हमारी आंखें कुदरत की बेशकीमती नेमत हैं। आंखें दुनिया के सबसे खूबसूरत और बेहतरीन नगीने हैं। इस दुनिया की सारी खूबसूरती इन आंखों की बदौलत है जो खुद भी इतनी खूबसूरत हो सकती हैं कि किसी पर जादू कर दे।
कहा गया है कि आंखें हैं तो जहान है। इसलिये आंखों की सुरक्षा एवं सेहत के प्रति जरा सी लापरवाही से जीवन में अंधेरा भर सकता है। कई महिलायें फैशन एवं सजने-संवरने के चक्कर में आंखों में काजल और तरह-तरह के सौंदर्य प्रसाधन लगा लेती हैं और बिना सोचे समझे रंग-बिरंगे चश्में लगाती हैं। लेकिन ये सौंदर्य प्रसाधन और गलत ढंग के चश्में आंखों के लिये खतरनाक साबित हो सकते हैं। आंखों में अगर सौंदर्य प्रसाधन लगाने ही हो तो प्राकृतिक एवं त्वचा में एलर्जी पैदा नहीं करने वाले हाइपो एलर्जिक सौंदर्य सामग्रियों का ही इस्तेमाल करना चाहिये।
इसके अलावा मेकअप के बहुत अधिक प्रयोग और मेकअप हटाने के लिये रासायनिक मेकअप रिमूवर भी आंखों के लिये हानिकारक साबित हो सकते हैं। मेकअप हटाने के लिये रासायनिक रिमूवर के बजाय बादाम या अरंडी के तेल का प्रयोग करना चाहिये।
आंखों को थका देने वाले काम भी आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अंधेरे कमरे या कम रौशनी वाले कमरे में टेलीविजन देखने या बारीक काम करने से आंखों पर स्ट्रेन आ सकता है जिससे आंखें लाल हो जाती हैं। इसके अलावा आंखों से पानी आने तथा मायोपिया जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। नयी दिल्ली स्थित मूलचंद तथा मोदी अस्पताल के वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डा. अल्केश चौधरी के अनुसार आंखों पर बहुत अधिक जोर डालने वाले मनोरंजन एवं जानकारी के आधुनिक तौर-तरीकों तथा माध्यमों की वजह से आंखों से जुड़ी सिलियरी कोशिकाओं में खिंचाव पैदा होता है। टेलीविजन, वीडियो एवं कम्प्यूटर जैसी पास रखी वस्तुओं को देखने के लिये सिलियरी कोशिकाओं को सिकुड़ना पड़ता है ताकि नेत्र लेंस का पावर बढ़ जाये और निकट की वस्तुयें दिखाई पड़े। इन कोशिकाओं में बार-बार बहुत अधिक खिंचाव होने पर आंखों में सूजन हो सकता है।
आंखों के लिये विश्राम तथा निद्रा अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि नींद ठीक से नहीं आये तो आंखें लाल तथा सूजी हुयी दिखती हैं और उनके नीचे काले घेरे से पड़ जाते हैं।
खान-पान का भी आंखों पर प्रभाव पड़ता है। अधिक मदिरा तथा अधिक मसालेदार भोजन के सेवन से आंखों को नुकसान पहंुचता है। मदिरा सेवन एवं धूम्रपान से आंखों की चमक कुंद होती है। आंखों को स्वस्थ रखने के लिये विटामिन 'ए' युक्त आहार का सेवन करना चाहिये। गाजर, शलजम, खुबानी आदि में विटामिन 'ए' प्रचूर मात्रा में उपलब्ध होती है। इसके अलावा हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन भी आंख के लिये फायदेमंद है।
आंखों को तेज धूप, धूल और धुंये तथा प्रदूषण से बचाना चाहिये। जब भी धूप में जाना हो तो अच्छी क्वालिटी के धूप के चश्में पहन लेना चाहिये। कई महिलायें चश्में को केवल फैशन की वस्तु मान कर उसके सही चुनाव पर ध्यान नहीं देती हैं। खराब शीशे वाले चश्में सूर्य की किरणों के साथ आने वाली पराबैंगनी किरणों को रोक नहीं पाते और वे सीधी आंखों पर पड़कर बुरा प्रभाव डालती हैं। इसके अलावा ऐसे शीशे गर्मी में काफी गर्म हो जाते हैं जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है। उत्तम चश्में में क्रुक्स एवं क्राउन शीशे का उपयोग होता है जो पराबैंगनी किरणों को शोषित कर लेते हैं और इन किरणों को आंखों तक पहुंचने से रोकते हैं।
धूप के चश्मंे का इस्तेमाल केवल धूप में निकलने पर ही करना चाहिये। छाया में बैठकर इनका इस्तेमाल नहीं करें। इसके अलावा चश्में की अदलाबदली या आदान-प्रदान नहीं करें क्योंकि इससे फ्र्रेम ढीला हो सकता है साथ ही साथ आंखों का संक्रामक रोग भी फैल सकता है।
मायोपिया जैसी समस्यायें होने पर सही पावर का ही चश्मा लगाना चाहिये। गलत पावर के चश्में के इस्तेमाल से आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। डा.अल्केश चौधरी का सुझाव है कि मायोपिया के मरीजों को अपनी आंखों की नियमित जांच करानी चाहिये क्योंकि मायोपिया के कारण आंखों के पर्दे (रेटिना) में खिंचाव आ सकता है या छेद हो सकता है ।
आंखों के आसपास की त्वचा अत्यंत नाजुक होती है इसलिये इस पर तेल, लोशन और क्रीम लगाने के बजाय सोते समय बादाम के तेल की कुछ बूंदे लगाना चाहिये।
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