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जागरूकता से जीतें थायरॉयड कैंसर के खिलाफ जंग

थायरॉयड कैंसर के लक्षणों और इसके जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता की मदद से बीमारी की शुरुआती अवस्था में ही पहचान करने में सहायता मिल सकती है, जो इसके इलाज के लिए महत्वपूर्ण है और यदि इस बीमारी से किसी व्यक्ति को अधिक खतरा है तो उसे इस संबंध में जागरूक करने में सहायता मिल सकती है।
किसी व्यक्ति में कैंसर की पहचान होने पर अब तक यह उसके लिए मौत की सजा मानी जाती रही है। लेकिन चिकित्सा तकनीकों और थिरेपियों में विकास होने के साथ- साथ कई गंभीर और पुरानी बीमारियों का इलाज अब संभव हो गया है। उनमें से एक सबसे आसानी से इलाज हो सकने वाला कैसर थायरॉयड कैंसर है, जो गले के निचले हिस्से में स्थित थायरॉयड ग्रंथि को प्रभावित करता है। यह ग्रंथि कुछ महत्वपूर्ण हार्मोन का स्राव करती है और चयापचय को नियंत्रित करती है।
लेकिन थायरॉयड कैंसर के इलाज के लिए बीमारी का जल्द पता लगाना महत्वपूर्ण है। इसके संभावित कारणों, लक्षणों, रोकथाम और इलाज के बारे में जागरुकता कई लोगों की जिंदगी बचाने में मदद कर सकती है और थायरॉयड कैंसर के जोखिम कारकों या प्रारंभिक लक्षणों के होने पर लोग सतर्क हो सकते हैं।
इसके कारणों और लक्षणों को समझें
किसी भी बीमारी की रोकथाम के लिए उसके कारणों और जोखिम कारकों को समझना जरूरी है। पूरी तरह से जानकारी प्राप्त और जागरूक व्यक्ति यदि जोखिम की श्रेणी में आता है और उसके षरीर में किसी भी प्रकार का असामान्य परिवर्तन होता है तो वह डॉक्टर से परामर्ष अवश्य लेगा। 
थायरॉयड कैंसर के कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हैं। लेकिन थायरॉयड कैंसर के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों में इस बीमारी का खतरा निश्चित रूप से अधिक होता है। चिकित्सीय परीक्षण या थिरेपियों के दौरान या परमाणु संयंत्र आपदाओं के दौरान रेडियेशन के संपर्क में आने वाले लोगों में इस बीमारी को खतरा बढ़ सकता है।
इसके अन्य संभावित कारकां में अधिक षारीरिक वजन, आयोडीन की कमी और आहार में फलों और सब्जियों की कमी हो सकती है। हालांकि अभी तक यह निष्चित नहीं हो पाया है कि इनमें से कौन सा कारक थायरॉयड कैंसर में योगदान करता है। लेकिन हर व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य की देखभाल के दौरान इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
लक्षणों के बारे में जानना भी उतना ही आवश्यक है। थायरॉयड कैंसर का सबसे स्पष्ट और सामान्य चेतावनी संकेत गले के हिस्से में गांठ या सूजन है। कोई भी व्यक्ति जितनी जल्दी इस परिवर्तन को पहचान लेता है उसे परीक्षण के लिए जल्द से जल्द चिकित्सक से अवष्य संपर्क करना चाहिए। इसके अन्य लक्षणों में गले में दर्द, खांसी, निगलने में परेशानी, सांस लेने में कठिनाई, आवाज का बैठना या आवाज में परिवर्तन षामिल है। इन लक्षणों को नजर अंदाज कर देने पर बीमारी फैलती जाती है और रोगी के जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है और बीमारी के इलाज के लिए अधिक कठिन इलाज की जरूरत पड़ती है।


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