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महामारी बन रहे कमर दर्द से कैसे पाएं निजात

कमर दर्द आज सर्दी-जुकाम की तरह आम बीमारी बन गयी है जिससे हर दूसरा-तीसरा व्यक्ति परेशान नजर आता है। हालांकि ज्यादातर मामलों में हम अपनी गलतियों के कारण कमर दर्द की चपेट में आते हैं। हर दस में से छह से नौ व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी समय कमर दर्द झेलते हैं। ठंड, सर्दी-जुकाम एवं फ्लू जैसे सामान्य श्वसन संबंधी संक्रमण के बाद कमर दर्द चिकित्सकों के पास जाने का दूसरा सबसे प्रमुख कारण हैमौजूदा समय में चलने-फिरने एवं उठने-बैठने की आधुनिक शैली के कारण कमर दर्द जैसी समस्यायें महामारी का रूप धारण कर रही हैउठने-बैठने और सोने के गलत तौर-तरीकों के अलावा व्यायाम नहीं करने की प्रवृति, महिलाओं एवं नवयुवकों में ऊंची एड़ी के जूते-चप्पलों के बढ़ते प्रयोग, आधुनिक जीवन के तनाव एवं भागदौड़ एवं गद्देदार सोफों एवं बिस्तरों के इस्तेमाल के कारण कमर दर्द की समस्या तेजी से बढ़ रही हैलगातार झुक कर बैठने, रोजाना देर तक स्कूटर-बाइक चलाने, दफ्तर में देर तक झुक कर अथवा कम्प्यूप्टर या लैपटॉप पर काम करने से कमर दर्द होने का खतरा बढ़ता है।


कमर दर्द की व्यापकता का सबसे बड़ा कारण गलत जीवन शैली है जिसमें सुधार करके हम इस तकलीफ से बच सकते हैं। धूम्रपान से परहेज, नियमित व्यायाम, समुचित खान-पान और अच्छी नींद जैसे उपाय कमर दर्द से बचने में सहायक हैं। धूम्रपान न केवल हृदय रोगों का बल्कि कमर दर्द का भी एक प्रमुख कारण है। धूम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों को डिस्क की समस्या होने की आशंका 80 प्रतिशत से भी अधिक होती है। धूम्रपान से परहेज के अलावा नियमित व्यायाम कमर दर्द से बचाने में काफी सहायक हैव्यायाम से दोहरा लाभ मिलता है। इससे न केवल कमर दर्द से राहत मिलती है बल्कि कमर दर्द से बचाव भी होता हैव्यायाम नहीं करने से मांसपेशियों का लचीलापन घटता है जिससे मासपेशियों के मुड़ने और झुकने की क्षमता घटती हैइसके अलावा व्यायाम नहीं करने से पेट की मांसपेशियां कमजोर होती हैं और इससे पीठ पर ज्यादा दबाव पड़ता है जिससे पेल्विक (श्रोणि क्षेत्र) में असामान्य झुकाव होता है। व्यायाम नहीं करने से पीठ की मांसपेशियां कमजोर होती हैं जिससे रीढ़ पर अधिक भार पड़ता है और इससे डिस्क के कम्प्रेशन का खतरा बढ़ता है।


स्थूल जीवनशैली के साथ-साथ मोटापा कमर दर्द का प्रमुख कारण है। मोटापा के कारण रीढ़ तथा वर्टिब्रेट एवं डिस्क पर अधिक दवाब पड़ता है जिससे कमर दर्द उत्पन्न होता है। मोटापा से बचने के अलावा शरीर की चुस्ती-तंदुरूस्ती भी कमर दर्द से बचाव के लिये आवश्यक है। इसके लिये खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिये। हमारे आहार में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में होना चाहिये क्योंकि इससे ऊतकों का निर्माण तेजी से होता है। इसके अलावा आहार में ताजे फल एवं सब्जियां भी पर्याप्त मात्रा में होनी चाहिये क्योंकि इनसे शरीर को विटामिन मिलती है।


कमर दर्द से बचने के लिये बैठने, सोने और खड़े होने के लिये सही तौर-तरीके अपनाने चाहियेये तरीके इस तरह के होने चाहिये कि रीढ़ पर अनावश्यक दवाब नहीं पड़े या रीढ़ को झटका नहीं लगे। हालांकि ज्यादातर लोगों में कमर दर्द कुछ समय बाद दूर हो जाता है लेकिन जब कमर दर्द कुछ सप्ताह अथवा एक माह से भी ज्यादा समय तक रहे अथवा यह असहनीय बन जाये तो चिकित्सक की मदद लेनी चाहियेआरंभ में आराम, दर्द निवारक दवाइयों, ट्रैक्शन और फिजियोथिरेपी से मरीज को आराम मिलता है लेकिन अगर इन उपायों से भी कमर दर्द दूर नहीं हो तो सर्जरी की मदद लेनी पड़ सकती हैकई मरीजों को स्पाइनल इंजेक्शन से भी काफी राहत मिलती है। इसकी मदद से कई मरीजों में ऑपरेशन की स्थिति टाली जा सकती हैस्पाइनल इंजेक्शन लगाने के लिये मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं करना पड़ता है।


रोजमर्रा की दिनचर्या में कुछ सावधानियां बरत कर इस समस्या से बचा जा सकता है। लेकिन सावधानियों के बावजूद अगर कमर दर्द हो तो उसे आम समस्या मानकर नजरअंदाज करने के बजाय तत्काल किसी न्यूरो एवं स्पाइन विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिये। आज कमर दर्द के उपचार के कई विकल्प उपलब्ध हैं जिनमें गैर सर्जिकल तथा सर्जिकल विकल्प शामिल हैं। कमर दर्द के लिए परम्परागत उपचार विधियों में इंजेक्शन, व्यायाम और फिजियोथेरेपी आदि शामिल है। अगर परम्परागत उपचार की विधियों से लाभ नहीं होता है तो मरीज को आगे के इलाज के लिए स्पाइन विशेषज्ञ के पास लाना चाहिए। कमर दर्द के असहनीय हो जाने पर इलाज के तौर पर आज डिकम्प्रेशन, स्पाइनल फ्यूजन, मिनिमल एक्सेस स्पाइनल टेक्नोलॉजीज (एमएएसटी), लेजर डिस्केक्टॉमी, माइक्रोलम्बर डिस्केक्टॉमी और इंडोस्कोपिक लंबर डिस्केक्टॉमी, बैलून किफोप्लास्टी और आर्थोप्लास्टी जैसी कारगर तकनीकों का उपयोग करके मरीज को कमर दर्द से मुक्ति दिलाई जा सकती है। रीढ़ की सर्जरी पूरी तरह से सुरक्षित होती है। सर्जरी से नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही होता है। 


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