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हर्निया का दूरबीन पद्धति (लैप्रोस्कोपिक सर्जरी) से हो सकता है स्थाई इलाज

हर्निया एक सामान्य बीमारी है, जिससे कई लोग पीड़ित हैं। पेट की दीवार के विशेष हिस्से की मांसपेषियां कमजोर होने के कारण पेट के हिस्से बाहर निकल आते हैं, इसी स्थिति को हर्निया कहा जाता है। यह समस्या बच्चों, पुरुषों व महिलाओं को कभी भी हो सकती है।
हर्निया कई प्रकार के होते हैं:
एपिगैस्ट्रिक, इनसिजिनल, डायरेक्ट इनग्युइनल, अमबिलिकल इनडायरेक्ट, इनग्युइनल फीमोरल इत्यादि।
इस बीमारी में कुछ रोगी, सूजन व दर्द का अनुभव करते हैं। ये खड़े होने, खांसने या भारी सामान उठाने पर बढ़ जाता है।
नई दिल्ली, करोल बाग स्थित अपोलो स्पैक्ट्रा हाॅस्पिटल के लैप्रोस्कोपिक व गैस्ट्रो सर्जरी के वरिष्ठ शल्य चिकित्सक डाॅ. विनय सब्बरवाल एवं डाॅ. सुखविंदर सिंह सग्गु इस पीड़ादायक बीमारी का बिना चीरे के, दूरबीन तकनीक (लैप्रोस्कोपिक) से सफलतापूर्वक आपरेषन करते हैं। यह एक स्थाई इलाज है, जिससे पुनः हर्निया होने की संभावना नहीं के बराबर है।
डाॅ. विनय सब्बरवाल के अनुसार, 'लैप्रोस्कोपिक सर्जरी' में उपयोग की जाने वाली आधुनिक हाइब्रिड जाली की गुणवत्ता हर्निया के रोगियों के लिए वरदान सिद्ध हुई है, जो आंतों से चिपकते नहीं हैं। ये पतले होते हैं व बायो डिग्रेडेबल फैब्रिक की परत से बने होते हैं। 
डाॅ. सुखविंदर सिंह सग्गु के अनुसार, आम तौर पर हर्निया के परंपरागत आपरेशन में मरीज को लंबा चीरा लगाया जाता था, जो अत्यंत पीड़ादायक होता था और कई जटिल समस्याओं को जन्म देता था। लेकिन दूरबीन तकनीक (लैप्रोस्कोपिक) से आपरेशन करने के लिए रोगी के शरीर में मात्र तीन छेद करने पड़ते हैं, जो पूर्णतया दर्द रहित हैं और जिसके निशान भी प्रायः दिखाई नहीं देते। रोगी जल्द ही अपनी नियमित दिनचर्या में लौट आता है।' 


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