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होलिस्टिक चिकित्सा दिलायेगी दर्द से मुक्ति

दर्द से राहत के लिये आज कई तरह की दवाईयां प्रचलित है लेकिन कई बार ये दवाईयां एक नये मर्ज का सबब बन जाती है। इसी वजह से आज दुष्प्रभावयुक्त इन दर्दनिवारक दवाईयों के सुरक्षित एवं निरापद विकल्पों की तलाश जारी है। होलिस्टिक चिकित्सा दर्द से छुटकारा दिलाने वाली एक कारगर एवं दुष्प्रभाव रहित विकल्प के रूप में सामने आयी है।


होलिस्टिक चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों की मदद से कमर दर्द, गर्दन दर्द, आथ्र्राइटिस, ओस्टियोआथ्र्राइटिस, गठिया, सियाटिका, कैंसर पीड़ा,  माइग्रेन, साइनुसाइटिस, डिस्क समस्या, पेट दर्द आदि का सफलतापूर्वक निवारण हो सकता है। 
दर्द मानव जाति की संभवतः सबसे प्राचीन  भयावह  विपत्ति है जिससे राहत पाने की कोशिश पाषाण काल से ही अनवरत जारी है। प्राचीन काल में दर्द से छुटकारा पाने के लिये दबाव, ताप, जल एवं धूप का इस्तेमाल किया जाता था। दर्द से तड़पते लोग जादूगरों, शैमनों और पुजारियों की शरण लेते थे जो दर्द से राहत दिलाने के लिये जड़ी-बूटियों, जादू-टोने, झाड़-फूंक, मंत्रों और पूजा-पाठ एवं अनुष्ठानों का प्रयोग करते थे। आधुनिक समय में दर्द निवारण के लिये अनेक औषधियों और तरीकों का विकास हो चुका है। आज दर्द निवारण के लिये अफीम, मार्फिन, कोडीन एवं कोकिन और एस्प्रीन जैसी औषधियों का व्यापक  इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन इन दवाईयों से दर्द के वास्तविक कारण को दूर नहीं किया जा सकता है। अक्सर लोग किसी भी तरह का दर्द होने पर किसी से पूछे बगैर कोई दर्दनिवारक गोली खा लेते हैं। कई लोग तो लंबे समय तक दर्दनिवारक दवाईयों का सेवन करते रहते हैं। लेकिन इन दवाईयों से रोग दूर होने के बजाय गंभीर होता जाता है और एक स्थिति ऐसी आती है जब दवाईयां और इनके इंजेक्शन निष्प्रभावी हो जाते हैं। कई बार दर्द निवारण के लिये खायी जाने वाली दवाईयां खुद मर्ज से कहीं अधिक परेशानी पैदा करती हैं। इन दवाईयों के दुष्प्रभाव  के कारण नयी बीमारियां पैदा हो जाती हंै। आज तक ऐसी कोई दवाई नहीं बनी जो पूरी तरह से दुष्प्रभाव रहित हो। कई बार दर्दनिवारक दवाई खाने से इस कदर का रक्त स्राव हो सकता है या दिमागी दौरा पड़ सकता है जिससे रोगी की मौत तक हो सकती है। आज जब दर्दनिवारक दवाईयों के अंधाधुंध सेवन ने एक महामारी का रूप धारण कर लिया है वैसे में अनेक देशों में होलिस्टिक चिकित्सा को दर्द निवारण एवं प्रबंधन की कारगर एवं दुष्प्रभावरहित पद्धति के रूप में लोकप्रियता हासिल हो रही है। 
आधुनिक चिकित्सा तथा होलिस्टिक चिकित्सा जैसी विभिन्न वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों की मदद से दर्द से तड़पते मरीजों को किसी दवाई की मदद के बगैर स्थायी तौर पर राहत दिलायी जा सकती है। होलिस्टिक चिकित्सा कमर दर्द, गर्दन दर्द, आथ्र्राइटिस, ओस्टियो -  आथ्र्राइटिस, गठिया, सियाटिका, कैंसर पीड़ा, माइग्रेन, साइनुसाइटिस, डिस्क समस्या, पेट दर्द, हर्पिज, न्यूरेल्जिया और  डायबेटिक न्यूरोपैथी जैसे किसी भी तरह के दर्द का सफलतापूर्वक निवारण हो सकता है। 
डा. तुली का कहना है कि कोई भी दर्द लाइलाज नहीं होता है। दर्द शरीर के किसी भाग में उत्पन्न किसी न किसी व्याधि का संकेत होता है और इसलिये दर्द को स्थायी तौर पर जड़ से दूर करने के लिये उस व्याधि या दर्द के कारण को ठीक करना जरूरी है। होलिस्टिक चिकित्सा मरीज को दर्द से राहत दिलाने के साथ-साथ दर्द के कारण को दूर करती है। डा. तुली का कहना है कि उन्होंने अपने 25 वर्ष के अनुभव से पाया है कि 90 प्रतिशत से अधिक मरीजों के लिये होलिस्टिक चिकित्सा कारगर है इसलिये किसी भी तरह के दर्द और रोग से ग्रस्त मरीज को जल्द से जल्द होलिस्टिक चिकित्सा की मदद लेनी चाहिये। डा. तुली का कहना है कि होलिस्टिक चिकित्सा को प्रसव पीड़ा को नियंत्रित करने तथा सामान्य प्रसव सुनिश्चित कराने में काफी कारगर पाया गया है। 
एक्युपंक्चर एवं होलिस्टिक चिकित्सा की अन्य विधियां दर्द से प्रभावित क्षेत्र की मांसपेशियों को रिलैक्स होने में मदद करती है तथा शरीर में प्राकृतिक दर्दनिवारक तत्व के उत्सर्जन को बढाती है। इसके अलावा यह प्रभावित भाग में रक्त प्रवाह को बढ़ाती तथा वहां की स्नायुओं की कार्यक्षमता में सुधार लाती है। इसके परिणाम स्वरूप होलिस्टिक चिकित्सा दर्द से तत्काल राहत दिलाने के साथ - साथ शरीर की हीलिंग रिस्पौन्स को स्पंदित करती है। कुछ समय तक एक्युपंक्चर एवं होलिस्टिक चिकित्सा नियमित रूप से लेते रहने पर दर्द धीरे - धीरे कम होता है और कुछ समय बाद दर्द इतना कम या नगण्य हो जाता है कि मरीज को सामान्य जीवन में कोई दिक्कत नहीं होती है। होलिस्टिक चिकित्सा के तहत मरीज को दर्द से राहत दिलाने के लिये एक्युपंक्चर के अलावा एक्युपे्रशर, योग एवं ध्यान, रेकी चिकित्सा आदि की भी मदद ली जाती है। एक्युपंक्चर के तहत बाल जैसी पतली सुइयों की मदद से शरीर के उन बिन्दुओं को स्पंदित किया जाता है जो शरीर में ची नामक ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं। यह प्रक्रिया कष्टदायक नहीं है। 


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