे आर्थोस्टेटिक उच्च रक्तचाप कहते हैं।
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) - जब मरीज का रक्तचाप 140/90 से अधिक होता है तो ऐसी स्थिति को उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन कहा जाता है। इसका अर्थ यह है कि धमनियों में उच्च तनाव है। उच्च रक्तचाप का मतलब अत्यधिक भावनात्मक तनाव होना नहीं है। भावनात्मक तनाव व दबाव अस्थायी तौर पर रक्त के दाब को बढ़ा देते हैं। सामान्यतः रक्तचाप 120/80 तक ही होना चाहिए।
139/89 के बीच का रक्त का दबाव प्री-हाइपरटेंशन कहलाता है और 140/90 या उससे अधिक का रक्तचाप उच्च माना जाता है। उच्च रक्तचाप से हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी, धमनियों का सख्त होना, आंखें खराब होना और मस्तिष्क खराब होने का खतरा बढ़ जाता है।
रक्तचाप नियंत्रित करने के कुछ उपाय
अगर रोजमर्रा की जिन्दगी में कुछ बातों का खयाल रखा जाए तो, रक्तचाप की समस्याओं से बचा जा सकता है।
प्रतिदिन करें व्यायाम
अगर आप स्वस्थ रहना चाहते है तो हर दिन व्यायाम करना जरूरी है। रोज कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम अवश्य करें। यदि कोई रोग या समस्या से ग्रस्त हैं तो डॉक्टर से सलाह लें कि आपके लिए किस तरह का व्यायाम उचित है।
शराब से करें परहेज
यदि आप शराब पीते हैं तो आज ही इसका सेवन बन्द कर दें। बहुत से लोग शराब कम करने की सलाह देते हैं लेकिन इस तथ्य में कोई जोर नहीं है। यदि रक्तचाप की समस्या है तो शराब बंद करने और एक दुखद, पीडादायक जीवन में से किसी एक का चुनाव करना पूरी तरह आपके हाथ में है।
वजन पर रखें नियंत्रण
किसी भी व्यक्ति का उसकी लम्बाई और उम्र के हिसाब से एक स्वस्थ वजन होता है। जिसकी सही जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। यदि वजन अधिक है तो व्यायाम, नियंत्रित भोजन आदि की मदद से आप वजन पर नियंत्रण रखे सकते हैं।
नमक पर रखें नियंत्रण
यदि किसी व्यक्ति को अपना रक्तचाप नियंत्रण में रखना है तो उसे दिन भर में एक छोटी चम्मच से ज्यादा नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। फास्ट फूड में सोडियम की मात्रा काफी अधिक होती है इसलिए उनका सेवन भी कम से कम ही करना चाहिए।
सही हो भोजन
भोजन का चयन करते समय सदैव ध्यान रखें कि वह आपके ह्रदय के लिए खतरनाक तो नहीं है। जितना हो सके कम से कम कोलेस्ट्राल वाला भोजन खाएं और संतृप्त वसा से भी परहेज करें।
समय पर डॉक्टर को संपर्क करें
अगर अधिक समस्या हो रही है तो अपने डॉक्टर से जल्द संपर्क करें और यदि आपके डॉक्टर ने आपको दवाइयों का सेवन करने को कहा है तो बिना भूले और सही समय पर दवा लें।
0 Comments