अब डाटा बतााएगा हार्ट अटैक के बाद मरीज के लिए कौन सा इलाज सबसे ज्यादा फायदा होगा।
दिल का दौरा पड़ने या छाती में दर्द होने के बाद मरीज के जीवित रहने की संभावना को बेहतर बनाने के लिए इंटरवेंषनल कार्डियोलाजी विषेशज्ञ ऐसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं जो मरीज के हृदय के भीतर की विस्तृत जानकारियां प्रदान करती है।
यह जानकारी नई दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हास्पीटल के इंटरवेंशनल कार्डियोलाॅजी के सहायक निदेशक एवं विभाग प्रमुख डा. नवीन भामरी ने दी।
डॉ भामरी ने बताया कि हम लोगों से अपील कर रहे हैं कि सांस लेने में दिक्कत, पसीना आने अथवा छाती में दर्द जैसे दिल के दौरे के लक्षण प्रकट होते ही जल्द से जल्द आसपास के चिकित्सक से संपर्क करें। ऐसा करना इसलिए जरूरी है ताकि इंटरवेंशनल कार्डियोलाॅजिस्ट एंजीयोप्लास्टी या स्टेंट जैसी चिकित्सकीय प्रक्रियाओं की मदद से जल्द से जल्द मरीज का इलाज कर सके और मरीज के जीवित रहने की संभावना बढ़ सके।''
उन्होंने कहा, ''मरीज को दिल का दौरा पड़ने पर जिस तरह से समय महत्वपूर्ण होता है उसी तरह से मरीज के जीवित रहने की संभवाना को बढ़ाने के लिए नई तकनीकें महत्वपूर्ण है।''
उन्होंने बताया कि एफएफआर तकनीक का उपयोग करके हम मरीज की हृदय धमनियों के भीरत के रक्त प्रवाह या रक्त के दवाब के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की जा सकती है। ऐसी जानकारियों की मदद से हम मरीज को बता सकते हैं कि उन्हें स्टेंट की जरूरत है या नहीं।''
उन्होंने कहा, ''एफएफआर डाटा की मदद से इलाज कराने वाले दिल के दौरे के 15 मरीजों पर किए गए एक अध्ययन की रिपोर्ट से पता चलता है कि ऐसा करने पर स्टेंटिंग की जरूरत 30 प्रतिषत तक घट जाती है। जिन कुछ मामलें में जब ब्लाॅकेज करीब 80 प्रतिषत होता है, उन मामलों में भी स्टेंट की जरूरत घट जाती है। इन परीक्षणों से जो डाटा प्राप्त होते हैं वे एफडीए अनुमोदित होते हैं और उनकी सफलता की दर 95 प्रतिषत होती है।''
डा. भामरी ने बताया कि जिन मरीजों को स्टेंट की जरूरत होती है उन्हें अगर सही जगह पर, सही आकार के और सही तरीके से स्टेंट लगा दिया जाए तो उनके जीवित रहने की संभावना अधिकतम हो जाती है।
उन्होंने बताया, ''ओसीटी तकनीक का उपयोग करके हम अवरुद्ध धमनी के अंदर के क्षेत्र के उच्च रिजोल्युषन वाली तस्बीरें प्राप्त कर पाने में सक्षम हो रहे हैं। इन तस्बीरों से प्राप्त जानकारियों का उपयोग करके हम मरीज को अधिक सही तरीके से स्टेंट लगा पाने में सक्षम हो पाते हैं।''
उन्होंने कहा कि मरीजों को अच्छी तरह से स्टेंट लगाने के लाभ बहुत अधिक होते हैं। इससे उपचार संबंधित जटिलताओं, स्टेंट प्रेरित थ्रम्बोसिस और भावी जटिलताओं में उल्लेखनीय कमी आ जाती है।
उन्होंने कहा कि साल दर साल हृदय रोग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। लोग अस्वास्थ्यकर भोजन और निष्क्रिय जीवन शैली को अपना रहे हैं तथा धूम्रपान कर रहे हैं या चाबने वाले तंबाकू का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे सभी जोखिम कारकों के कारण लोगों में दिल के दौरे का खतरा बढ़ रहा है।''
उन्होंने कहा, ''अब स्टेंट की कीमतों पर नियंत्रण के कारण एफडीए अनुमोदित स्टेंट भी कम कीमत में उपलब्ध हैं। एफडीए अनुमोदन से यह सुनिष्चित होता है कि स्टेंट में उच्च गुणवत्ता एवं उच्च सुरक्षा मानक हैं।
डा. भामरी ने सलाह दी कि मरीजों को दिल के रोग रोकने की दिषा में जरूर प्रयास करने चाहिए। रोज व्यायाम करके, स्वास्थ्यवर्धक भोजन का सेवन करके, अच्छी नींद सोकर, तनाव एवं रक्त चाप एवं षुगर पर नियंत्रण करके दिल के रोगों को रोका जा सकता है।
Search
जब बन जाये दिमाग में नसों के गुच्छे
मस्तिष्क में खून की नसों का गुच्छा बन जाने की स्थिति अत्यंत खतरनाक साबित होती है। यह अक्स…
कोरोना के खिलाफ जंग लडने वाले प्रसिद्ध चिकित्सक पद्मश्री डॉ. के के अग्रवाल आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए
विनोद कुमार, हेल्थ रिपोर्टर वैक्सीन की दोनों डोज लगी थी लेकिन कोरोना से बच नहीं पाए। इ…
क्या आपको वास्तव में लेजर से बालों को हटाने के बारे में पता है?
कॉस्मेटिक उपचार के बारे में मन में अक्सर कई विरोधाभाश और सवाल उठते रहते हैं लेकिन अब इनके…
बुजुर्गों में बढ़ रहा है पार्किंसन रोग>
चालीस-पचास साल की उम्र जीवन के ढलान की शुरूआत अवश्य है लेकिन इस उम्र में अपने जीवन के सर्…
केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के तत्वाधान में मुंबई में सिनेमा पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
– विनाेद कुमार संगोष्ठी के दौरान डा़ रामदास तोंडे की पुस्तक ʺसाहित्य और सिनेमाʺ का लोकार्…
Trending now
कोरोना के खिलाफ जंग लडने वाले प्रसिद्ध चिकित्सक पद्मश्री डॉ. के के अग्रवाल आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए
विनोद कुमार, हेल्थ रिपोर्टर वैक्सीन की दोनों डोज लगी थी लेकिन कोरोना से बच नहीं पाए। इ…
जब बन जाये दिमाग में नसों के गुच्छे
मस्तिष्क में खून की नसों का गुच्छा बन जाने की स्थिति अत्यंत खतरनाक साबित होती है। यह अक्स…
डिस्फेजिया के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां
डिस्फेजिया में आमतौर पर निगलने में कठिनाई होती है। इसमें रोगी को भोजन / तरल पदार्थ को मुं…
बुजुर्गों में बढ़ रहा है पार्किंसन रोग>
चालीस-पचास साल की उम्र जीवन के ढलान की शुरूआत अवश्य है लेकिन इस उम्र में अपने जीवन के सर्…
क्या आपको वास्तव में लेजर से बालों को हटाने के बारे में पता है?
कॉस्मेटिक उपचार के बारे में मन में अक्सर कई विरोधाभाश और सवाल उठते रहते हैं लेकिन अब इनके…
Comments
Post a Comment