– विनोद कुमार‚ लेखक
स्वस्थ जीवनशैली शरीर को मजबूत रखने में अहम भूमिका निभाती है जबकि अनियमित जीवन शैली के कारण कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि हममें से अधिकतर लोगों में अनियमित जीवन शैली के हमारे स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव स्पष्ट रूप से जल्दी सामने नहीं आते हैं‚ लेकिन अनियमित जीवन शैली कई बीमारियों का कारण बन सकती हैं। अनियमित जीवनशैली का अर्थ है सोने, जागने और दिन और रात में भोजन करने का अनियमित समय। इनमें से किसी भी अनियमित जीवनशैली के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि इनमें से कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का जल्द पता चल जाने पर उनका प्रबंधन किया जा सकता है।
शरीर का प्राकृतिक सोने-जागने का चक्र, जो सर्कैडियन रिदम के नाम से जाना जाता है, का सूर्योदय, दिन के उजाले, सूर्यास्त और रात के समय जैसी प्राकृतिक घटनाओं से गहरा संबंध है। मानव शरीर ने दिन के दौरान कुछ कार्य करना सीखा है और रात के दौरान कुछ अन्य कार्यों काे करना सीखा है। यह उन विकासवादी प्रक्रियाओं का परिणाम है जो सहस्राब्दियों से चली आ रही हैं। हालांकि, अब हमारी दैनिक दिनचर्या इसके साथ समन्वय स्थापित नहीं कर पाती हैं। इसके कारण, दुनिया भर में, विशेष रूप से शहरी आबादी में खतरनाक संख्या में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो रही हैं। इस रिदम में व्यवधान के कारण कम उम्र में मृत्यु, मोटापा, ब्ल्ड ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म का खराब होना, हाइपोथायरायडिज्म जैसे हार्मोन स्राव का अनियमित होना, हृदय रोग, एंग्जाइटी, डिप्रेशन, पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम जैसी स्त्रीरोग संबंधी समस्याएं, थकान और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
हम में से कई लोग इन बेहद सामान्य परिस्थितियों से पीड़ित हो सकते हैं। हालांकि, हम में से अधिकांश लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि अपनी जीवन शैली में सुधार कर हम इन स्थितियों को प्रबंधित कर सकते हैं या इन्हें पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं। वजन कम करने या रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए हम सख्त आहार पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं लेकिन अनियमित समय पर सीमित या ’स्वस्थ’ भोजन का सेवन करना और देर रात तक जागते रहना इन प्रयासों के लाभों को कम कर सकता है। इसी तरह, व्यायाम से रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर में पर्याप्त कमी नहीं हो सकती है यदि यह सुबह जल्दी जागने और निश्चित भोजन के बीच समन्वय के साथ नहीं किया जाता है। गलत समय में भोजन करने, जैसे शाम पांच बजे भोजन करने से भी बहुत कम फायदा होता है। न केवल भोजन के समय को उनके 'सही' समय पर तय करने की आवश्यकता होती है, बल्कि उन्हें सोने के समय के साथ भी समन्वय करने की आवश्यकता होती है, जो कि वयस्कों के मामले में रात के दस बजे (उदाहरण के लिए) के आसपास होता है। व्यायाम और आहार के बीच बेहतर तालमेल रखने पर बेहतर परिणाम सामने आते हैं और भोजन और सोने के समय को तय करना भी महत्वपूर्ण है। ऐसा करने पर कई बीमारियों से छुटकारा पाने की हमारी संभावनाएं बढ जाती हैं।
इसी तरह, नींद के घंटों (लगभग आठ घंटे) का ध्यान रखना, लेकिन एक निश्चित नींद पैटर्न का पालन नहीं करना या सुबह के शुरुआती घंटों में आठ घंटे की नींद लेना कुछ कम घंटों की नींद की तुलना में अधिक हानिकारक हो सकता है। डॉक्टर अक्सर नींद के घंटों पर अमल करने की सलाह देते हैं, लेकिन मरीजों को यह पता नहीं हो सकता है कि अगर वे विषम ‘घंटे’ जैसे रात के दो बजे से सुबह के दस बजे तक सोते हैं तो निर्धारित घंटों के लाभ बहुत कम हो जाते हैं।
इसी तरह, नियमित जीवन शैली का पालन करके दवाओं के प्रभाव में भी सुधार किया जा सकता है। ऐसे कई नए सबूत उपलब्ध हैं जो यह सुझाव देते हैं कि दवाओं का शरीर द्वारा सबसे अच्छा उपयोग किये जाने और उनके सेवन के लिए सलाह दिये गये समय पर ध्यान देने पर दवाओं के प्रभाव में आश्चर्यजनक रूप से सुधार किया जा सकता है।
हम सभी नियमित जीवनशैली के लाभों के बारे में जानते हैं‚ फिर भी हम सभी के पास नियमित जीवनशैली अपनाने का विकल्प नहीं है। हमारी नौकरियों के लिए हमें पूरी रात जागना पड़ सकता है और दिन के दौरान सोना पड सकता है या ऑफिस जाने के लिए हमें सुबह जल्दी घर से निकलना पड़ सकता है और देर रात तक ही घर वापस आ सकते हैं। इन मामलों में, हमें यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करना चाहिए कि हमें काम के बाद घर जाने में होने वाली देरी से बचने के लिए कुशलता से अपने समय का उपयोग करना चाहिए। यदि काेई गंभीर स्वास्थ्य समस्या विकसित होती है जिसमें इलाज से भी उम्मीद के अनुसार लाभ नहीं हाे रहा है, तो कुछ समय के लिए काम से छुट्टी लेने या अलग नौकरी की तलाश करने जैसे कठोर उपायों पर भी विचार किया जाना चाहिए। आखिरकार, स्वास्थ्य से महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है, और हम पेशेवर रूप से तभी सफल हो सकते हैं जब हमारे पास स्वस्थ दिमाग और शरीर होगा।
अनियमित जीवनशैली का शिकार होने वाले सबसे कमजोर समूहों में छात्रों की आबादी शामिल है। भारत में, विशेष रूप से, हम पाते हैं कि आठ या नौ वर्ष के बच्चे देर रात तक जागते हैं। कभी-कभी यह पढाई के कारण होता है तो कभी यह परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताने के कारण होता है जो काम से देर से लौटते हैं। इस प्रवृत्ति को बदलने के महत्व पर पर्याप्त जोर नहीं दिया जा सकता है। इसके कारण डॉक्टरों को आज पच्चीस साल के रोगियों में भी हृदय की बीमारी का पता लगाने के लिए मजबूर होना पडता है और इसका कारण इस तरह की जीवन शैली है जो आठ या नौ साल की उम्र से ही शुरू हो जाती है। आश्चर्य की बात तो यह है कि माता-पिता भी कभी-कभी ऐसी जीवन शैली के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं। अनियमित जीवनशैली बचपन के मोटापे, बहुत कम उम्र में मधुमेह, हृदय रोग, पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज और कई अन्य बीमारियों के मामलों में तेजी से वृद्धि का एकमात्र सबसे बड़ा कारण हो सकती है। घर का वातावरण ऐसा होना चाहिए जिसमें जल्द सोने, नियमित व्यायाम और निश्चित समय पर भोजन करने के पैटर्न का पालन किया जाता हो। बच्चों को यह महसूस नहीं होने देना चाहिए कि जल्द और निश्चित समय पर सोने पर वे शिथिल हो जाएंगे। वास्तव में, ये प्रथाएं अब स्मृति को बढ़ाने, याददाश्त और एकाग्रता में सुधार करने के लिए जानी जाती हैं जिससे संभावित रूप से शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार होता है।
एक नियमित अनुशासित जीवन शैली की शक्ति को कम मत समझें। हम सभी को इसके मूल्य और इसके लाभों की सराहना करना सीखना चाहिए और उनकी भी सराहना करनी चाहिए जो इनका ध्यान रखते हैं।
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