साइक्लिंग अक्सर एक मनोरंजक गतिविधि मानी जाती है। यह टाइप 2 मधुमेह के खतरे को काफी हद तक कम कर सकती है। साइक्लिंग करने पर टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लोगों में ग्लाइसीमिया में काफी सुधार हो सकता है और वजन कम करने में मदद मिल सकती है।'' डीडीआरसी के अध्यक्ष डॉ. ए. के. झिंगन ने डीडीआरसी के द्वारा टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित 40 वर्ष से कम उम्र के 20 पुरुष रोगियों पर किये गये एक पायलट अध्ययन के निष्कर्षों का हवाला दिया। इस अध्ययन के विवरण को हैदराबाद में आरएसएसडीआई के वार्षिक सम्मेलन में साझा किया गया। इस अध्ययन को एंडोक्राइन सोसायटी आफ इंडिया के प्रमुख जर्नल इंडियन जर्नल आफ एंडोक्राइनोलाॅजी एंड मेटाबोलिज्म में प्रकाशित किया गया है।
अध्ययन का उद्देश्य टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित युवा लोगों में 6 महीने में ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन (एचबीए 1 सी) और वजन पर साइकिल चलाने के प्रभाव का आकलन करना था। इसकी कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालते हुए डॉ. ए. के. झिंगन ने कहा, ''इस क्रॉस- सेक्शनल आब्जरवेशनल अध्ययन के तहत, नई दिल्ली में एक कोर साइक्लिंग समूह से टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित वैसे युवा रोगियों (18 वर्श से 40 वर्ष तक) की पहचान की गई जिनका इलाज इंसुलिन के बगैर ≤ 2 ओरल एंटीडायबेटिक दवाओं से किया गया था। उन्हें 6 महीने तक लगातार एक सप्ताह में कम से कम 5 दिन, प्रतिदिन 25 से 30 किलोमीटर तक साइक्लिंग में शामिल किया गया। साइक्लिंग शुरू करने से पहले और साइक्लिंग कार्यक्रम के 6 महीने बाद, रूटीन क्लिनिकल माॅनिटरिंग के तहत उनके वजन और एचबीए 1 सी के स्तर का मूल्यांकन किया गया। प्रतिभागियों ने अध्ययन की अवधि के दौरान रेजिस्टेंस एक्सरसाइज सहित किसी प्रकार के व्यायाम में हिस्सा नहीं लिया।'' दोनों नमूना परीक्षण की आपस में तुलना की गई। इस दौरान मरीजों के लिपिड प्रोफाइल और रक्तचाप रिकॉर्ड की नियमित रूप से जांच की गयी। लिपिड प्रोफाइल साइक्लिंग शुरू करने से पहले और साइक्लिंग शुरू करने के 6 महीने बाद दोबारा किया गया।
इसके परिणाम रोगियों के लिए काफी उत्साहजनक और प्रेरणादायक थे। साइक्लििंग से रोगियों के एचबीए 1 सी (- 1.18) और वजन (- 5 किलो) में महत्वपूर्ण कमी आई। छह महीने तक नियमित रूप से साइक्लिंग करने के बाद एलडीएल लिपिड प्रोफाइल स्तर में महत्वपूर्ण सुधार हुआ और एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड्स दोनों में कमी आई।
डॉ. ए. के. झिंगन ने कहा, ''साइक्लिंग को टाइप 2 मधुमेह के युवा रोगी व्यायाम के एक रूप में अपना सकते हैं। युवा लोगों, विशेष रूप से 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में इस रोग के बढ़ते मामलों ने इस एरोबिक व्यायाम को अपनाना आवश्यक बना दिया है। एचबीए 1 सी में सुधार होने पर हृदय और स्ट्रोक के अलावा मधुमेह से संबंधित डायबेटिक रेटिनोपैथी, न्यूरोपैथी और नेफ्रोपैथी जैसी जटिलताओं के जोखिम भी कम हो जाते हैं।
इससे पहले, डीडीआरसी ने एक ही स्थल पर मधुमेह रोगियों की अधिकतम संख्या की स्क्रीनिंग के लिए गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराया था।
भारत में, मधुमेह का बोझ बहुत अधिक है। एक अनुमान के अनुसार यहां 6 करोड़ 60 लाख लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं और इसके कारण हर साल 10 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
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