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वैरिकोज वेन्स को झेलते रहें या इसका इलाज कराएं?

यदि आपके मन में ऐसे सवाल आते हैं, तो ऐसा सोचने वाले अकेले नहीं हैं। वेरिकोज वेन से पीड़ित कई लोग किसी भी लक्षण के बगैर अपनी पूरी जिंदगी जीते रहते हैं। समस्या तब होती है जब वैरिकोज वेन्स आपके जीवन को सीमित करने लगती है। इसकी शुरुआत त्वचा के रंग में परिवर्तन और नसों का उभरा होना जैसी हल्की काॅस्मेटिक समस्या से होती है, और उसके बाद पैर में दर्द, पैरों में भारीपन और खड़े रहने पर टखनों के आसपास सूजन जैसे गंभीर लक्षण प्रकट होते हैं। समय पर इलाज नहीं कराने पर, यह कभी ठीक नहीं होने वाले घाव के रूप में विकसित हो सकती है। यही नहीं, बढ़ी हुई नस फट सकती है और अचानक रक्तस्राव हो सकता है या फैली हुई नस के अंदर रक्त का थक्का जमा हो सकता है जो हृदय तक जा सकता है।
हैरानी की बात यह है कि, पीडित व्यक्ति न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श तब लेता है जब वेन्स उभर आती हैं या त्वचा रोग विशेषज्ञ के पास तब जाता है जब उसकी त्वचा के रंग में परिवर्तन आता है। यह वास्तव में वीनस स्टैसिस से संबंधित डर्माटिटिस है जिसे सिर्फ संवहनी आपूर्ति का इलाज कर ही ठीक किया जा सकता है। इस चिकित्सकीय स्थिति के इलाज के लिए इंटरवेंशनल रेडियोलाजिस्ट ही सही विशेषज्ञ साबित होते हैं।
वैरिकोज वेन्स का पता शारीरिक परीक्षण से आसानी से लगाया जा सकता है और कुछ मामलों में, लीक कर रहे वाल्व और सूजन वाले वेन्स का पता लगाने के लिए साधारण सोनोग्राफी परीक्षण - वीनस डॉपलर अल्ट्रासाउंड किया जाता है। ऐसे काफी लोग हैं जो वेरिकोज वेन्स के लक्षणों को चुपचाप सहते रहते हैं, और अक्सर मलहम, कम्प्रेशन स्टाकिंग्स जैसे अस्थायी समाधान को अपनाकर समझौता करते हैं। जब तक अंतर्निहित कारणों का इलाज नहीं जाता, यह समस्या बार-बार होती रहेगी।
सर्जरी और इसकी जटिलताओं के डर के कारण, वैरिकोज वेन्स से पीड़ित कई रोगी इलाज नहीं कराते हैं। वेरिकोज वेन्स की परंपरागत ओपन सर्जरी - वेन स्ट्रिपिंग दर्दनाक है, इसमें सर्जरी के निशान रह जाते हैं और रिकवरी में अधिक लंबा समय लगता है, जबकि वेरिकोज वेन्स का लेजर एब्लेशन से प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है। लोकल एनीस्थिसिया के तहत, इंडो - वीनस लेजर ट्रीटमेंट (ईवीएलटी) ओपीडी में ही किया जा सकता है और वेन को बिना दर्द के बंद करने के लिए करीब आधे घंटे की ही आवश्यकता होती है। इससे भी महत्वपूर्ण बात, यह प्रक्रिया उच्च रक्तचाप, मधुमेह, दिल और गुर्दे की बीमारियों जैसी सहरूग्णता वाली स्थितियों वाले रोगियों के लिए सुरक्षित है। इस प्रक्रिया के चीरा रहित और निशान रहित होने के कारण प्रक्रिया के तुरत बाद ही मरीज चल सकता है और अधिकतर रोगी अगले ही दिन अपनी दैनिक क्रियाकलापों को कर सकते हैं।


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