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ट्रैफिक जाम से बढ़ रहे हैं दिल के दौरे

महानगरों एवं बड़े षहरों में सड़कों पर वाहनों की लगने वाली लंबी-लंबी कतारें न केवल खून के उबाल को बल्कि दिल के दौरे के खतरे को बढ़ा रही हैं।
राजधानी में पिछले दिनों भारी वर्शा के कारण दिल्ली की सड़कों पर कई घंटे के लिये वाहनों की आवाजाही ठप्प पड़ गयी। कई लोगों को अपने घर पहुंचने में घंटों का समय लगा, लेकिन ऐसी स्थिति का सबसे अधिक खामियाजा उठाना पड़ता है। 
कार्डियोलाजिस्ट डा. पुरूषोत्तम लाल ने बताया कि हालांकि भारत में इस तरह के अध्ययन नहीं किये गये हैं लेकिन यह ज्ञात तथ्य है कि सड़क जाम के दौरान हवा में प्रदूशण एवं सूक्ष्म प्रदूषित कणों का स्तर तथा जाम में फंसे लोगों में एंग्जाइटी एवं तनाव बढ़ जाता है और ये दिल के दौरे का कारण बन सकते हैं। 
डा. पुरूषोत्तम लाल ने बताया कि ट्रैफिक जाम दिल के मरीजों पर दोतरफा मार करता है। एक तो जाम के कारण गुस्सा, तनाव तथा एंग्जाइटी पैदा होते हैं जो दिल को नुकसान पहुंचाते हैं और साथ ही साथ वाहनों से निकलने वाले धुंयें भी दिल तथा फेफड़े पर बुरा असर डालते हैं। 



डा. लाल ने बताया कि धुयें के अलावा कारों से बहुत महीन एवं चिकने कण निकलते हैं जो बहुत छोटे होने के कारण फेफड़े में बहुत गहराई में चले जाते हैं जिसके कारण फेफड़े एवं हृदय को नुकसान पहुंचता है। 
कार्डियोलॉजिस्ट डा. के. के. सक्सेना ट्रैफिक जाम के कारण दिल के दौरे का खतरा बढ़ने पर सहमति जताते हुये कहते हैं कि ट्रैफिक जाम का खतरा खास तौर पर वैसे लोगों को होता है जिन्हें पहले दिल का दौरा पड़ चुका हो।
हृदय रोग चिकित्सक डा. ओ पी यादव कहते हैं कि उनके पास इस तरह का कोई आंकड़े या व्यक्तिगत अनुभव नहीं है जाम के दौरान हवा में सूक्ष्म निलंबित कणों और प्रदूशण तथा जाम में फंसे व्यक्ति का स्ट्रेस का स्तर बढ़ने से इस तरह का खतरा हो सकता है। अगर जाम काफी लंबे समय तक जाम लगा हो और वाहन में एयर कंडिषनर, पीने का पानी आदि की व्यवस्था नहीं हो डिहाइड्रेषन बढ़ता है। साथ ही बहुत देर तक एक ही स्थिति में बैठे रहने पर रक्त के थक्के बढ़ने की आषंका बढ़ सकती है क्योंकि ऐसे में लोग अपने हाथ-पैर एवं षरीर को अधिक हिला-डुला नहीं पाते। 




गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व पर अमेरिकन हार्ट असोसियेशन के 49 वें वार्षिक सम्मेलन मे पेश ''कार्डियोवैस्कुलर डिजीज एपिडेमियोलॉजी एंड प्रीवेंशन'' पर जर्मन में दिल के दौरे के रोगियों हुये अध्ययन की रिपोर्ट में कहा गया कि एक घंटे में तीन से अधिक बार ट्रैफिक जाम में फंसने पर ऐसे रोगियों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा रहता है। हालांकि इस रिपोर्ट के इस निश्कर्श की सत्यता की पुश्टि अलग से नहीं हुयी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रैफिक जाम में फंसने के छह घंटे के अंदर दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है। रिपोर्ट के अनुसार ट्रैफिक जाम के दौरान सामान्य परिस्थितियों की तुलना में दिल के दौरे का खतरा 3.2 गुना अधिक हो जाता है। महिलाओं, बुजुर्ग पुरुष, बेरोजगार रोगियों और जिनके परिवार में एंजाइना का इतिहास रहा हो, ट्रैफिक से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
दक्षिणी जर्मनी में शोधकर्ताओं ने एक हजार 454 रोगियों से साक्षात्कार कर आंकड़े जुटाये। इन रोगियों के करीबी लोगों से यह जानने की कोशिश की गयी ये रोगी दिल के दौरे के दिन उन्होंने क्या-क्या किया था, वे कहां गये थे, किस तरह के वाहन से गये थे और ट्रैफिक में उन्होंने कितना समय बिताया था। इस अध्ययन में पता चला कि दिल के दौरे से पहले इन लोगों में करीब 8 प्रतिशत लोग ट्रैफिक में फंसे थे। 
 


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