तूफान, बवंडर या बम विस्फोट होने पर चोट और मौत का एक प्रमुख कारण अक्सर कांच का टूटना होता है। विस्फोटों और तेज हवाओं से इमारतों में खिड़कियों की कांच टूटकर चकनाचूर हो जाती हैं और हर दिषा में तितर-बितर हो जाती हैं।
उदाहरण के तौर पर 1996 में सउदी अरब में खोबर टावर्स पर बमबारी होने से कांच के टूटने से कांच के टुकड़े चुभने के कारण 19 लोगों की मौत हो गयी और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए जिनमें से 90 प्रतिषत से अधिक लोग अपाहिज हो गए। लेकिन इमारतों में विस्फोटरोधी का कांच का इस्तेमाल कर संभावित हमलों या भूकंप से लोगों की जिंदगी बचायी जा सकती है।
आस्ट्रेलिया में मिसौरी यूनिवर्सिटी एवं सिडनी यूनिवर्सिटी के इंजीनियरों ने डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सेक्युरिटी साइंस एंड टेक्नोलॉजी डायरेक्टोरेट (एस एंड टी) के सहयोग से एक अंतर्राश्ट्रीय षोध के तहत ऐसी विस्फोट रोधी कांच का विकास किया है जो हल्की, पतली और रंगहीन होगी। लेकिन यह इतनी मजबूत होगी कि विस्फोट, भूकंप या तूफानी हवाओं का सामना करने में समर्थ होगी।
हालांकि ऐसी विस्फोटरोधी कांच अभी भी उपलब्ध हैं लेकिन ये कांच लगभग 300 पेज के उपन्यास जितनी मोटी होती है और काफी महंगी भी है जिसके कारण इसे खिड़की के फ्रेम में लगाना संभव नहीं है। लेकिन अभी विकसित की जा रही विस्फोटरोधी कांच षुद्ध पॉलीमर के परतों से बनी है और इसमें प्लास्टिक का भी सम्मिश्रण है और यह कांच केवल एक चौथाई इंट मोटी है।
इस प्रोजेक्ट के मुख्य षोधकर्ता और मसौरी में मेकैनिकल इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर संजीव खन्ना के अनुसार वैज्ञानिकों ने इमारतों में इस विस्फोटरोधी कांच का इस्तेमाल कर छोटे विस्फोट कर इसकी जांच कर ली है और विस्फोट के बाद भी यह कांच पूरी तरह सही सलामत रही।
इसकी डिजाइन की सफलता का मुख्य रहस्य तरल प्लास्टिक के साथ बुने हुए कपड़े के रूप में और चिपकने वाले बंधन के रूप में लंबे ग्लास फाइबर हैं। कांच की दो पतली षीट के बीच कांच प्रबलित स्पश्ट प्लास्टिक की एक परत होती है। एक प्रकार का गोंद इसे स्पश्ट स्प से एक साथ रखता है। यह एक सैंडविच की तरह है- कांच की पतली षीट ब्रेड के दो स्लाइस की तरह हैं और तरल प्लास्टिक और लंबा ग्लास फाइबर मध्य में कुरकुरे मूंगफली और मक्खन का पेस्ट बनाता है।
ग्लास फाइबर आम तौर पर 15 से 25 माइक्रोमीटर व्यास का और मनुश्य के बाल के लगभब आधी मोटाई का होता है। छोटे आकार के कारण इसमें कम दोश हैं और इसमें टूटने या दरार पड़ने का खतरा कम हो जाता है। मजबूत ग्लास फाइबर पॉलीमर मैट्रिक्स को फाइबर को एक साथ बांधे रखने के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव उपलब्ध कराता है। जितना ज्यादा फाइबर का इस्तेमाल किया जाएगा ग्लास उतना ही मजबूत होगा। हालांकि परम्परागत विस्फोट रोधी कांच आम तौर पर हल्के हरे रंग की होती हैं जबकि यह कांच पारदर्षी होगी जिससे साफ रोषनी आ सकती है।
इंजीनियरों को उम्मीद है कि विस्फोट रोधी कांच के इस नये डिजाइन की लागत तुलनात्मक रूप से कम आयेगी लेकिन यह वजन में हल्की होगी। मात्र एक चौथाई इंच मोटे होने के कारण इसे वाणिज्यिक दफ्तरों की खिड़कियों के फ्रेम में लगाया जा सकता है, यह बहुत अधिक व्यावहारिक होगी और इसकी लागत भी कम आएगी। इस कांच के तीन से चार सालों से व्यावसायिक रूप से उपलब्ध होने की संभावना है।
ऐसा कांच जो विस्फोट से भी नहीं टूटेगा
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