बदलती जीवन शैली और खराब सामाजिक-आर्थिक कारकों के कारण इस्केमिक हृदय रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (एसीएस) या आम तौर पर हार्ट अटैक के रूप में जाना जाने वाला हृदय रोग, भारत जैसे विकासशील देशों में प्रमुख घातक बीमारियों में से एक है। विशेष रूप से 40 वर्ष से अधिक आयु के 20 प्रतिशतत से अधिक लोगों में कई प्रकार के हृदय रोग हो रहे हैं।
अब 20 से 50 वर्ष की उम्र में ही अधिक लोग दिल की बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। आधुनिक जीवन के बढ़ते तनाव ने कम उम्र के लोगों में हृदय रोगों के खतरे पैदा कर दिया है। हालांकि किसी व्यक्ति की आनुवांशिक प्रवृत्ति और पारिवारिक इतिहास अब भी सबसे आम और नियंत्रित नहीं किये जा सकने वाले जोखिम कारक बने हुए हैं, लेकिन युवा पीढ़ी में हृदय रोगों का संबंध अत्यधिक तनाव और लंबे समय तक काम करने के साथ- साथ नींद के अनियमित पैटर्न से भी है, जो इंफ्लामेशन पैदा करता है और हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाता है। धूम्रपान और निष्क्रिय जीवन शैली 20 से 30 वर्ष की आयु के लोगों में इसके जोखिम को और बढ़ा देती है।''
हार्ट अटैक या एसीएस इस्केमिक हृदय रोग की एक तीव्र अभिव्यक्ति है, जिसके कारण कोरोनरी धमनियों के रुकावट के कारण हृदय की मांसपेशियों की रक्त की आपूर्ति में अचानक रुकावट आ जाती है। इससे हृदय की मांसपेशियों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति बाधित होती है और रक्त की आपूर्ति तुरंत बहाल नहीं होने पर मांसपेशियों की मृत्यु हो जाती है। हालांकि, अलग- अलग रोगियों में दिल के दौरे के लक्षण अलग-अलग होते हैं और कुछ रोगियों में हिचकी जैसे असामान्य लक्षण हो सकते हैं। दर्द हल्का से लेकर गंभीर भी हो सकता है। कभी-कभी, इसका पहला लक्षण सडन कार्डियक अरेस्ट हो सकता है जिसमें रोगी अचानक गिर सकता है। इसका सबसे पहला चेतावनी संकेत छाती में बार- बार दर्द या दबाव (एंजाइना) हो सकता है जो थकावट से बढ़ जाता है और आराम करने से कम होता है। एंजाइना हृदय में रक्त के प्रवाह में अस्थायी कमी के कारण होता है।
दिल के दौरे के प्रबंधन के लिए समय का काफी महत्व है। इसका मतलब यह है कि प्रत्येक गुजरने वाले सेकंड के साथ, हृदय की मांसपेशी प्रभावित होती जाती है और अंततः मर जाती है। एक बार जब हृदय की मांसपेशी मर जाती है, तो यहां तक कि रक्त की आपूर्ति को बहाल करने के बाद भी इसके कार्य को बहाल करना मुश्किल हो सकता है।
मृत मांसपेशी दिल के लय में घातक गड़बड़ी का भी कारण बनती है जिसकी परिणति अचानक मौत के रूप में भी हो सकती है। ऐसे संदिग्ध मामलों में, जागरूक होना और तत्काल चिकित्सीय मदद लेना जरूरी है।'
दिल के दौरे में आम तौर पर 15 मिनट से अधिक समय तक सीने में दर्द होता है, लेकिन इसके कोई लक्षण भी नहीं हो सकते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि दिल के दौरे में सीने में दर्द के अलावा अपच या लगातार गर्दन या जबड़े का दर्द जैसे अन्य लक्षण हो सकते हैं, लेकिन कई लोगों में चेतावनी के संकेत और लक्षण घंटांे, दिनों या हफ्तों पहले शुरू हो जाते हैं।
समय पर पता लगाने और रोगी को जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल की इमरजेंसी में लाने से लक्षणों को रिवाइव करने और दिल के कामकाज को बहाल करने में मदद मिल सकती है।
हृदय रोग विशेषज्ञ अटैक की गंभीरता का पता लगाने के लिए कार्डियेक बायोमार्कर और इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) जैसी कुछ चिकित्सा प्रक्रियाएं करते हंै। हार्ट अटैक के उपचार के तहत प्राइमरी कोरोनरी एंजियोप्लास्टी नामक प्रक्रिया के द्वारा अवरुद्ध कोरोनरी धमनी को खोला जाता है, जिसमें धमनी को गुब्बारे के माध्यम से खोला जाता है और अवरुद्ध धमनी की क्षमता को बहाल करने के लिए धमनी में एक स्टेंट रखा जाता है। साथ ही रक्त के पतला करने वाली और हृदय संबंधी अन्य दवाएं भी दी जाती है।
हालांकि हार्ट फेल्योर खतरनाक लगती है, लेकिन इसका इलाज बेहतर देखभाल और निदान के साथ किया जा सकता है। हार्ट फेल्योर को रोकने का एकमात्र और सबसे आसान तरीका वैसी जीवन शैली और भोजन की आदतों से बचना है जो मोटापे, मधुमेह, उच्च रक्तचाप को प्रोत्साहित करते हैं।''
डॉ. विवेका कुमार मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के कैथ लैब के सीनियर डायरेक्टर हैं।
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