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सिर में चोट को हल्के में न लें

दुर्घटनायें रोजमर्रे के जीवन के अभिन्न हिस्से हैं। हर समय और हर जगह दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है।  आम जिंदगी में होने वाली सड़क एवं अन्य दुर्घटनाएं कारण आज मौत एवं विकलांगता का सबसे प्रमुख कारण बनती जा रही हैं। दिनों-दिन बेतहाशा बढ़ते वाहनों तथा यातायात नियमों की अनदेखी के कारण सड़क दुर्घटनाओं में भयानक तेजी आ गयी है। आप चाहे पैदल चल रहे हों अथवा दुपहिये, तिपहिये, कार या बस से कहीं सफर कर रहे हों; आप कभी भी-कहीं भी सड़क दुर्घटनाओं के शिकार बन सकते हैं। 
सिर में चोट के नुकसान
दुर्घटनाओं में सिर में चोट लगने पर व्यक्ति की स्थिति गंभीर हो सकती है। सिर में चोट का तत्काल एवं समुचित इलाज नहीं होने पर व्यक्ति की मौत हो सकती है अथवा वह अपाहिज भी हो सकता है। सिर में चोट लगने पर व्यक्ति बेहोश हो सकता है, उस थोड़ी देर के क्षण को पूरी तरह भूल सकता है। कभी-कभी दुर्घटना होने पर सिर्फ सिर के ऊपरी हिस्से में चोट लगती है जिससे व्यक्ति घायल हो सकता है। कभी-कभी चोट लगने पर व्यक्ति कुछ समय तक तो ठीक एवं होशो-हवाश में रहता है लेकिन दो-तीन घंटे बाद या एक दिन बाद भी वह बेहोश हो सकता है  क्योंकि चोट लगने के बाद अंदर सिर के रक्त की ''क्लौटिंग'' बढ़ती रहती है और मस्तिष्क की नसों पर दबाव पड़ता रहता है जिससे व्यक्ति बेहोश हो सकता है। हालांकि हल्की दुर्घटनाओं में 80 प्रतिशत लोगों को हल्की चोट ही लगती है और उससे उसका कोई खास नुकसान नहीं होता है। इसमें मस्तिष्क का ''कनकसन'' होता है और थोड़ी देर में व्यक्ति ठीक हो जाता है। इसके बावजूद सिर में लगी किसी चोट को मामूली नहीं समझना चाहिए और न ही इतनी गंभीरता से लेनी चाहिए कि घायल व्यक्ति उम्मीद ही खो दे।
सिर में चोट लगने पर क्या करें 
किसी व्यक्ति के सिर में चोट लगने पर यह देखना बहुत जरूरी होता है कि व्यक्ति सुस्त तो नहीं हो रहा है, बहुत अधिक सो तो नहीं रहा है या बेहोश तो नहीं हो रहा है। सिर में चोट लगने पर शरीर का कोई भी भाग प्रभावित हो सकता है। सिर में तेज दर्द हो सकता है, उल्टी हो सकती है, स्थायी बेहोशी हो सकती है, किसी एक हाथ या पैर या दोनों हाथों-पैरों में लकवा मार सकता है, आंखों में खराबी आ सकती है तथा बोलने व सुनने की शक्ति जा सकती है। सिर में चोट लगने पर शरीर का कौन सा भाग प्रभावित होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि चोट सिर के किस हिस्से में लगी है। जैसे मस्तिष्क के ''स्पीच'' क्षेत्रा में चोट लगने पर व्यक्ति की बोलने की शक्ति चली जाती है। एक्सप्रेशिव स्पीच क्षेत्रा मेें चोट लगने पर व्यक्ति समझता तो है, लेकिन बोल नहीं पाता है जबकि रिसेप्टिव स्पीच क्षेत्रा में चोट लगने पर व्यक्ति बोलता है जबकि रिसेप्टिव स्पीच क्षेत्र में चोट लगने पर व्यक्ति बोलता है लेकिन समझता नहीं है। इसी तरह मस्तिष्क के याददाश्त से संबंधित भाग में चोट लगने पर व्यक्ति स्मृति खो देता है।
गंभीर चोट 
मस्तिष्क के कुछ खास हिस्से जैसे 'ब्रेन स्टेम' क्षेत्र में चोट लगने पर होने वाली क्षति आपरेशन से भी ठीक नहीं की जा सकती। यह क्षति स्थायी रूप से हो जाती है। इसमें मस्तिष्क की कार्यप्रणाली इस कदर क्षतिग्रस्त हो जाती है जिसे ठीक करना संभव नहीं होता। हालांकि इसमें सही इलाज होने पर कुछ रोगी अपने राजमर्रा के काम करने लगते हैं।
चोट लगने पर व्यक्ति अगर बेहोश हो जाये तो उसे फौरन डाॅक्टर के पास ले जाना चाहिए। अगर चोट लगने के बाद व्यक्ति होश में है, चल-फिर रहा है, लेकिन तेज चोट लगी है तो ऐसे मरीज का 24 घंटे तक निरीक्षण करना जरूरी है और उस दौरान यदि उसे सिर में तेज दर्द, बेहोशी, उल्टी, दौरा पड़ने या हाथ-पैर में कमजोरी होने की शिकायत हो तो उसे फौरन डाक्टर के पास ले जाना चाहिए क्योंकि सिर में चोट का समय पर इलाज होना बहुत जरूरी है। ऐसे मरीज में चोट की वजह से कोई क्लाॅट या सूजन विकसित हो सकता है जिसकी वजह से आगे भी क्षति हो सकती है। हालांकि कुछ चोट से मस्तिष्क को हुयी क्षति का इलाज नहीं है। डाक्टरी इलाज का मुख्य उद्देश्य चोट की वजह से मस्तिष्क की कोशिकाओं को आगे होनेवाली क्षति को रोकना होता है क्योंकि मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने के बाद पुनर्जीवित नहीं होती हैं। कोई व्यक्ति अगर चोट लगने पर बेहोश हो जाए और बेहोश ही रहे तो खतरा बढ़ जाता है।   


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